350 ml खून से बचा सकते है तीन लोगो की जिंदगी
अक्सर हम लोग रक्तदान करने से कतराते है। यह जानते हुए कि हम अपने खून के कुछ बूदों से कई मौते रोक सकते है। स्वेच्छा से रक्तदान करने पर जहां फीलगुड का एहसास होता है। वहीं दूसरी तरफ यह कदम हमारे स्वास्थ के लिए भी फायदेमंद है। पर हम यह समझते हैं कि हमें इससे खतरा होता है। लेकिन अब हम आप को एक ऐसे व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे है। जिन्होंने अपने जिंदगी में अब तक 1954 लीटर खून दान किया है। उनके इस दान से आज वह 90 साल की उम्र में भी सेहतमंद और खुशहाल जिदंगी जी रहे है। बता दें कि रक्तदान हार्ट अटैक, कैंसर और मोटापे से मुक्ति दिलाने में सहायक है।
दक्षिण अफ्रीका के 90 वर्षीय मॉरिस क्रेसविक और अमेरिका के हॉराल्ड मेनडेनहाल 88 वर्ष की उम्र में भी स्वस्थ और खुशहाल जिंदगी जी रहे है। दोनों इस उम्र में किसी प्रकार की दवाई नहीं लेते है। अपने खुशहाल जीवन के बारे में बताते हुए क्रेसविक ने कहते हैं कि मौत को मात देने वाली खून की यह खूबी मेरे स्वस्थ मन का राज है और धूम्रपान से दूरी मेरी सेहत का ’मंत्र’ है। वहीं मेनडेनहाल अपने पत्नी और तीन बच्चों के मौत के गहरे सदमे से उबरने के लिए रक्तदान को अपने जीवन में शामिल किया। वह खूनदान कर कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगो की मदद कर रहे है।
18 साल की उम्र में किसी अजनबी ने बचाई थी क्रेसविक की जान
दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ईल्फिन लॉज रिटायरमेंट विलेज में रह रहे मॉरिस क्रेसविक कहते है कि, जब वह 18 साल के थे तो एक सड़क हादसे में गंभीर रुप से घायल हो गए थे। उस समय किसी अजनबी ने खून देकर क्रेसविक की जान बचाई थी। तब से क्रेसविक ने अपने शरीर में बह रहे लाल गुलाब से कई जिंदगियों में खुशबु और रंग भरने का प्रण लिया और मन की खूबसूरती की मिसाल पेश करते हुए अपने जैसे हजारों चेहरों के लिए आर्दश बनें।
अबतक 413 पाइंट्स यानी 1954 लीटर खून दान करने वाले क्रेसविक को नियमित रुप से सर्वाधिक खून देने वाले व्याक्ति के रुप में वर्ष 2010 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल किया गया था। वह कहते है कि खून की एक-एक बूंद अहमियत रखती हैं और इस बूंद से हम कई लोगो की जान बचा सकते है।
पत्नी की मौत से उबरने के लिए शुरु किया रक्तदान
अमेरिका के फ्लोरिडा में रहने वाले मेनडेनहाल अपनी पत्नी के कैंसर से मौत हो जाने के बाद सदमे से उबरने के लिए मेनडेनहाल ने 7 जुलाई 1977 से रक्त दान कर रहे हैं। अपने दो जवान बेटों को भी खोने वाले मेनडेनहाल ने कभी रक्तदान से मुंह नहीं मोड़ा। अपने स्वस्थ जीवन के बारे में बताते हुए मेनडेनहाल कहते है कि वह अबतक 400 गैलन खून दे चुके है।
वह खून देते समय अधिकतर प्लेटलेट्स दान देते है। जिससे की गंभीर बीमारिया जैसे कैंसर से जूझ रहे लोगो को प्लेटलेट्स की समस्या से बच जाए और उनका जीवन भी। हर साल छह गैलन खून देने वाले मेनडेनहाल कहते है कि “ईश्वर ने मुझे जो कुछ भी दिया है मैं उसका कर्जदार हुॅ और खून देकर उसके प्रति अपना दायित्व निभाने का प्रयास कर रहा हूॅ।”
रक्त ’यज्ञ’ में आहुति डालने वालों की संख्या बढ़े
रेडक्रॉस सोसायटी के संयुक्त सचिव एवं कार्यवाहक महासचिव डॉ वीर भूषण ने न्यूज एजेंसी यूनीवार्ता से बात करते हुए कहा कि, ‘‘चूंकि खून की ना तो कोई फैक्ट्री है और ना ही इसे किसी से जबरदस्ती लिया जा सकता है।’’ डॉ वीर कहते हैं कि अगर थैलेसीमिया, कैंसर, सड़क हादसे एवं बड़े ऑपरेशन जैसी कई परिस्थितियों में समय पर खून देकर मरीजों की जान बचाई जा सकती है। विश्व स्वास्थ संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरुरत है लेकिन हमारे पास केवल 75 लाख यूनिट ही उपलब्ध हो पाती है और करीब 25 लाख यूनिट खूनकी कमी है।
डॉ भूषण कहते है कि आम तौर पर लोगो में गलत धारणा बनी हुई है कि रक्तदान से कमजोरी होती है और एचबी का स्तर कम होने समेत कई परेशानियां होती है जबकि सच्चाई इसके उलट है। विशेषज्ञों के अनुसार देश में कुल रक्तदान का केवल 59 फीसदी स्वैच्छिक तौर होता है। ऐसे में हमें आवश्यकता यह है कि इस ’यज्ञ’ में हमें स्वेच्छा से आहूति देने वालों की संख्या बढ़ाए। डॉ भूषण ने कहा कि “व्यक्तियों द्वारा स्वेच्छा से दान किया गया खून सबसे अच्छी गुणवत्ता का होता है और हमारे देश में ऐसे कई ‘मॉरिस क्रेसविक’ और ‘हॉराल्ड मेनडेनहाल’ की जरूरत है।”
विकसित देश के मुकाबले विकासशील देश में कम होता है रक्तदान
राम मनोहर लोहिया अस्पताल के डॉ़ प्रभात कुमार (एमडी मेडिसिन) ने कहा कि एक यूनिट यानी 350 मिलीलीटर खून से तीन लोगों की जान बचाई जा सकती है। रक्तदान करने से खून में आयरन की मात्रा कम होती है जिससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है और हमारे दिल की धमनियों, पेनक्रियाज और लिवर में जमने वाली आयरन कम होता है और हम स्वस्थ रहते है।
- - Advertisement - -
डब्ल्यूएचओ कि रिपार्ट के अनुसार दुनिया में उच्च आय वाले देश यानी विकसित देशों में प्रति एक हजार पर 33.1 लोग रक्तदान करते है। जबकि मध्यम आय वाले देश यानी कि विकासशील देश में प्रति एक हजार पर 11.7 लोगा रक्तदान करते है। ऐसे में इन देशों में रक्त दान के प्रति जागरुकता बढ़ाने और भ्रांतिया दूर करने की आवश्यकता है।