इस देश पर लगे आतंकवाद के आरोप, चार देशों ने तोड़े संबंध
सऊदी अरब, बहरीन, यूनाइटेड अरब अमीरात (UAE) और मिस्र ने आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए कतर से डिप्लोमैटिक रिलेशन खत्म कर लिए । इस बीच अबु धाबी की एतिहाद और अमीरात एयरलाइंसों ने कतर जाने वाली अपनी सभी उड़ानों को रद्द कर दिया है। सऊदी, मिस्र, बहरीन और UAE इन चारों देशों ने कतर से अपने डिप्लोमैटिक रिलेशन खत्म करना इसलिए बेहतर समझा क्योंकि उनके अनुसार कतर आतंकवाद को समर्थन देता है। उनके इस फैसले से 36 साल पुराने गल्फ यूनियन में दरार पड़ गई। बता दें कि सऊदी, UAE, बहरीन, ओमान और कतर ने गल्फ को-ऑपरेशन काउंसिल (GCC) का गठन किया था। यह काउंसिल, मिडल ईस्ट में काफी रसूख रखता था।
मुस्लिम ब्रदरहुड, ISIS और अल कायदा क़तर में एक्टिव
सऊदी अरब के एक ऑफिशियल सोर्स के मुताबिक, “हम अपने पड़ोसी मुल्क कतर से रिलेशन खत्म कर रहे हैं। वह आतंकियों को पनाह दे रहा है। साथ ही वहां मुस्लिम ब्रदरहुड, ISIS और अल कायदा जैसे आतंकी संगठन एक्टिव हैं। देश की नेशनल सिक्युरिटी से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।” सऊदी ने कतर से सारे डिप्लोमैटिक और कॉन्स्युलर रिलेशन रद्द करने का फैसला किया है। और यह भी कहा है कि पिछले कुछ सालों में कतर ने नियम-कायदों का जमकर वॉयलेशन किया है, कतर के साथ जमीन, समुद्र और फ्लाइट्स के जरिए अब कोई संपर्क नहीं रखा जाएगा।
कतर की भारत और अन्य देशों के लिए अहमियत
कतर लिक्विफाइड नेचरल गैस (LNG) बेचने वाला सबसे बड़ा देश है। वह दुनिया की एक तिहाई LNG की डिमांड पूरी करता है, भारत हर साल उससे 85 लाख टन गैस खरीदता है। भारत, कतर से LNG खरीदने वाला जापान के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है। कतर के अल-उदैद एयरबेस पर US मिलिट्री की सेंट्रल कमांड के 10,000 सैनिक रहते हैं।
कतर पर क्या होगा असर?
चारों देशों के इस फैसले के बाद कतर के डिप्लोमैट्स को 48 घंटे में ये देश छोड़ने होंगे, कतर के नागरिकों को इसके लिए 2 हफ्ते का वक्त दिया गया है। साथ ही कतर अब मिस्र, सऊदी अरब, बहरीन और UAE के एयरस्पेस और पोर्ट्स का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। अमीरात और एतिहाद एयरलाइंस ने कतर की अपनी सभी उड़ानों को सस्पेंड कर दिया है।
गल्फ कंट्रीज ने क्यों उठाया ये कदम?
काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशन के गेल जेमाख के मुताबिक इन चारों देशों द्वारा यह बड़ा फैसला लेने की तीन वजहें हैं :-
1. सऊदी की अगुआई में गल्फ देशों का मानना है कि कतर मुस्लिम ब्रदरहुड (एक सुन्नी कट्टरपंथी संगठन) के मेंबर और मिस्र के पूर्व प्रेसिडेंट मोहम्मद मुरसी को सपोर्ट करता था। मार्च 2014 में सऊदी अरब, UAE और बहरीन ने कतर से अपने एम्बेसडर्स बुला लिए थे।
2. हाल ही में डोनाल्ड ट्रम्प ने सऊदी का दौरा किया था। ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन मानता है कि कतर, ईरान को सपोर्ट करता है। अमेरिका, ईरान का विरोधी है।
3. कतर पर आरोप था कि मई में हैकर्स ने उसकी न्यूज एजेंसी पर कब्जा कर लिया था। इसमें उसके अमीर की तरफ से ईरान और इजरायल पर कमेंट्स किए गए थे। इन देशों ने इस पर नाराजगी जताते हुए दोहा बेस्ड अल जजीरा नेटवर्क समेत कतर मीडिया को ब्लॉक करने की बात कही थी।
इस सम्बन्ध समाप्ति पर कतर का तर्क
कतर ने चारों देशों के फैसले को अपनी सॉवेरीनटी (प्रभुसत्ता) का वॉयलेशन बताया। अपने सिटिजंस से कहा कि फैसले से उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बता दें कि 2013 में दोहा में अफगान तालिबान ने भी अपना एक ऑफिस खोला था।कतर में 2022 में फुटबॉल वर्ल्ड कप होना है। साथ ही वह ISIS से लड़ रहीं अमेरिकी अगुआई वाली कोएलिशन फौजों का मेंबर भी है।
भारत पर इस सम्बन्ध समाप्ति का यह होगा असर
करीब 6 लाख 50 हजार भारतीय रहते हैं कतर में। वैसे भारत से कतर आने-जाने पर संभवत: कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि फ्लाइट्स फारस की खाड़ी होकर दोहा जाती हैं। अगर सऊदी समेत कुछ देश कतर जाने वाली फ्लाइट्स पर बैन लगाते भी हैं, तो ये फारस की खाड़ी पर लागू नहीं होगा। लेकिन कतर में रहने वाले भारतीयों को सऊदी अरब, मिस्र, बहरीन और UAE जाने में परेशानी हो सकती है। चारों देशों ने कतर को एयरस्पेस और पोर्ट्स देने से कड़ाई से मना कर दिया है। भारतीयों को अगर इन देशों में जाना है तो कई देशों से घूमकर जाना होगा। पेट्रोनेट LNG कंपनी में फाइनेंस हेड आर.के गर्ग के मुताबिक इन 4 अरब देशों के कतर से रिश्ते खत्म करने का भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पेट्रोनेट LNG, भारत की सबसे बड़ी गैस इम्पोर्टर कंपनी है। ये हर साल 85 लाख टन LNG खरीदती है।
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