DMC के नतीजे में कोई आश्चर्य नहीं हुआ। बीजेपी को तो आना ही था। आप पार्टी दो बार क्या विजय हुई उसने दिल्ली को अपनी बपौती मन ली थी। राजनैतिक पार्टियों द्वारा जनादेश को जनता की कमजोरी समझ कर जो गलती की जाती है ये उसी का परिणाम है। कोई भी पार्टी जनता के जनादेश का दुरुपयोग करे ये जनता को मंजूर नहीं। एक तरफ गैर बीजेपी पार्टिया एक एक कर के अपना जनादेश खोती जा रही है वही दूसरी और बीजेपी लगातार विजय हो आगे बढ़ती जा रही है। ऐसा नहीं है की बीजेपी ही अच्छी पार्टी है , उसे भी जनता पहले आजमा चुकी है और बहार भी कर चुकी है। इन्हे भी समझ आ जाना चाहिए की इनके पास भी इसका परमानेंट पटटा नहीं है , जनता कभी भी बदल सकती है। कांग्रेस को तो बहुत से मौके मिले , या यु कहे की सबसे अधिक मौके उसी को मिले , किन्तु आज जो उसकी हालात है की वह अपना अस्तित्व ही ढूंढ़ने में लगी है। बाकि पार्टियों की हालात तो और भी बदतर है। पानी के बुलबुले की तरह आते और जाते रहते है।
जनता बार बार पार्टी बदल कर सत्ता का स्वाद देती आयी है , लेकिन सबने ही उसे निराश किया। ऐसा नहीं की काम नहीं हुए लेकिन काम की आड़ में उन्हने सत्ता के भरपूर मजे लिए और जनता के पैसे और विश्वास की धज्जिया उड़ाई । यही वजह है की जनता टेक्स को देने में अपना हाथ खींचती नज़र आती है। उसे यह टेक्स किसी जुर्माने से कम नहीं लगता है , जबकि यह देश के डेवलपमेंट के लिए उसका अंशदान है।साथ ही उसने भ्रस्टाचार कर पैसे खा उन पर से अपना भरोसा ही खो दिया, और जनता का प्रतिनिधि बनने के बजाये मालिक बन उन पर ही हुकूमत करने लगते है। कुल मिला कर जनता चिट होती ही नज़र आयी। यही कारन है की उसे जब जो उन सब में से बेहतर दिखा उसे चुन लिया। ज्यादार स्टेट्स में तो उन्होंने लोकल पार्टीज को चुन रखा है। और जहा लोकल पार्टीज में दम नहीं है नेशनल में जो पार्टी या व्यक्ति बेहतर दिखा उसे चुन लिया। कही भी एक पार्टी का जलजला नहीं है।जनता को न समझने की या ज्यादा समझने की गलतिया पार्टिया करती है तो जनता उनको उनकी औकात दिखा देती है। यह खेल लगातार चला आ रहा है।
इन सबके बाद भी पार्टिया आज भी समझ नहीं पा रही है। वो लफ्फाजी भरे भाषणों से , मुफ्त के लुभावने सब्जबागों से एक बारगी तो प्रभावित हो सकती है किन्तु बार बार उन्हें बरगलाना संभव नहीं है , ये बात समझ में आ जाना चाहिए। जनता देश और देश वासियो का विकास चाहती है ,काम और उन्नति के द्वारा विश्व में अपना सम्मानजनक स्थान चाहती है। जो भी पार्टी इस पर खरी उतारेगी वही इस देश पर राज करेगी , वरना जनता को मजबूरन ऐसे ही परिवर्तन कर बदलते रहना पड़ेगा। जयहिंद