कहते हैं कि ऊपर वाला जब भी देता है छप्पड़ फाड़ कर ही देता है। जब उसकी मर्जी होती है तो आपकी किस्मत पलटते देर नहीं लगती। आप पल भर में करोड़पति बन जाते हो। कुछ ऐसा ही पुणे की श्रद्धा मेंगशेट्टे के साथ हुआ। उनकी किस्मत भी कुछ यूं पलटी की वो एक ही दिन में करोड़पति बन गई। अब आप भी सोच रहे होंगे कि एक आम लड़की करोड़पति कैसे बन गई।
पुणे के एआईएसएसएमएस इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने वाली एक सामान्य सी लड़की जिसे मां-बाप मोबाइल दिलाने से भी कतरा रहे थे आज वो लड़की एक करोड़पति बन गई है। आपको बता दें कि श्रद्धा को ये पुरस्कार खुद प्रधानमंत्री ने दिया। श्रद्धा कुछ दिनों पहले तक एक मोबाइल खरीदना चाहती थी लेकिन उसी मोबाइल ने अब उसे करोड़पति बना दिया।
इसी साल जनवरी में श्रद्धा स्मार्टफोन लेना चाहती थी। स्मार्टफोन की कीमत 7500 रूपए थी और मां-बाप राजी नहीं थे लेकिन बाद में जब श्रद्धा को पता चला कि स्मार्टफोन आसान ईएमआई पर भी उपलब्ध है तो श्रद्धा ने उसे आर्डर कर दिया। फोन की ईएमआई 1590 रूपए थी। कुछ दिन बाद यही ट्रांजैक्शन उसके लिए एक करोड़ का खजाना बन गया।
श्रद्धा इसी स्मार्टफोन के कारण आज करोड़पति बन गई। दरअसल श्रद्धा को सरकार द्वारा चलाई गई लकी ग्राहक योजना में एक करोड़ रूपए के प्राइम विजेता के रूप में चुना गया है। 14 अप्रैल को पीएम मोदी द्वारा श्रद्धा को ये पुरस्कार दिया गया था। उत्साहित श्रद्धा ने बताया कि ‘मुझे स्मार्टफोन चाहिए था। जब मैने अपने पैरेंट्स से कहा तो उन्होंने सीधे मना कर दिया।’
हालांकि काफी मान-मनौव्वल के बाद वे तैयार हो गए। मोबाइल का दाम 7500 रूपए था। हमारे लिए ये राशि अधिक थी। मुझे दूसरो फोन लेने को कहा गया लेकिन मैने इस फोन को ऑनलाइन ही बुक कर दिया और ईएमआई पर खरीद लिया। 11 अप्रैल को सेंट्रल बैंक के मैनेजर ने श्रद्धा के घर पहुंच कर उन्हें इस विजेता पुरस्कार के बारे में जानकारी दी।
श्रद्धा ने बताया, ’मैनेजर ने ये भी बताया कि प्राइज़ मनी खुद पीएम देंगे। हमें अमाउंट के बारे में नहीं पता था, इसका पता हमें तब लगा जब हम नागपुर की बस में बैठ गए।’ हालांकि इतनी उपलब्धियों के बावजूद श्रद्धा अपने पैरंट्स की डांट से बच नहीं सकी। उसने बताया, ’मुझे कई कार्यक्रमों में आमंत्रित किया गया। लेकिन मेरे माता-पिता को लगता है कि स्मार्टफोन बेकार की चीज है और वे मुझे पढ़ाई पर ध्यान लगाने को कहते रहते हैं।’ श्रद्धा की मां मीरा गृहिणी हैं और पिता मोहन किराने की दुकान चलाते हैं। उन्होंने इस रकम को सेविंग अकाउंट में जमा कर दिया है।