व्रत रखेंगे तो कम होगा कैंसर का खतरा, कुछ ऐसी हैं भारत की ये परम्पराएं
आपने सुना तो होगा ही कि बड़े बुजुर्गों की बनाई गई परम्पराएं जो होती है। वो हमेशा फायदेमंद होती है या फिर वो हमेशा कुछ ना कुछ सदेंश देती है। जी हां भारत परम्पराओं का एक ऐसा देश है। यहां पुराने समय से बहुत सी परंपराएं प्रचलित हैं, जिनका पालन आज भी काफी लोग कर रहे हैं। इतना ही नहीं ये परंपराएं धर्म से जुड़ी दिखाई देती हैं, लेकिन इनके वैज्ञानिक कारण भी हैं। जो लोग इन परंपराओं को अपने अपनाते हैं, वे हेल्थ संबंधी कई प्रॉब्लम से बचे रहते हैं। तो आइए जानते है भारत की इन 14 खास परंपराओं के बारें में…
चोटी करने से सोचने-समझने की बढ़ती है क्षमता
आपने सोचा है कि पुराने समय में सभी ऋषि-मुनी सिर पर चोटी क्यों रखते थे। आज भी कई लोग रखते हैं इसके पीछे भी एक परंपरा है। जी हां इस संबंध में ये मान्यता है कि जिस जगह पर चोटी रखी जाती है उस जगह दिमाग की सारी नसों का केंद्र होता है। इसके साथ ही आपका दिमाग भी स्थिर रहता है इतना ही नहीं इससे गुस्सा भी नहीं आता है साथ ही सोचने की क्षमता भी बढ़ती है।
खाना के खाने के बाद हमेशा मीठा क्यों खाना चाहिए
आप हमेशा खाना खाने के बाद सोचते है कि अब कुछ मीठा हो जाए। लेकिन ऐसा क्यों आपने कभी सोचा। जी हां धार्मिक कार्यक्रमों में भोजन की शुरुआत अक्सर मिर्च-मसाले वाले व्यंजन से होती है और भोजन का अंत मिठाई से होता है। इसका वैज्ञानिक तर्क यह है कि तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं। इससे पाचन तंत्र ठीक तरह से संचालित होता है। अंत में मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है। इससे पेट में जलन नहीं होती है।
एक ही गोत्र में शादी क्यों नहीं करना चाहिए
एक ही गोत्र में शादी नहीं करना चाहिए। ये तो आपको पता ही होगा लेकिन क्यों ये शायद ही आपको पता हो। जी हां कई शोधों में ये बात सामने आई है कि व्यक्ति को जेनेटिक बीमारी ने हो इसके लिए एक इलाज है सेपरेशन ऑफ जींस, यानी अपने नजदीकी रिलेशन में शादी नहीं करना। रिश्तेदारों में जींस सेपरेट नहीं हो पाते हैं और जींस से संबंधित बीमारियां जैसे कलर ब्लाईडनेस आदि होने की संभावनाएं रहती हैं। पुराने समय में ही जींस और डीएनए के बारे खोज कर ली गई थी और इसी कारण एक गोत्र में विवाह न करने की पंरपरा बनाई गई।
कान छिदवाने से छोटे बच्चों को नजर नहीं लगती
आजकल फैशन बन चुका कान छिदवाना भी एक पंरपरा है। जी हां स्त्री और पुरूषों दोनों के लिए पुराने जमाने से ही कान छिदवाने की परंपरा चली आ रही है। इस पंरपरा की वैज्ञानिक मानयता ये है कि इससे सोचने की शक्ति बढ़ती है और साथ बोली भी अच्छी होती है। कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का रक्त संचार नियंत्रित और व्यवस्थित रहता है। कान छिदवाने से एक्यूपंक्चर से होने वाले हेल्थ प्रॉब्लम से लाभ मिलता है। ऐसी मान्यता है कि इससे छोटे बच्चों को नजर भी नहीं लगती है।
तिलक लगाने से बेकार की बातों में मन उलझता नहीं
क्या आपने सोचा है कि स्त्री हो या पुरूष माथे पर कुमकुम, चंदन और तिलक क्यों लगाते है। इस पंरपरा को भी वैज्ञानिक नजरिए से देखे तो दोनों आंखों के बीच में आज्ञा चक्र होता है। इसी चक्र स्थान पर तिलक लगाया जाता है। इस चक्र पर तिलक लगाने से हमारी एकाग्रता बढ़ती है। मन बेकार की बातों में उलझता नहीं है। तिलक लगाते समय उंगली या अंगूठे का जो दबाव बनता है उससे माथे तक जाने वाली नसों का रक्त संचार व्यवस्थित होता है। रक्त कोशिकाएं सक्रिय हो जाती हैं।
जमीन पर बैठकर भोजन करने से होते हैं ये फायदें
अक्सर आप जमीन पर बैठकर खाना खाते हो लेकिन आपने कभी सोचा है कि जमीन में बैठकर खाना खाने से भी फायदें होते हैं। जी हां जमीन पर बैठकर भोजन करना पाचन तंत्र और पेट के लिए बहुत फायदेमंद है। पालथी मारकर बैठना एक योग आसन है। इस अवस्था में बैठने से मस्तिष्क शांत रहता है और भोजन करते वक्त दिमाग शांत हो तो पाचन क्रिया अच्छी रहती है। पालथी मारकर भोजन करते समय दिमाग से एक संकेत पेट तक जाता है कि पेट भोजन ग्रहण करने के लिए तैयार हो जाए। इस आसन में बैठने से गैस, कब्ज, अपच जैसी समस्याएं दूर रहती हैं।
हाथ जोड़कर नमस्ते करने से बीमारी फैलाने वाले वायरस हम तक पहुंच पाते
