DAVV : स्टूडेंट्स के लिए जर्नलिज़्म का नया हब
-By Shirish ‘Yaatri’
जुलाई माह खत्म होने वाला है और इसके साथ ही सारे कॉलेजों में एडमिशन की लास्ट डेट भी नजदीक आ रही है। हर साल की तरह इस साल भी इंदौर की गलियां स्टूडेंट्स से भर चुकी हैं। हर छोटे-बड़े शहर से लोग यहां पहुंच रहे हैं। इंदौर अपनी आंखों में बड़े-बड़े सपने लिए दुनिया में अपनी पहचान बनाने निकले युवाओं की पहली पसंद बनता जा रहा है। वक्त के साथ-साथ पत्रकारिता के लिए नई जनरेशन में क्रेज़ बढ़ रहा है। डीएवीवी के स्कूल ऑफ जर्नलिज़्म और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रिसर्च सेंटर की सीट्स हमेशा की तरह फुल हो चुकी है। इस मौके पर हम जर्नलिज़्म करने बाहर से आए स्टूडेंट्स से रूबरू होने डीएवीवी पहुंचे। आइए जानते हैं इन भविष्य के जर्नलिस्ट से कि इन्होंने जर्नलिज़्म के लिए इंदौर ही क्यों चुना।
‘‘मैं समाज में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ कुछ करना चाहती हूं। मैंने इंदौर को चुना क्योंकि इंदौर कुछ नया करने के लिए बहुत अच्छा प्लेटफॉर्म है और यहां युवाओं की आवाज सुनी जाती है।‘‘
प्रिया सक्सेना, रीवा
ट्रेवल ब्लॉगर बनने की चाहत रखने वाली रूचिका को हक़ीकत की दुनिया से दूर, जंगल-पहाड़ और नई-नई जगह घूमने का अजीब शौक है। वे कहती हैं कि – ‘‘मैं भोपाल को छोड़ इंदौर आई ताकि अपने कंर्फट जोन को छोड़ खुदको एक्सप्लोर कर सकूं। मैं अकेले पूरा इंडिया घूमना चाहती हूं। मैं जर्नलिज़्म कर रही हूं ताकि अपनी राइटिंग स्किल्स को सुधार सकूं और अपना ब्लॉग शुरू कर सकूं।‘‘
रूचिका अवस्थी, भोपाल
रतलाम की रहने वाली अदिति शर्मा का कहना है कि ’’मेरा सपना है कि मैं अंग्रेजी अखबार ‘हिन्दुस्तान टाइम्स‘ में काम करूं। रतलाम से स्कूलिंग कंपलीट करने के बाद मैं इंदौर आई हूं ताकि अपने सपने को पूरा कर सकूं।’’
अदिति शर्मा, रतलाम
ईएमआरसी के स्टूडेंट प्रकाश का कहना है कि ’‘मुझे इंदौर बहुत पसंद है, यहां मेरा ननिहाल भी है। डीएवीवी मध्य प्रदेश में जर्नलिज़्म के लिए बेस्ट है। इससे अच्छा ऑप्शन यहां और कोई नहीं है।‘‘
प्रकाश पंवार, मुलताई
प्रगति का कहना है कि ’’मेरे परिवार के सभी लोग डीएवीवी से ही पासआउट हैं और मैंने भी डीएवीवी के इ़र्एमआरसी में एडमिशन लिया है। मेरा मानना है कि इंसान अपनी इच्छाशक्ति से सब कुछ पा सकता है। मैं युवाओं से कहूंगी कि वो अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर मुमकिन कोशिश करते रहें और कभी हार न मानें।’’
प्रगति राज झाला, उज्जैन
’’मैं बहुत खुश हूं कि मुझे डीएवीवी में एडमिशन मिल गया। मैंने इंदौर को इसलिए चुना क्योंकि इंदौर में जो शांति और पढ़ाई का माहौल है वो ग्वालियर में नहीं है। इसलिए मुझे इंदौर बहुत पसंद आया।’’
शुभम कुमार पाठक, ग्वालियर
डीएवीवी में स्टूडेंट्स से बात-चीत करने पर पता चला कि इंदौर जर्नलिज़्म करने वाले स्टूडेंट्स के लिए एक हब की तरह बनता जा रहा है। इंदौर को ’मिनी बॉम्बे’ तो शुरु से ही कहा जाता है लेकिन अब यहां स्टूडेंट के लिए एजुकेशन के भी कई सारे ऑप्शन हैं। जिसके चलते काफी स्टूडेंट्स यहां आना पसंद कर रहे हैं।