कैसे बना देश का सबसे बड़ा बैंक SBI, जानिए 200 साल पुराना इतिहास
- - Advertisement - -
ब्रिटिश जिस समय भारत आए थे उस समय भारत में बैंक के रूप में महाजन, साहूकार होते थे जो अपनी मनमर्जी के मुताबिक लोगों को लोन देते थे और ब्याज वसूलते थे। ब्रिटिश आए तो अपने साथ बैंक भी लाए। ब्रिटिश ने भारत में तीन प्रेसीडेंसी बैंकों की स्थापना की थी जो पूरी तरह ब्रिटिश नियमों के अनुसार संचलित होते थे इनमें काम करने वाले लोग भी अधिकतर अंग्रेज ही थे।
अंग्रेजों ने सबसे पहले 2 जून 1806 को प. बंगाल में ‘बैंक ऑफ कोलकाता’ की स्थापना कोलकाता में की गई थी। इसके तीन साल बाद इसे चार्टर मिला जिसके बाद ये बैंक 2 जनवरी 1809 से ‘बैंक ऑफ बंगाल’ के नाम से पहचानी जाने लगी। यह अपने तरह का एक अनोखा बैंक था जिसको साझा स्टॉक के तहत ब्रिटिश सरकार और बंगाल सरकार द्वारा संचलित किया गया था।
इसके बाद अंग्रेजों ने अन्य दो प्रेसीडेंसी बैंकों की स्थापना की। साल 1840 में ‘बैंक ऑफ बॉम्बे’ और 1843 में बैंक ऑफ मद्रास’ की स्थापना की। ये तीनों बैंकों में पूंजी निजी क्षेत्र की थी इसे ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए खोला गया था। ये तीनों बैंक भारत में लगभग 100 साल से भी ज़्यादा समय तक चले। इस दौरान कई सारे और भी बैंक शुरू हुए लेकिन उनमें से अधिकतर बंद हो गए।
इन तीनों बैंक के साथ परेशानी ये थी कि इन तीनों बैंकों के पूंजी शुरूआती दौर में निजी शेयर होल्डरों के पास थी, जिसमें यूरोपियन लोगों की ज़्यादा हिस्सेदारी थी। हालांकि बाद में सरकार ने तीनों बैंक पर नियंत्रण किया। 27 जनवरी 1921 में तीनों प्रेसीडेंसी बैंकों को मिलाकर बॉम्बे में इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना की गई।
इन तीनों बैंक के विलय के बाद ये बैंक इंपीरियल बैंक के रूप में भारत में संचलित थे आजादी के बाद भी भारत में इंपीरियल बैंक बना रहा। इसके साथ परेशानी ये थी कि ये अंग्रेजों का बैंक था और उनके हिसाब से ही काम करता था। इस पर भारत सरकार का स्वामित्व कम था और देश के इतने बड़े बैंक को अगर बंद किया जाता तो देश में आर्थिक संकट आ सकता था।
साल 1952 में पं. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में इससे उबरने के लिए ए.डी. गोरवाला कमेटी का गठन किया गया। जो यह पता लगा सके कि आखिर ऐसा क्या किया जाए कि इंपीरियल बैंक को बंद करने से कोई नुकसान न हो क्योंकि देश के सबसे ज़्यादा अकाउंट उस समय उसी बैंक में मौजूद थे।
इस कमेटी की तीन साल की मेहनत के बाद साल 1955 में पार्लियमेंटरी एक्ट के तहत इंपीरियल बैंक को अधिग्रहित किया। जिसके लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एक्ट 1955 लाया गया और 30 अप्रैल 1955 को इंपीरियल बैंक का नाम बदलकर ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ रखा गया। इसके बाद 1 जुलाई 1955 को एसबीआई की स्थापना की गई।
ये पूरा माहौल ठीक उसी तरह का था जिस तरह आपने नोटबंदी का माहौल देखा। जिस तरह रातोंरात 500 और 1000 के नोट बंद करके नए 500 और 2000 के नोट लागू किए गए ठीक उसी तरह इंपीरियल बैंक को भी अधिग्रहित करके ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ बनाया गया ताकि बैंक भारत के नियमों के अनुसार चल सके।
साल 1959 में सब्सिडरी बैंक एक्ट पास करके आठ अधीनस्थ बैंकों की स्थापना करके अपना विस्तार किया। ये बैंक थे-
1. स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर
2. स्टेट बैंक ऑफ जयपुर
3. स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद
4. स्टेट बैंक ऑफ इंदौर
5. स्टेट बैंक ऑफ मैसूर
6. स्टेट बैंक ऑफ पटियाला
7. स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्रा
8. स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर
इस समय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पांच सहयोगी ही है। स्टेट बैंक ऑफ जयपुर और स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर को मिलाकर स्टेट बैंक ऑफ जयपुर एंड बीकानेर कर दिया तथा स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र और इंदौर को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया कर दिया। इस तरह अब एसबीआई के पांच सहयोगी बैंक है।
एसबीआई इस समय देश की सबसे बड़ी बैंक है जिसके पूरे देश में एटीएम और ब्रांच है। भारत के अधिकतर लोगों के अकाउंट एसबीआई में ही होते है। इसकी चेयरपर्सन अरूंधति भट्टाचार्य है जो एसबीआई की पहली महिला चेयरपर्सन हैं।
- - Advertisement - -