बहुत हुई ठण्ड, अब समय है नए साल में युवा शक्ति से गर्माहट लाने का
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युवा, एक ताजगी, अदम्य साहस, उत्साह, प्रबल शक्ति, क्षमतावान, ऊर्जा जैसी अनेक विशेषताओं का जोड़ है। परिवर्तन की कहीं उम्मीद की जा सकती है तो उसकी संभावना युवाओं से ही है। भ्रष्टाचार हो, आतंकवाद हो या और कोई समस्या हो उसको समाप्त करने की संभावना युवाओं में ही है। युवा मतलब सिर्फ तन से युवा नहीं बल्कि मन से युवा भी है फिर वो कोई भी उम्र के हो। गत वर्ष में हमने बहुत सी समस्या को देख लिया फिर चाहे वो आतंकवाद हो, कश्मीर के दंगे हो, कालाधन हो या फन फैलाए भ्रष्टाचार हो। देश की संसद, विधानसभाओं से लेकर सड़क तक राजनीति का फूहड़ नाच ही क्यों न हो। सब तरफ हाहाकार ही दिखलाई पड़ता है। ऐसे में देश विकास की बात सोचना भी अजीब सा लगता है। गत कई दिनों से भारत में ठण्ड सी छाई हुई है जो सिर्फ भारत के विकास ही नहीं, संपूर्ण आर्थिक विकास पर छाई हुई है, जिसकी धुंध को अब युवा शक्ति में गर्माहट और जुनून द्वारा ही मिटाया जा सकता है इसलिए इस युवा शक्ति का आगाज़ कर नव वर्ष 2017 में कुछ ऐसे प्रण करें, कुछ ऐसी परम्पराओं, बातों से मुक्त हो ताकि देश उन्नति और विकास की ओर अग्रसर हो सके।
बहुत सी छोटी-बड़ी बातें हैं जो जानने समझने योग्य है जिन पर विचार कर कुछ अच्छे प्रण किए जा सकते हैं। कुछ ऐसी बातें, आदतें हैं जिनसे आज़ाद हो हम अपना, देश का विकास कर सकते हैं। एक अच्छे भारत का निर्माण कर सकते हैं। सोच होगी तो समाधान भी होंगे।
1. समय है कुंठित मानसिकता से मुक्ति का। रुढ़िवादी परंपराओं में बदलाव का। एक ऐसी सोच का जिसमें हम अपने युवाओं के लिए एक ऐसा रोडमेप दे सकें जिस पर वे स्वयं की व देश के विकास की गाड़ी को तेज गति दे सकें।
2. समय है हमारी उस सोच में बदलाव का जहां हमने अपनी संस्कृति को विश्व की चकाचौंध के चलते उसका अंधानुकरण कर बगैर सोचे-समझे छोड़ दिया। ये जरूरी नहीं कि हर चमकती चीज़ अच्छी ही हो, पहले विवेचना कर फिर उस पर अमल करें।
3. समय है देश में धर्म-जाति के नाम पर लड़ाने के बजाए, आरक्षण के नाम पर राजनीति करने के बजाए, सभी समाज व वर्गो में जो भी उत्थान के लिए छूटे हैं उन लोगों को सरकारी सुविधाएं मुहैया करवाई जाए ताकि वे विकास की राह में एक दूसरे के खिलाफ दुर्भावनाओं से खड़े होने की बजाए एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधे मिलाकर विकास की गाथा लिख सकें।
4. समय है हम अपनी युवा शक्ति की ऊर्जाओं को एक नया आयाम दें। एक ऐसा दंगों, हड़ताल, कामबंदी से मुक्त हो काम करने का माहौल दें जिसमें वे आने वाले कल की विकास की इबारत लिख सकें।
5. समय है देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कर युवा ऊर्जा को एक नई ऊंचाई दे सकें ताकि वे विश्वव्यापी चुनौतियों का सामना कर सकें।
6. समय है समझ रखने वाले युवाओं के राजनीति में प्रवेश का ताकि देश-विकास के बढ़ते कदमों में युवा सोच का समावेश हो सकें, नित नई चुनौतियों से सामना करने में उस सोच का फायदा मिल सकें।
7. समय है राजनीति में कुछ ऐसे बदलाव का जैसे पार्टियों द्वारा चुनावी चंदे को आरटीआई के दायरे में लाया जा सके, चुनाव सुधार किया जा सके। राजनीति किसी लाभ को पाने का साधन न बनकर समाज के उत्थान का कार्य कर सके ताकि राजनीतिक व्यक्तियों, दलों की विश्वसनीयता बढ़ सके और भ्रष्टाचारियों पर लगाम लगाई जा सके।
8. समय है सरकार की सोच में बदलाव का, जहां सरकार की सोच व्यापार करने वालों के पक्ष में न होकर गरीब को गरीब रखने की रही है, जिससे सरकार सिर्फ और सिर्फ उनको फायदा देकर उनसे वोट बटोरे सके और उनकी गरीबी को बरकरार रख सके। उस अनुसार ही उसकी टैक्स पॉलिसियां बनी हुई हैं। टैक्स अंशदान न होकर जुर्माना प्रतीत होता है जबकि व्यापार से सभी को लाभ मिलता है, सरकार को देश चलाने हेतु धन मिलता है उसकी सभी बातें विकास की ओर जाती है। सरकार को सोच में बदलाव कर अपनी टैक्स की पॉलिसियां बनानी चाहिए।
9. समय है न्यायिक व्यवस्था में बदलाव का जिसमें समाजिक स्तर पर, संस्थागत स्तर पर कुछ ऐसी समितियां गठित की जानी चाहिए, जिसमें विवादों को प्रारंभिक स्तर पर विवेचना कर, बातचीत कर, सुलझाया जा सके ताकि एक तो छोटी-छोटी समस्याओं पर त्वरित निर्णय हो सकेगा, दूसरा मुख्य कोर्टो में भी लोड कम होने से वहां भी त्वरित निर्णय हो पाएगा।
10. समय है सामाजिक स्तर पर बदलाव का जिससे समाज स्तर पर युवाओं के रोजगार की व्यवस्था तीव्र गति से हो सके और समाज में फैली विषमताएं दूर हो सके और समाज स्तर पर फैले कई प्रकार के आडम्बरों से बचा जा सके।
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