अंततः जीएसटी लागू हो ही गया, एक उत्सव की भांति, एक आर्थिक आज़ादी के रूप में। जीएसटी का प्रपोजल बहुत लंबे समय से चल रहा था। सरकार आई और चली गई किंतु हमारे माननीय प्रधानमंत्रीजी ने इसे लागू कर ही दिया। अभी भी कांग्रेस व अन्य विपक्ष इससे कन्नी काट रहा है जबकि इसको आगे बढ़ाने में उन्हीं का हाथ था तब मोदीजी विरोध कर रहे थे। अब मोदी जी इसको जादू की छड़ी बता रहे हैं तो कांग्रेस हट रही है। जम्मू और कश्मीर भी अभी तक साथ नहीं आया है। खैर 30 जून की आधी रात्रि को इसका घंटा बज ही गया। अब इसकी प्रतिध्वनि दूर तक, देर तक सुनाई देगी। जीएसटी आयेगा तो यह सस्ता होगा, जीएसटी आएगा तो यह महंगा होगा। नोटबंदी के बाद यह देश का बड़ा निर्णय है जो देश की दशा और दिशा दोनों को प्रभावित करेगा। इसका बवाल जितना आने के पहले था उससे कही अधिक आने के बाद आएगा।
देश बेहाल-
हमारा देश वैसे ही लंबे समय से आर्थिक संकटों से झुलस रहा है। उस पर नोटबंदी ने कमर ही तोड़ दी थी। अभी उसके घाव भरे नहीं कि जीएसटी का जिन्न सामने आ गया। आर्थिक संकटों को न झेल पाने की वजह से हमारे देश के किसान, व्यावसायी आए दिनों सुसाइड तक करने को मजबूर हो रहे हैं। काम नही मिल पाने, पढ़ाई के प्रेशर से छात्र सुसाइड कर रहे हैं, सैनिक मर रहे हैं, कश्मीर आग उगल रहा है, बिजनेस की हालत खराब ही चल रही है। बड़ी मछलियां (कॉरपोरेट) छोटी मछलियों को खा रही हैं। एक आम नागरिक परेशान ही नज़र आता है और इस उम्मीद में वक्त गुजर रहा है कि शायद अच्छे दिन आएंगे। सरकार जो इस जीएसटी को लेकर आई है उसमें दिक्कत नहीं है। दिक्कत टैक्स के अधिक होने और उसको जिस तरह से लेकर आ रही है उसके तरीकों में हैं। जिनके रेट बढ़े हैं उन्होनें तो तत्काल रेट बढ़ा दिए और जिनके रेट कम हुए हैं वे वसूली तो कर लेंगे किंतु जो इनपुट उनको मिलने वाला है या मिलेगा उसे कम नहीं करेंगे। कारण उसको लेने में सरकारी तंत्र से भिड़ना पड़ेगा। हर दिन का हिसाब-किताब रखना, हर आम व्यक्ति के लिए संभव नहीं है। बड़े बिजनेसमैन तो कर लेंगे किंतु छोटों को परेशानी हो जाएगी। यही वजह है कि देशभर में हड़ताल शुरू हो चुकी है या होने की चेतावनी आने लगी है। सरकार ऐसी सभी आवाजों को अनसुना कर रही है। इस सरकार को तीन साल से ऊपर हो चुके हैं। सरकार को तो अच्छा लग रहा है, मोदी फेस्ट मना रहे हैं। जीएसटी भी एक सफल उत्सव की तरह मना लिया किंतु जनता को कही अच्छा नज़र नहीं आ रहा है इसलिए जनता उत्सव नहीं मना रही हैं वो तो सिर्फ बेहाल है।
सरकार मालामाल-
जीएसटी का उत्सव, मोदी फेस्ट सरकार धूमधाम से मना रही है। देश के हालात कैसे भी हो सरकार जश्न में डूबी हुई है और हो भी तो क्यों न हो यदि राजनीतिक दृष्टि से देखें तो भाजपा को सफलता लगातार मिलती जा रही है, विपक्ष खुद-ब-खुद कमजोर होकर वॉकओवर दे रहा है। न खुद की पार्टी में अब कोई विरोध बचा है और न ही विपक्ष का विरोध। बात अब सरकार की आर्थिक स्थिति की करें तो जीएसटी से तो पूरी सरकार मालामाल होगी क्योंकि इन्होंने टैक्स में तो कोई ख़ास कम नहीं किया किंतु कुछ में टैक्स दर करीब-करीब बढ़ी रही जिससे महंगाई तो बढ़ना ही है। दूसरा जिन वस्तुओं पर अधिक कर मिलता था उसको जीएसटी के दायरे से बाहर कर दिया जैसे शराब, पेट्रोल, डीजल आदि। यदि ये जीएसटी के दायरे में आते तो उनके दर घटाने पड़ते और सरकार की आय कम हो जाती। इस जीएसटी से जनता को कितना फायदा पहुंचेगा उसका तो पता नहीं किंतु सरकार को बहुत अधिक फायदा पहुंचेगा। वैसे भी सरकार ने आम बिजनेसमैन की जगह कॉरपोरेट को साध रखा है तो भाजपा को सरकार को सबसे अधिक फायदा तो इनसे ही होने वाला है, जीडीपी भी बढ़ जाएगा और सरकार भी। अंततः कुल मिलाकर सरकार मालामाल हो जाएगी। कर