सितंबर से दिल्ली यूनिवर्सिटी में दिल्ली स्कूल ऑफ ट्रांसनैशनल अफेयर्स स्टूडेंट्स के बीच होगा। यह एक ऐसा स्कूल होगा जिसमें कोई कोर्स नहीं होगा और ना ही कोई क्लासरूम। इस स्कूल का एक वर्चुअल नेटवर्क होगा, जिसके जरिए फैक्लटी और स्टूडेंट्स मिलकर ग्लोबल रिसर्च वर्क पर फोकस करेंगे। इस ऑनलाइन स्कूल से डियू केवल देशभर की यूनिवर्सिटी से नहीं बल्कि विदेशों की टॉप यूनिवर्सिटी से भी जुडे़गे।
डीयू के अधिकारियों का कहना है कि करीब 10 फॉरेन यूनिवर्सिटी स्कूल से जुड़ने के लिए तैयार हो चुकी हैं। स्कूल को भी यूनिवर्सिटी की एग्जिक्युटिव काउंसिल से भी मंजूरी मिल चूकी है, और अब काम भी तेजी पर है।
स्कूल का एक डायरेक्टर और एक ऐकडेमिक डायरेक्टर होगा। ऐकडेमिक डायरेक्टर डीयू से हटकर कोई रिटायर्ड ऐकडेमिक भी हो सकता है, यह एक ऑनरेरी पोस्ट होगी। शुरूआती समय में 8 से 10 इंटर-डिसिप्लनरी थीम पर काम होगा। हर थीम के लिए एक कॉर्डिनेटर होगा, उसके साथ 4-5 प्रोफेसर्स और स्टूडेंट्स टीम का हिस्सा बनेंगे। डॉ. आचार्य कहते हैं, हर थीम के लिए हमने कॉन्सेप्ट नोट्स तैयार कर लिए हैं, जिसमें हम फॉरेन यूनिवर्सिटीज के प्रोफेसर्स से मदद लेंगे। जैसा कि ग्लोबल जस्टिस थीम पर कॉन्सेप्ट नोट्स मैंने और यूएस, यूरोप, फिलीपींस के प्रोफेसर्स ने मिलकर तैयार किए हैं। वेबसाइट पर कॉन्सेप्ट नोट्स, उसके रिसोर्सेज, थीम पर काम कर रहे सभी मेंबर्स के नाम दिए जांएगे। पोर्टल में ब्लॉग्स लिखे जाएंगे। वेबसाइट के जरिए सभी टीम देश-विदेश की दूसरी यूनिवर्सिटी से जुडेंगी।
आपको बता दे कि यह देश का पहला ऑनलाइन रिसर्च प्लैटफॉर्म हेगा। स्कूल डीयू के वाइस चांसलर प्रो. त्यागी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस वजह से एमफिल और पीएचडी स्टूडेंट्स हायर लेवल की रिसर्च में शामिल होंगे। साथ ही यूजी स्टूडेंट्स को भी इससे जोड़ा जाएगा। प्रोफेसर अशोक बताते हैं कि यह वेबसाइट हायर रिसर्च के लिए एक ओपन मॉडल होगी, जिसकी देश में सख्त जरूरत हैं। डॉ. आचार्य कहते हैं, भारत अपनी इकोनॉमी के जरिए पूरी दुनिया से जुड़ा है। यह एक ग्लोबल लीडर भी है, जिस पर खासतौर पर एशिया के कई देश निर्भर करते हैं। ऐसे में देश को सोशल, पॉलिटिकल, इकोनॉमिकल रिसर्च की जरूरत है, जो इंडस्ट्री के साथ आम लोगों से भी जुड़े। इस स्कूल के जरिए हम इन्हीं आयाम पर काम करेंगे।
डीयू का मानना है कि भारत में फंड की बड़ी दिक्कत है इस वजह से भी हमने इस ऑनलाइन रिसर्च सेंटर का प्लान बनाया है। इस कॉन्सेप्ट पर विदेशों में रिसर्च के लिए स्पेशल सेंटर्स होते हैं क्योंकि वहां फंड की परेशानी नहीं है।