तुर्कमेनिस्तान 69 सालों तक सोवियत संघ का ही एक भाग रहा। इस देश पर पहले किसी ने इतना गौर नहीं किया था। 27 अक्टूबर 1991 में इस देश को एक स्वतंत्र देश के रूप में घोषित किया और यहीं से शुरू हुआ इस देश का एक नया अध्याय। इस देश को किसी ने इतनी तवज्जो नहीं दी थी लेकिन इस देश के पास ऐसी अपार संपदा है कि ये देश अपने आप में अमीर है।
इस देश की धरती के नीचे प्राकृतिक गैस का भंडार है जिसे दुनियाभर के देशों में निर्यात किया जाता है। 1985 में सोवियत संघ द्वारा साप्रमूरत नियाजोव को यहां का राष्ट्रपति बनाया गया। नियाजोव का निधन 2006 में हुआ और तब तक वे यहां के राष्ट्रपति रहे। साल 2006 में नियाजोव के बाद गुरबांगुल बर्दीमुहामेदो यहां के राष्ट्रपति बने।
तुर्कमेनिस्तान का 80 प्रतिशत भाग काराकुम रेगिस्तान से घिरा हुआ है। इस देश की अर्थव्यवस्था प्राकृतिक गैस पर निर्भर है। इस देश से रूस और चाइना जैसे देशों में गैस का निर्यात किया जाता है। तुर्कमेनिस्तान में एक ओर जहां कई तरह की सुविधाए हैं, वहीं दूसरी ओर यहां कई तरह की पाबंदियां भी है।
साल 1993 में जब यह देश स्वतंत्र देश घोषित हुआ तो यहां के लोगों को कई सुविधाए दी गई। 1993 में यहां के नागरिकों को मुफ्त बिजली, गैस और पानी दिया जाता था, लेकिन हाल ही में इन सबको लेकर निश्चित सीमा तय की गई है। आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि इस देश में पेट्रोल फ्री दिया जाता है।
इस देश के नागरिकों को पेट्रोल फ्री दिया जाता था। हर महीने चार पहिया वाहन के मालिक को 120 लीटर पेट्रोल दिया जाता था। बीबीसी में छपी एक ख़बर के मुताबिक इस सुविधा को 2008 में शुरू किया गया था। लेकिन 1 जुलाई 2014 को इस सुविधा को अंतराष्ट्रीय हस्तक्षेप के चलते बंद कर दिया गया, बंद करने के बाद भी यहां पेट्रोल काफी मामूली कीमत में मिलता है। यहां के पेट्रोल पंप पर इसकी कीमत 0.22 डॉलर यानी कुल 15 रूपए लीटर है।
तुर्कमेनिस्तान की कुल आबादी 5 लाख 24 हजार है और यहां 32 से ज़्यादा मुख्य शहर है। तुर्कमेनिस्तान में साक्षरता की दर 99.6 प्रतिशत है। इस देश की जीडीपी 10.2 प्रतिशत है। यह देश विश्व कपास उत्पादक देशों में भी नौवे स्थान पर आता है। इस देश में कई जगह पर आपको असली डायनासोर के पैरों के निशान भी मिल सकते है।
इस देश में एक ओर जहां नागरिकों के लिए इतनी सुविधाएं है वहीं दूसरी ओर इस देश में नागरिकों के पास अपने अधिकार नहीं है। इस देश की सरकार ने यहां के नागरिकों को कोई अधिकार नहीं दिए है यहां के 90 प्रतिशत से ज़्यादा लोग सरकार के अधीन ही नौकरी करते है। वहीं इस देश में मीडिया पर भी कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए है।