नई दिल्ली 09 सितंबर (वार्ता) उपभोक्ताओं की अधिकांश शिकायतों को स्थानीय स्तर पर निटपाने के उद्देश्य से सरकार जिला उपभोक्ता फोरम और राज्य उपभोक्ता फोरम के अधिकारों को बढ़ाने का प्रावधान करने जा रही हैं जिसमें जिला उपभोक्ता फोरम को एक करोड़ रुपये तक और राज्य उपभोक्ता फोरम को 10 करोड़ रुपये तक की शिकायतों की सुनवाई का अधिकार मिल जायेगा।
उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने आज यहाँ संवाददाताओं से चर्चा में कहा कि “नया उपभोक्ता संरक्षण विधेयक शीघ्र ही मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जायेगा। इस विधेयक को सभी आवश्यक मंजूरी मिल गयी हैं जो पारित होने के बाद उपभोक्ता संरक्षण कानून 1986 का स्थान लेगा। तीन दशक के बाद इस कानून को नया स्वरूप दिया जा रहा हैं।”
उन्होंने कहा कि नए विधेयक में उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण पर अधिक जोर दिया गया हैं और जिला उपभोक्ता फोरम को एक करोड़ रुपये तक के मामलों की सुनवाई के अधिकार का प्रावधान किया गया हैं। अभी यह सीमा पांच लाख रुपये हैं। इसी तरह से राज्य उपभोक्ता फोरम को 10 करोड़ रुपये तक के मामलों की सुनवाई का अधिकार होगा जो अभी एक करोड़ रुपये हैं। 10 करोड़ रुपये से अधिक के मामले ही राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में जायेंगे।
श्री पावसान ने कहा कि अभी 90 फीसदी मामलों का निपटान जिला उपभोक्ता फोरम में ही हो जाता हैं। मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में यह प्रावधान भी किया गया हैं कि उपभोक्ता कहीं भी शिकायत दर्ज करा सकता हैं जबकि अभी उपभोक्ता वहीं मामला शिकायत दर्ज करा सकता हैं जहाँ से वस्तु खरीदी गई हैं। इसके अतिरिक्त अब उपभोक्ता को वकील रखने की भी जरूरत नहीं होगी। विनिर्माता और उपभोक्ता के बीच समझौता होने पर शिकायत वापस भी ली जा सकेगी।
उल्लेखनीय है कि उपभोक्ता सरंक्षण कानून 1986 के स्थान पर नया कानून 10 अगस्त 2015 को लोकसभा में पेश किया गया था। विधेयक को 26 अगस्त 2015 को स्थायी समिति को भेजा गया और स्थायी समिति ने एक वर्ष बाद अगस्त 2016 में 80 संशोधनों के साथ अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसके मद्देनजर इस विधेयक को संशोधनों के आधार पर नया कानून बनाने के लिए सरकार को लौटा दिया गया था।