चूरू का लड़का, कोलकाता का स्ट्रगलर और UK में तो बस नाम ही काफी है : लक्ष्मी मित्तल
जीवन-आरम्भ
लक्ष्मी निवास मित्तल का जन्म 2 सितंबर, 1950 को राजस्थान के चुरू जिले की राजगढ़ तहसील में स्थित छोटे से गांव शादूलपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहनलाल मित्तल था। लक्ष्मी संयुक्त परिवार में पैदा हुए थे और बाद में उनका परिवार कोलकाता चला गया। उनके के 2 भाई हैं – प्रमोद और विनोद मित्तल।
शिक्षा-आरम्भ
लक्ष्मी निवास मित्तल ने वर्ष 1957 से 1964 तक श्री दौलतराम नोपानी स्कूल से शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने कोलकाता के सेंट जेविएर्स कॉलेज (कोलकाता यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध) से वाणिज्य में बिजनेस ऐंड अकाउंटिंग में गैजुएशन की।
युवा लक्ष्मी का सफल इंडस्ट्रियलिस्ट बनना
उनके पिता मोहन लाल मित्तल का इस्पात का व्यवसाय था – निप्पन डेनरो इस्पात। भारत सरकार द्वारा स्टील के उत्पादन पर नियंत्रण की वजह से 26 वर्षीय लक्ष्मी निवास मित्तल ने 1976 में अपना पहला स्टील कारखाना ‘पी.टी. इस्पात इंडो’ इंडोनेशिया के सिदोअर्जो में स्थापित किया। 1990 के दशक तक भारत में मित्तल परिवार की परिसंपत्ति के रूप में नागपुर में शीट स्टील्स की एक कोल्ड रोलिंग मिल और पुणे के पास एक एलाय स्टील प्लांट था। आज के समय में भारत में मित्तल परिवार का व्यवसाय (जिसमें मुंबई के पास बहुत व्यापक इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट शामिल है) विनोद और प्रमोद मित्तल चलाते हैं, पर लक्ष्मी का इन व्यवसायों से कोई लेना-देना नहीं है। वर्तमान में लक्ष्मी मित्तल आर्सेलर मित्तल स्टील कंपनी के CEO और चेयरमैन हैं। इसके अलावा वे EADS, ICICI बैंक और इन्वेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी गोल्डमैन सैक्स के गैर-कार्यकारी निदेशक भी हैं। 2008 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।
परमार्थिक कार्य
2003 में उन्होंने प्रतिभावान भारतीय खिलाडियों के आर्थिक मदद और उन्हें प्रोत्साहन देने के लिए ‘मित्तल चैंपियंस ट्रस्ट’ की स्थापना की। 2008 में जब अभिनव बिंद्रा ने भारत के लिए ओलंपिक्स में स्वर्ण पदक जीता तब इस ट्रस्ट से उन्हें 1.5 करोड़ रू. पुरस्कार के रूप में दिए गए। 2012 के लन्दन ओलंपिक्स में उनकी कंपनी ‘आर्सेलर मित्तल’ ने ‘आर्सेलर मित्तल ऑर्बिट’ का निर्माण करवाया था।
एकेडेमिक सेवा कार्य
सन 2003 में लक्ष्मी निवास मित्तल और उषा मित्तल फाउंडेशन ने राजस्थान सरकार के साथ मिलकर जयपुर में ‘LNM इंस्टिट्यूट ऑफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी’ की स्थापना की। यह एक स्वायत्त और लाभ-निरपेक्ष संस्थान है।
लक्ष्मी निवास मित्तल फाउंडेशन ने SNDT वीमेन यूनिवर्सिटी के ‘इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी फॉर वीमेन’ को चंदे में एक बड़ी धन-राशि दी, जिसके बाद संस्थान का नाम बदलकर ‘उषा मित्तल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी’ कर दिया गया।
पब्लिक हेल्थ सेवा कार्य
2008 में मित्तल ने लन्दन स्थित ‘ग्रेट ओरमोंड स्ट्रीट हॉस्पिटल’ को लगभग 1.5 करोड़ ब्रिटिश पौंड का चंदा दिया। इस चंदे से अस्पताल में एक नए स्वास्थ्य सुविधा केंद्र की स्थापना हुई – मित्तल चिल्ड्रेन्स मेडिकल सेंटर।
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