इस ट्रैफिक इंस्पेक्टर की ईमानदारी को सलाम कर रहे लोग
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देश में कुछ हो न हो लेकिन सिस्टम के करप्शन को भयंकर गालियां पड़ती है। ये करप्शन पुलिस से लेकर प्रशासनिक विभाग में आपको कहीं न कहीं तो देखने को मिल ही जाता है। कई बार करप्शन को लेकर स्टिंग ऑपरेशन और खुलासे होते रहते है। इन सबके बीच ही एक ट्रेफिक पुलिस इंस्पेक्टर ने एक मिसाल कायम की है।
ओहदा चाहे छोटा हो या बड़ा हो अपना काम पूरी ईमानदारी से करना चाहिए। ऐसा मैने किसी बुजुर्ग के मुंह से सुना था और आज देख भी लिया। आज जिसके बारे में हम बताने जा रहे है उन्होंने अपनी ईमानदारी से एक मिसाल कायम की है। नोटबंदी के इस दौर में जहां लोग कैश की किल्लत से जूझ रहे है ऐसे में एक ट्रेफिक सब इंस्पेक्टर ने किसी का खोया पर्स उसे लौटाकर काबिले तारीफ काम किया है।
वाकया कुछ ऐसा है कि सोशल मीडिया की दुनिया पर इन दिनों एक बीएसएफ का जवान सीमा पर सैनिकों को दिए जाने वाले खाने को बताकर वायरल हो रहा है जिसके कारण कुछ लोग उसका साथ दे रहे है तो कुछ उस पर आरोप लगा रहे है। वहीं दिल्ली का ये ट्रेफिक पुलिस वाला जिसे सब सोशल मीडिया पर सलाम कर रहे है।
दिल्ली के इस पुलिसवाले का नाम मदन सिंह है और ये दिल्ली में ट्रेफिक सब इंस्पेक्टर है। इन्होंने एक व्यक्ति का खोया हुआ पर्स उन्हें लौटाया जिसमें 50 हजार रूपए कैश के अलावा डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और पहचान पत्र थे। जब पर्स के मालिक को पर्स वापस लौटाया तो पर्स के मालिक ने इंस्पेक्टर की फोटो और पूरी जानकारी सोशल मीडिया पर शेयर की।
फेसबुक पर यह ट्रेफिक इंस्पेक्टर काफी वायरल हो रहा है और लोग इन्हें सलाम कर रहे है। पर्स के मालिक जगप्रीत सिंह ने दिल्ली पुलिस की फेसबुक वॉल पर लिखा मैं दिल्ली पुलिस के सब-इंस्पेक्टर मदन सिंह की ईमानदारी साझा कर रहा हूं, जिनका आईडी नंबर 6149 है. 7 जनवरी 2017 को मेरा पर्स निजामुद्दीन खाटा के पास खो गया, जब मैं अपनी खराब हो चुकी कार को धकेल रहा था.’ प्रीत विहार निवासी ने लिखा, ’जब मैं घर पहुंचा तो कार में और घर में अपना वॉलेट सर्च किया, लेकिन कहीं नहीं मिला, कुछ समय बाद मुझे सब-इंस्पेक्टर मदन सिंह का फोन आया और बताया कि मेरा पर्स उनके पास है।’’
जगप्रीत सिंह ने ये भी बताया कि पर्स पर एक साइकिल सवार की नज़र पड़ी और वह इसे उठा रहा था तभी मदन सिंह ने देखा और रोक लिया। उन्होंने इस पर्स को अपने कब्जे में लिया। इसमें विदेशी करंसी सहित 50 हजार रूपए थे। डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के अलावा जरूरी पहचान पत्र थे। इंस्पेक्टर ने विजिटिंग कार्ड के जरिए जगप्रीत सिंह से संपर्क किया और इसे लौटाया।
तो आप भी आपके पर्स का ध्यान रखे। जरूरी नहीं कि सभी लोग इंस्पेक्टर मदन सिंह की तरह ईमानदार हो। इंस्पेक्टर मदन सिंह की ईमानदारी काबिले तारीफ है तो हो सके तो आप भी मदन सिंह की ईमानदारी को शेयर करने में सहयोग करें।
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