250 रुपए में बिक रहे हैं 500-1000 के एक टन नोट, जानिए कौन है खरीददार
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नए नोट मिलने की खुशी के बीच कहीं न कहीं आपके मन में ये सवाल भी उठ रहा होगा कि आखिर पुराने 500-1000 के नोटों का सरकार क्या करेगी? आपके इस सवाल का जवाब हमारे पास है। आपके पुराने नोटों को बैंक में जमा कराते ही इस बात का हल भी निकाल लिया गया कि इन पुराने नोटों का क्या करना है।
दरअसल बैंक में ये पुराने नोट जमा होने के बाद इनके बंडल बनाकर इन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच ट्रकों में भरा जाता है। ट्रकों के जरिए ये पुराने नोट देश भर में स्थित आरबीआई के सेंटरों पर पहुंचाए जाते हैं। इन सेंटरों पर मशीन से इनके टुकड़े किए जाते हैं। इसके बाद इन्हें बोरी में भरकर री-साइकलिंग या ईंट बनाने वाले कुछ डीलरों के पास भेज दिया जाता है। इसके अलावा इन नोटों को केरल के कन्नूर जिले में वालापट्टनम नदी के किनारे स्थित वेस्टर्न इंडिया प्लाईवुड के यार्ड में भी पहुंचाया जा रहा है, जहां इनसे पल्प बनाया जाएगा।
नवभारत टाइम्स में छपी एक खबर के अनुसार, पिछले तीन हफ्तों में इस कंपनी को 500 और 1000 के 140 टन नोट मिले हैं। प्लाईवुड, हार्ड बोर्ड्स और लेमिनेट्स बनाने वाली इस कंपनी को नोटबंदी के ऐलान से पहले खुद आरबीआई ने ही चुना था। पहले इस कंपनी को ट्रायल बेस पर 10-15 बैग नोट दिए गए थे जिससे पल्प तैयार किया गया। कंपनी का काम आरबीआई को पसंद आया और आरबीआई ने कंपनी को नोटों का बड़ा कंसाइनमेंट भेजने का वादा किया। एक टन नोट के लिए कंपनी सेंट्रल बैंक को 250 रुपए चुकाती है।
कंपनी द्वारा तैयार किए गए पल्प का उपयोग फर्नीचर बनाने के लिए किया जा रहा है। कंपनी का कहना है कि ’’इस पल्प की मदद से लंबे समय तक चलने वाले कई प्रोडक्ट्स बनते हैं। हमारे करंसी नोट टॉप क्वॉलिटी पेपर से बने होते हैं इसलिए इससे तैयार पल्प से बने फर्नीचर भी लंबे समय तक चलने वाले होते हैं।’’
कुछ दशक पहले तक दुनिया भर के सेंट्रल बैंक पुराने नोटों को खत्म करने के लिए उन्हें जला देते थे लेकिन पर्यावरण को लेकर बढ़ रही चिंता के चलते सभी ने ऐसा करना बंद कर दिया है। ऐसे में उन्हें रिसाइकल करके उनका उपयोग करना एक अच्छा विकल्प है।
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