गरीबी के चलते नहीं बन पाए थे डॉक्टर, आज कई बड़े डॉक्टर्स करते हैं इनकी कंपनी में काम
कहते हैं अगर व्यक्ति सच्चे मन से कुछ भी करने की ठान ले तो वो कुछ भी कर सकता है। आज हम आपको एक ऐसे ही सफल व्यक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं , जिन्होंने देश के एक ऐसे राज्य से शुरूआत कर पूरी दुनिया में अपनी कामयाबी का डंका बजाया। जहां उस दौर में शिक्षा जैसी मूलभूत व्यवस्थाओं का अभाव था। किसान परिवार में जन्मे इस व्यक्ति ने बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देखा था, लेकिन गरीबी की वजह से इन्हें अपने सपने का त्याग करना पड़ा। पेट भरने के लिए पटना में एक छोटे से दवाई की दुकान की शुरूआत कर 30 से ज्यादा देशों में अपना कारोबार फैलाते हुए देश के सबसे अमीर लोगों की सूची में शामिल हो गए हैं।
संप्रदा सिंह आज देश के सबसे बड़े इंडस्ट्रीयलिस्ट्स में से एक हैं। एल्केम लेबोरेटरीज नाम की एक मल्टीनेशनल फार्मा कंपनी की आधारशिला रखने वाले सिंह की पहचान देश के सबसे प्रभावशाली फार्मास्यूटिकल बिजनेसमैन के रूप में होती है। बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि इन्हें फार्मा इंडस्ट्री के ऑस्कर के समकक्ष एक्सप्रेस फार्मा अवॉड्र्स से भी नवाजा गया है।
बिहार के जहांनाबाद जिले के छोटे से गांव ओकरी के एक किसान परिवार से तालुक्क रखने वाले संप्रदा सिंह डॉक्टर बनना चाहते थे। घर की आर्थिक हालत दयनीय होने के बावजूद पिता ने तैयारी करने के लिए इन्हें पटना भेजा। मेहनत करने के बाद भी परीक्षा में सफलता नहीं मिली। जहां यहां निराशा हाथ लगी, तो रोजगार के लिए नए अवसर तलाशे। इसी कड़ी में उन्होंने साल 1953 में पटना में एक छोटे से दवा की दुकान शुरू की। लेकिन हमेशा से ऊंची सोच रखने वाले सिंह ने साचा कि जब शून्य से शुरूआत कर एक सफल डिस्ट्रीब्यूशन फर्म बनाई जा सकती है तो क्यों न हम अपनी ही एक फार्मा ब्रांड बाजार में उतारें। इसी सोच को लेकर वे मुंबई पहुंचे। उन्होंने एल्केम लैबोरेटरीज नाम से खुद की एक फार्मा कंपनी खोली। पूंजी कम लगाने की वजह से पांच साल का गहरा संघर्ष करना पड़ा। लेकिन करीब 16 साल बाद उनकी लाइफ में टर्निंग पॉइन्ट आया, जब एल्केम लैब ने एक एंटीबायोटिक कंफोटेक्सिम का जेनेरिक वर्जन टेक्सिम बनाने में सफलता हासिल की। आज स्थिति ये है कि उनकी 25 करोड़ की फार्मा कंपनी में बड़े-बड़े डॉक्टर्स तक काम करते हैं।
एल्केम लैबोरेटरीज आज फार्मास्युटिकल्स और न्यूट्रास्युटिकल्स बनाती है। 30 देशों में अपने काम का विस्तार करते हुए आज दुनिया के फार्मा सेक्टर में इसकी पहचान है। आपको बता दें कि फोब्र्स इंडिया ने 100 टॉप भारतीय धनकुबेरों की सूची में संप्रदा सिंह को 52वां स्थान दिया है। इतना ही नहीं 2.8 बिलियन की प्रॉपर्टी के धनी सिंह यह दर्जा हासिल करने वाले पहले बिहारी इंडस्ट्रीयलिस्ट हैं।
आज संप्रदा सिंह की उम्र 92 से ज्यादा है। उम्र के इस पड़ाव पर वे थके नहीं। उनकी इस सफलता से सीख मिलती है कि सफलता के आगे उम्र को भी झुकना ही पड़ता है।
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