Saturday, August 26th, 2017
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मिनी मुंबई कही जाती है उत्तर प्रदेश की यह यूनिवर्सिटी, छात्र-छात्राओं पर नहीं है कोई रोक




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स्थापना तो इसका 100 साल पहले हुआ था, लेकिन उत्तर प्रदेश का यह विश्वविद्यालय आज आधुनिकता और बेहतर शैक्षिक माहौल का पर्याय बन गया है। हम बात कर रहे हैं इलाहाबाद के संगम तट पर स्थित उस कृषि विश्वविद्यालय की जिसकी स्थापना 1910 में हुई थी और तब से लेकर अब तक में इस विश्वविद्यालय ने जो मुकाम हासिल किया वह काबिलेगौर है।

इलाहाबाद में एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के नाम से मशहूर इस विश्वविद्यालय का पूरा नाम सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी और साइंस है। सैम हिगिनबॉटम इस विश्वविद्यालय के संस्थापक का नाम है और इसकी स्थापना देश में कृषि की बढ़ती महत्ता और जरूरत के हिसाब से की गई थी।

हालांकि इसकी शुरूआत एक कालेज के तौर पर हुई थी और इन 107 सालों के सफर में एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने कई बदलाव देखे। इसे साल 2001 में मान्य विश्वविद्यालय का दर्जा मिला और इंजिनियरिंग से लेकर मीडिया तक की पढ़ाई यहां पर स्टार्ट हुई। ट्र्स्ट का संस्थान होने के बाद भी इसे राज्य कृषि विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है।

पढ़ाएं जाते हैं कई कोर्सेस
आपको बता दें कि इस विश्वविद्यालय में केवल एग्रीकल्चर की पढ़ाई नहीं बल्कि लगभग सभी कोर्स पढ़ाए जातें है। इनमें इंजिनियरिंग, मेडिकल, मीडिया, ह्यूमिनिटीज, शिक्षा, बिजनेस, कम्प्यूटर साइंस से लेकर मनोविज्ञान तक की पढ़ाई होती है।

एसएफएमसी प्लस पोइंट
इस विश्वविद्यालय का ही एक डिपार्टमेंट स्कूल आफ फिल्ंम एंड मास कम्यूनिकेशन सोर्स से लेकर कोर्स तक में इतना फेमस है कि इसे उत्तर प्रदेश में कानपुर के जागरण इंस्टीट्यूट के बाद दूसरा सबसे बड़ा मीडिया शिक्षा संस्थान माना जाता है। यहां से निकले छात्र आज देश के बड़े मीडिया समूहों में कार्यरत है।

इनमें टीवी टूडे ग्रुप से लेकर, एबीपी समूह, जागरण समूह, एनटीवी, जी समूह आदि शामिल हैं। इस संस्थान का मुंबई के फिल्म जगत में भी काफी नाम है और यहां से निकले कई छात्र फिल्म जगत में अपना मुकाम बनाया है।

एग्रीकल्चर की पढ़ाई के लिए विश्वभर में फेमस
हालांकि इस विश्वविद्यालय की सबसे बड़ी पहचान यहां पर होने वाली विश्वस्तर की एग्रीकल्चर की पढ़ाई की वजह है और आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस छोटे से शहर के बड़े विश्वविद्यालय में एग्रीकल्चर की पढ़ाई के लिए न केवल भारत के कोने कोने से आते हैं बल्कि यहां पर विदेशी छात्रों का भी एक बड़ा समूह है।

विदेशी छात्रों का भी बोलबाला
विश्वविद्यालय का इंटरनेशनल हास्टल केवल विदेशी छात्रों के लिए रिजर्व है और ये लगभग हर डिपार्टमेंट से अपनी शिक्षा लेते हुए नजर आते हैं। अभी आप सोच रहे होंगे कि एग्रीाकल्चर की पढ़ाई से आधुनिकता का क्या संबंध है तो आपको बता दें कि यही इसकी खासियत है।

शानदार माहौल
कहने को आप इन्हें एग्रीकल्चर का छात्र कह सकते हैं लेकिन ये आधुनिकता के ऐसे आयाम गढ़ रहे हैं कि हर किसी की आंखें चौधियां जाती है। दरअसल इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यहां का खुला शैक्षिक माहौल है जो किसी भी छात्र और छात्रा को प्रेशऱ में नहीं आने देता है।

लगभग तीन किलोमीटर के इस हरेभरे परिसर की चौड़ी सड़के, शानदार बिल्डिंग्स, बेहतर शैक्षिक माहौल, को-आपरेटिव फैकलिटी किसी भी छात्र को यहां बरबस खिच ले आती है। यहां का सेन्ट्रल कैंटीन, लव पार्क स्टूडेंट्स के आकर्षण का केन्द्र हैं।

कहा जाता है मिनी मुंबई
कम ही लोग जानते हैं कि इस विश्वविद्यालय को मिनी मुंबई के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल इसके पीछे की वजह छात्र-छात्राओं पर किसी तरह का प्रेशर का न होना और आधुनिकता के नए आयाम गढ़ना है। यहां पढ़ने वाला शायद ही कोई छात्र होता है जो इस माहौल को कभी भूल पाता है।

बन गया है फिल्म शूटिंग हब
शाम को होने वाली पार्टियां, बर्थडे विशेष, विभिन्न आयोजन, सेलिब्रेशन इस कालेज को और भी शानदार बनाते हैं। लेकिन इन दिनों कालेज फिल्म इंडस्ट्री के लिए शूटिंग हब के तौर पर भी उभरा है। यहां न केवल कई हिंदी फिल्में शूट की गई है। बल्कि कई शॉर्ट फिल्मों की भी शूटिंग होती रहती है।

अभी पिछले साल ही यहां बॉलीवुड अभिनेत्री रिचा चढ़्ढ़ा और नील नितिन मुकेश की फिल्म “इश्केरिया” की शूटिंग इसी कैम्पस में की गई है। यहां सनसनी, अन्नू ट्रांसजेंडर जैसी डाक्यूमेन्ट्री फिल्में भी शूट की जा चुकी हैं और यह सब इस परिसर की सुंदरता के कारण ही संभव होता है। आपको कभी समय मिले तो यहां घूमने भी आ सकते हैं।

आप नीचे इसी विश्वविद्यालय के छात्रों के द्वारा बनाए गए यूनिवर्सिटी के शानदार कैम्पस का यह वीडियो देख सकते हैं।

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