आप हमेशा किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्ते या नमस्कार करते हैं। लेकिन आपने कभी सोचा है कि इससे भी आपकी हेल्थ प्रॉब्लम दूर होती है। जी हां इस परंपरा का वैज्ञानिक तर्क यह है नमस्ते करते समय सभी उंगलियों के शीर्ष आपस में एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। हाथों की उंगलियों की नसों का संबंध शरीर के सभी प्रमुख अंगों से होता है। इस कारण उंगलियों पर दबाव पड़ता है तो इस एक्यूप्रेशर (दबाव) का सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है। साथ ही, नमस्ते करने से सामने वाला व्यक्ति हम लंबे समय तक याद रह पाता है। इस संबंध में एक अन्य तर्क यह है कि जब हम हाथ मिलाकर अभिवादन करते है तो सामने वाले व्यक्ति के कीटाणु हम तक पहुंच सकते हैं। जबकि नमस्ते करने पर एक-दूसरे का शारीरिक रूप से संपर्क नहीं हो पाता है और बीमारी फैलाने वाले वायरस हम तक पहुंच नहीं पाते हैं।
पीपल की पूजा क्यों करते है
क्या आपने सोचा है कि पीपल की पूजा क्यों कि जाती है। अक्सर ये सोचा जाता है कि पीपल की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसका मतलब ये भी है कि इसकी पूजा इसलिए की जाती है ताकि हम पेड़ों की सुरक्षा और देखभाल करें और उन्हें काटें नहीं। क्योंकि पीपल एक ऐसा पेड़ है जो रात में भी ऑक्सीजन छोड़ता है। इसलिए ये दूसरें पेड़ों की अपेक्षा ज्यादा महत्व होता है।
दक्षिण नहीं उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोना चाहिए
दक्षिण दिशा की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए। क्योंकि दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोने पर बुरे सपने आते हैं। इसीलिए उत्तर दिशा की ओर पैर करके सोना चाहिए। इसका वैज्ञानिक तर्क ये है कि जब हम उत्तर दिशा की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर प्रवाहित होने लगता है। इससे दिमाग से संबंधित कोई बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर भी असंतुतित हो सकता है। दक्षिण दिशा में सिर करके सोने से ये परेशानियां नहीं होती हैं।
सूर्य को जल चढ़ाने से अच्छी होती है आंखों की रोशनी
अक्सर आपने देखा होगा कि लोग सुबह सूर्य को जल चढ़ाते है। लेकिन सोचा की ऐसा क्यों करते हैं। जी हां ये परंपरा का भी वैज्ञानिक तर्क ये हैं कि जल चढ़ाते समय पानी से आने वाली सूर्य की किरणें जब आंखों में पहुंचती है तो आंखों की रोशनी अच्छी होती है। इतना ही नहीं साथ ही सुबह-सुबह की धूप भी हमारी त्वचा के लिए फायदेमंद होती है। शास्त्रों की मान्यता है कि सूर्य को जल चढ़ाने से घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलता है। कुंडली में सूर्य के अशुभ फल खत्म होते हैं।
व्रत रखने से कैंसर का खतरा होता है कम
आपने अक्सर लोगों को देखा होगा कि वो हमेशा किसी ना किसी त्यौहार पर व्रत रखते हैं। लेकिन व्रत रखने के पीछे भी हमारी क्या परंपरा है आप जानते। आयुर्वेद के अनुसार व्रत से पाचन क्रिया अच्छी होती है और फलाहार लेने से पाचनतंत्र को आराम मिलता है। शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से कैंसर का खतरा कम होता है। हृदय संबंधी, मधुमेह आदि रोग होने की संभावनाएं भी कम रहती हैं।
अपने बड़ों का चरण स्पर्श हमेशा करना चाहिए
आपने अपने बड़ों से बच्चपन से ही सुना होगा कि आपने से बड़ों का हमेशा चरण स्पर्श करना चाहिए, और हमेशा करते भी होंगे लेकिन ऐसा क्यों। वैसे तो किसी बड़े व्यक्ति से मिलते समय उसके चरण स्पर्श करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। इस परंपरा के संबंध में मान्यता है कि मस्तिष्क से निकलने वाली ऊर्जा हमारे हाथों से सामने वाले पैरों तक पहुंचती है और बड़े व्यक्ति के पैरों से होते हुए उसके हाथों तक पहुंचती है। आशीर्वाद देते समय व्यक्ति चरण छूने वाले के सिर पर अपना हाथ रखता है, इससे हाथों से वह ऊर्जा पुनः हमारे मस्तिष्क तक पहुंचती है। इससे ऊर्जा का एक चक्र पूरा होता है।
मांग में सिंदूर लगाने से मानसिक तनाव होता है दूर
हर सुहगन औरत अपने मांग में सिंदूर लगती है, और ये परंपरा अनिवार्य है। इस संबंध में ये तर्क है कि सिंदूर में हल्दी, चूना और मरकरी होता है। इन तीनों का मिश्रण शरीर के ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। इससे मानसिक तनाव भी कम होता है।
तुलसी की पूजा करने से मजबूत रहता है इम्यून सिस्टम
आप हमेशा घर में तुलसी की पूजा करते हो या फिर किसी को करते हुए देखा हो या किसी से सुना हो कि तुलसी की पूजा करना चाहिए। जी हां तुलसी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और शांति रहती है। इसका तर्क ये है कि तुलसी के संपर्क से हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। यदि घर में तुलसी होगी तो इसकी पत्तियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे कई बीमारियां दूर रहती हैं।