पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने पाक की राजनीती में उथल-पुथल ला देने वाला अपना फैसला सुनाकर नवाज शरीफ को पीएम पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। पाकिस्तानी के लिए यह कोई सामान्य फैसला नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में साफ नहीं हो सका है कि नवाज को कितने समय के लिए अयोग्य ठहराया गया है। इस मामले में कानूनी विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है। नवाज के मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश पूरी तरह से इस्लामिक व्याख्याओं पर आधारित है। जनरल जिया उल हक के दौर में इन व्याख्याओं को संविधान में शामिल किया गया था।
परिवार और पूरी पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत साबित हुए ये कानून
इस पुरे अप्रत्याशित वाकये में सबसे दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) की पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान जब 18वें संशोधन के तहत संविधान में बदलावों को लेकर संसद में बहस हो रही थी, तब नवाज की पार्टी PML-N ने जनरल जिया के समय जोड़े गए उक्त प्रावधानों में सुधार करने का विरोध किया था। उन्होंने जिया के समय में आए जिन कानूनों का बचाव किया, अब उन्हीं कानूनों ने नवाज, उनके परिवार और पूरी पार्टी को इतनी बड़ी मुसीबत में डाल दिया है।
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार ने अदालत के इस फैसले की पूरी जानकारी दी है। इसके मुताबिक, रेप्रिज़ेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1976 (ROPA) के अनुच्छेद 78 के अनुसार किसी भी नेता द्वारा फर्जी या गलत जानकारियां देना ‘भ्रष्टाचार’ के अंतर्गत आता है। इसी कानून के सेक्शन 82 में भ्रष्टाचार संबंधी मामलों की सजा तय की गई है। कानून के अनुसार, भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में दोषी पाए जाने पर जेल की सजा का प्रावधान है। यह सजा 3 साल या इससे ज्यादा समय के लिए दी जा सकती है। सजा के अलावा 5,000 रु. तक का जुर्माना या जेल व जुर्माना दोनों सजाएं भी दी जा सकती हैं। नवाज के मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें ROPA के सेक्शन 99 (F) और संविधान के अनुच्छेद 62 (1) (F) के अंतर्गत दोषी ठहराया।
नवाज पर झूठी जानकारी देने का दोष साबित हुआ
संसद सदस्यता की योग्यता का वर्णन करते हुए पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 62 (F) में बताया गया है कि संसद में शामिल होने की इच्छा रखने वाला शख़्स समझदार, धार्मिक, ईमानदार और भरोसेमंद होना चाहिए। साथ ही वह भ्रष्टाचारी भी न हो। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इसी कानून के आधार पर नवाज को दोषी करार देते हुए PM पद के लिए अयोग्य घोषित किया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि नवाज ने 2013 में हुए आम चुनावों में समय दाखिल किए गए अपने कागजातों में उस संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया, जो कि UAE में उनकी ‘नौकरी’ के एवज में उन्हें मिला था। साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि नवाज ROPA 1976 के सेक्शन 99 (F) और संविधान के अनुच्छेद 62 (1) (F) द्वारा दी गई परिभाषा के मुताबिक ईमानदार साबित नहीं हुए हैं। इसी आधार पर कोर्ट ने उन्हें मजलिस-ए-शूरा (संसद) का सदस्य होने के लिए अयोग्य ठहरा दिया।
कितने समय तक नवाज रहेंगे अयोग्य, कोर्ट के आदेश में यह स्पष्ट नहीं
इस पैराग्राफ के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तान चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह नैशनल असेंबली में नवाज की सदस्यता को खारिज कर दे। नवाज की यह अयोग्यता कितने समय के लिए है? इस प्रश्न के उत्तर में सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश खामोश है। क्या नवाज के खिलाफ आगे भी कानूनी कार्रवाई जारी रहेगी? इस बारे में भी अदालत के आदेश में कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया है। कानूनी जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का ताजा आदेश नेताओं को अपने राजनैतिक विरोधियों को निशाना बनाने की राह मुहैया कराएगा। मसरूर शाह नाम के एक वकील ने बताया कि मौजूदा कानून के मुताबिक, अगर आपको हत्या का दोषी पाया जाता है, तो सजा पूरी करने के बाद आप दोबारा चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन अगर इस्लामिक कानूनों के मुताबिक फैसला सुनाया जाए, तो आप पर ताउम्र पाबन्दी लग जाएगी।