भारत का वो गेंदबाज़ जिसने जबड़ा टूटने के बाद भी डाले 14 ओवर
फिल्में तो हम सभी देखते है, कभी-कभी फिल्मों को देखकर थोड़ा बहुत मोटीवेट भी हो जाते है। कुछ ही दिनों पहले आई फिल्म ‘एम.एस. धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी’ को देखकर तो न जाने कितने ही लड़कों ने धोनी बनने का सपना सजा लिया होगा। फिल्मों में अक्सर हम देखते है कि फिल्म का हीरो या किसी टीम का प्लेयर जो कि हीरो होता है वो घायल होकर भी खेलता है और अपनी टीम और देश को जीताता है। ये सुनने में और देखने में फिल्मी ही लगता है पर जुड़ा तो रीयल लाइफ से ही होता है। किसी फिल्म की ही तरह लाइफ है अनिल कुंबले की जिन्होंने टूटे हुए जबड़े के साथ भी इंडिया के लिए मैच खेला। 17 अक्टूबर को अनिल कुंबले के जन्मदिन के मौके पर हम आपके बताने जा रहे है उनकी लाइफ के कुछ ऐसे ही इंस्पायरिंग किस्से, जो उन्हें इंडियन क्रिकेट टीम के इतिहास का हीरो बनाते है…
मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बैचलर है
अनिल कुंबले का जन्म 17 अक्टूबर 1970 को कर्नाटक के बंगलुरू में हुआ था। उनके पिता कृष्णा स्वामी और सरोज थे। अनिल कुंबले ने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने से पहले ही क्रिकेट में डेब्यू कर लिया था। कुंबले ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद 1992 में राष्ट्रीय विधालय कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की है। साल 1989 में वे कर्नाटक की तरफ से खेले थे। यहीं उनका पहला मैच था जो हैदराबाद के ख़िलाफ खेला गया था। इस मैच में ही उन्होंने ये साबित कर दिया था कि वे एक बेहतरीन बॉलर है। इस मैच में उन्होंने चार विकेट लिए थे।
बल्लेबाज़ों को चकमा देने की कला
अनिल कुंबले लेग स्पिनर थे, उनकी गेंदों में शेन वार्न जैसी टर्न तो नहीं थी लेकिन बल्लेबाज़ को चकमा देने की कला वे अच्छे से जानते थे। टेस्ट मैच में उनका प्रदर्शन लाजवाब था। वे कम गेंदों पर ज्यादा विकेट लेने के लिए जाने जाते थे। अपने ओवरों में वे बल्लेबाज़ों को रन भी कम लेने देते थे। क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वालों में वे तीसरे पायदान पर हैं।
600 विकेट लेने वाले गेंदबाज़
भारत की ओर से टेस्ट मेचों में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ हैं कुंबले ने 1990 से 2008 के बीच अपने करियर के 132 टेस्ट मैच खेले। इन मैचों में कुंबले ने 40850 गेंदे फेंककर 18355 रन दिए और 619 विकेट लिए। कुंबले भारत की ओर से टेस्ट मैच में 500 और 600 विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज़ है।
अकेले ही कर दिया था पाकिस्तान के खिलाड़ियों को आउट
भारत के इस महान गेंदबाज ने अकेले ही पाकिस्तान के दस खिलाड़ियों को एक ही मैच में आउट किया था। इंग्लैंड के जिम केलर के बाद वे दूसरे ऐसे गेंदबाज़ है जिन्होंने दस विकेट लिए थे। जिम केलर ने ऑस्ट्रेलिया के विरूद्ध 26 जुलाई 1956 को आरंभ हुए मेनचेस्टर टेस्ट में बनाए थे। उनके बाद अनिल कुंबले ने पाकिस्तान के विरूद्ध 4 फरवरी 1999 को आरंभ हुए टेस्ट मैच में दस विकेट लिए थे। इस मैच में उन्होंने 26.3 ओवरों में मेडन रखते हुए 74 रन देकर 10 विकेट लिए थे।
टूटा हुआ था जबड़ा फिर भी खेला मैच
अनिल कुंबले का विवादों से तो कोई नाता नहीं है लेकिन वे अपने बेहतरीन खेल प्रदर्शन के लिए हमेशा जाने जाते हैं। साल 2002 के एंटिगा टेस्ट में अनिल कुंबले ने वो किया जो शायद और कोई नहीं कर पाता। एंटिगा टेस्ट में टीम इंडिया का मुकाबला वेस्टइंडीज से था। इस टेस्ट में खेलते समय अनिल कुंबले के जबड़े में चोट लग गई थी। लेकिन फिर भी वे मुंह पर बैंडेट और पट्टिया लगाकर बॉलिंग करने उतरे। उन्होंने चौदह ओवर डाले जिसमें उन्होंने ब्रायन लारा को एलपीडब्ल्यू आउट कर विकेट लिया। इस घटना के बाद अनिल कुंबले एक रीयल हीरो बनकर देश में आए।
संभाली टीम इंडिया की कमान
एक बेहतरीन बॉलर के रूप में तो अनिल कुंबले को सभी जानते है साथ ही उन्होंने वनडे मैच और टेस्ट मैचों में टीम की कप्तानी भी की है। साल 2001 में राहुल द्रविड के बाद उन्हें वनडे मैच का कप्तान बनाया गया। उनकी कप्तानी में एक मैच खेला गया जिसमें टीम ने जीत हासिल की। इसके अलावा टेस्ट मैच में धोनी से पहले एक साल के लिए उन्हें कप्तानी दी गई थी बाद में उनके सन्यास लेने के बाद टीम की बागडोर धोनी के हाथों में दी गई।
सन्यास
बल्लेबाजी क्रम में काफी नीचे उतरने वाले कुंबले के नाम एक टेस्ट शतक भी है. वह मैदान पर बेहद संतुलित और सौम्य नजर आते थे. साथी खिलाड़ी प्यार से उन्हें ’जंबो’ बुलाते थे। कुंबले को 2005 में भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान ’पद्मश्री’ से नवाजा गया था। 2 नवंबर 2008 को कुंबले ने क्रिकेट के मैदान से संन्यास की घोषणा कर दी। कुंबले के संन्यास के बाद कई जानकारों ने कहा कि भारत में स्पिन गेंदबाज़ी का एक अध्याय हमेशा के लिए खत्म हो गया। कुंबले के उत्तराधिकारी की तलाश अब भी जारी है। अनिल कुंबले इन दिनों टीम इंडिया के कोच है।