भारत को जीरो की खोज करने का श्रेय दिया जाता है और आर्यभट्ट को जीरो की खोज करने वाला कहा जाता हैं लेकिन जीरो की खोज उनके खोजने से पहले ही हो चुकी थी। ऐसा कई लोगों का मानना है कि आर्यभट्ट से पहले ही शून्य को खोजा जा चुका था लेकिन आर्यभट्ट की वजह से ये अस्तित्व में आया था।
आर्यभट्ट के नाम पर मैथ्स की कई भारी-भरकम थ्योरम बनाने का भी श्रेय है। बीजगणित जिसे आप एलजेब्रा कहते हैं वो भी आर्यभट्ट की देन है। आपको भले ही मैथ्स से डर लगता हो लेकिन आर्यभट्ट एक महान गणितज्ञ थे। शायद यही वजह थी कि भारत का पहला सैटेलाइट उन्हीं के नाम से बनाया गया था।
19 अप्रैल 1975 को भारत ने अपना पहला उपग्रह प्रक्षेपित किया था। इस उपग्रह को प्रक्षेपित करने के साथ ही भारत ने अंतरिक्ष युग में अपना नाम दर्ज किया था। भारत के पहले उपग्रह का नाम आर्यभट्ट था। आर्यभट्ट लॉन्च होने के 17 साल बाद 11 फरवरी 1992 को पृथ्वी पर वापस लौट आया था।
दुनिया में फेमस खगोलशास्त्री आर्यभट्ट उन पहेल व्यक्तियों में से थे जिन्होंने बीजगणित का प्रयोग किया था। इसके अलावा उन्होंने पाई का सही मान 3.1416 बताया था। भारत द्वारा प्रक्षेपित आर्यभट्ट सैटेलाइट का वजन 360 किलो था। जिसे सोवियत संघ के इंटर कॉसमॉस रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में भेजा गया था।
पिछले चार दशकों में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने 70 से ज़्यादा उपग्रह वैज्ञनिक और तकनीकी एप्लिकेशन के लिए अंतरिक्ष में भेजे है। किसी समय सोवियत संघ की मदद से भारत ने अपना उपग्रह प्रक्षेपित किया था लेकिन अब भारत दुनियाभर के सैटेलाइट को लॉन्च करता हैं। कुछ ही दिन पहले भारत ने सबसे ज़्यादा सैटेलाइट को एक साथ लॉन्च कर विश्वपटल पर नया कीर्तिमान बनाया था।