मजबूरी नहीं जरूरत है टेक्नोलॉजी में हिंदी की घुसपैठ
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देशभर के कवि, लेखक और चिंतक एक गहन चिंतन में डूबे हुए है। उन्हें एक बात की चिंता है कि देश हिंदी को लेकर किस दिशा में जा रहा है। आज जब वो युवाओं के मुंह से दनदनाते हुए अंग्रेजी डॉयलॉग सुनते है तो उनकी ये चिंता और भी गहरी हो जाती है। वो सोचते है कि आखिर हमारी हिंदी युवाओं के बोलचाल के किस कोने में दबी है जहा से निकलकर वो आए और मातृभाषा होने का अहसास कराए।
चिंतकों का चिंता करना जायज़ है लेकिन हमारा भी मानना है कि ‘‘अंग्रेजी बोलेंगे तो ही सामने वाला हमसे प्रभावित होगा। अब हिंदी तो सभी को आती है अंग्रेजी बोलना क्या सबके बस की बात है। नही है न इसलिए अंग्रेजी के डॉयलॉग दनदनाते बोलने में ही भलाई है।’’ इस विचारधारा को तो हम नहीं बदल सकते। लेकिन इस विचारधारणा के विरूद्ध भी नहीं जा सकते। किसी मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करने के लिए तो आपको इंग्लिश आनी ही चाहिए। तब जाकर ही आपको जॉब मिलेगी। लेकिन हिंदी का भी अपना एक महत्व है आप हिंदुस्तान में रहकर अगर हिंदी से अपरिचित है तो आपका महत्व मल्टीनेशनल कंपनी में भी कम हो सकता है।
खैर ये सारी प्रैक्टिकली बाते आप अपने आसपास रोज देखते होंगे। लेकिन हम आपको यहां बताने जा रहे है कुछ अलग बातें। हिंदी को लेकर भले ही काफी लोग चिंतित हो लेकिन सबसे ज्यादा चिंता तो ‘गूगल’ करता है। गूगल को भी ये समझ आता है कि बिना हिंदी के उसका भी बेढ़ापार नहीं हो सकता। हम रोज ऐसी काफी चीजे देखते है जो पहले अंग्रेजी में होती थी और अब उन्में भी हिंदी शामिल होने लगी। हिंदी को शामिल करना इनके लिए कोई मजबूरी नहीं है बल्कि जरूरत है। भारत की आधी से ज्यादा आबादी हिंदी को अच्छे से समझती तथा बोलती है इनके लिए अंग्रेजी के मुकाबले हिंदी में संवाद करना काफी आसान होता है। शायद यही कारण है कि ये सभी चीजे अंग्रेजी से हिंदी की ओर अग्रसर हो गई।
तो आइए आपको बताते है टेक्नोलॉजी के बदलते दौर में ऐसी चीज़ो के बारें में जो अंग्रेजी से हिंदी की ओर अग्रसर हो गई है।
1. पहले हमारे हाथों में आने वाले मोबाईल की भाषा अंग्रेजी में आती थी। मोबाइल जिस समय भारत में आए उस समय उन्हें चलाना हमारे लिए काफी कठिन होता था। पढ़ा-लिखा आदमी भी कई बार चकरा जाता था कि किस बटन से क्या होगा। बच्चों के हाथ में तो उस समय मोबाइल दिया ही नहीं जाता था और अंग्रेजी में आने के कारण मोबाइल को ज्यादा लोग चला भी नहीं पाते थे। फिर बाद में मोबाइल में हिंदी भाषा का चलन शुरू हुआ और पूरे भारत में मोबाइल की क्रांति दौड़ गई। देश के हर इंसान के हाथों में मोबाइल आ गया। मोबाईल भाषा हिंदी होने से उन्हें मोबाइल चलाने में भी सुगमता होने लगी और दूसरों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता था।
2. स्मार्टफोन के आने से एक बार फिर आम आदमी को मोबाइल चलाने में दिक्कत हुई। उसने तो कीपैड वाले मोबाइल चलाना सीखे थे उन्हीं पर टाइपिंग भी की थी। बटनों से अंदाज़ा हो जाता था कि कौन से नंबर के बटन पर कौन सा अक्षर आएगा। स्मार्टफोन में अब हर बटन अलग से होता था उसमें ढूंढना फिर कठिन हो गया। इसके बाद उसमें हिंदी टाइपिंग करना मुश्किल हो गया। स्मार्टफोन में हिंदी की टाइपिंग करने के लिए फिर हिंदी इनपुट टूल का विकास हुआ। हिंदी इनपुट टूल की मदद से आज हम अंग्रेजी में लिखकर हिंदी में टाइप कर पाते है।
3. कुछ सालों पहले तक इंटरनेट पर अंग्रेजी वेबसाइटों का जाल था। लेकिन पिछले कुछ सालों में हिंदी वेबसाइट भी तेजी से बड़ी है। इन वेबसाइट पर दुनियाभर की जानकारी उपलब्ध रहती हैं। हिंदी वेबसाइट न होने से उन्हें अंग्रेजी में उस जानकारी को पढ़ना होता था लेकिन हिंदी वेबसाइट के आने से यूजर्स को सभी जानकारी अंग्रेजी के अलावा हिंदी भी मिलने लगी।
4. इन दिनों स्मार्टफोन सभी के हाथों में होता है और इन्ही स्मार्टफोन के लिए कई तरह के ऐप्लीकेशन भी डेवलप किए गए है। इनमें से भले ही अधिकतर अंग्रेजी में हो लेकिन भारत में लोग अभी भी हिंदी भाषा के ऐप्लीकेशन का यूज करते है। इसलिए ऐप में अलग से हिंदी भाषा को भी दिया जाता है। फेसबुक और गूगल जैसी बड़ी वेबसाइट भी इंडिया और दुनियाभर के यूजर्स को हिंदी में जानकारी उपलब्ध करा रही है। इसके अलावा कई तरह के सॉफ्टवेयर व ऐप्लीकेशन भी है जिन्हे हिंदी में ही बनाया गया है।
5. आजकल हर किसी का ईमेल आईडी होना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन गूगल ने आपकी जरूरत को समझते हुए कुछ ही दिनों में हिंदी में ईमेल आईडी की सुविधा देने वाला है। अभी तक आपका ईमेल एड्रेस अंग्रेजी भाषा में होता था। लेकिन कुछ ही दिनों बाद आप अपना ईमेल आईडी हिंदी में भी बना पाएंगे।
तो ऐसा नहीं है कि देश के युवा अगर हिंदी न बोले तो हिंदी का विकास नहीं हो रहा है हिंदी हम सबके अंदर आज भी ज़िन्दा है। भले ही दिखावें के लिए हम लाख अंग्रेजी बोले। लेकिन दिल से तो हिंदुस्तानी ही रहेंगे।
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