कश्मीरी युवा पत्थर छोड़ देशप्रेम की खातिर पुलिस भर्ती को तैयार
जम्मू कश्मीर में कुछ ही दिन पहले शोपियां में हिजबुल मुदाहिदीन के आतंकियों ने आर्मी अफसर लेफ्टिनेंट उमर फयाज की हत्या की गई थी और कश्मीरवासियों को भी चेतावनी दी थी कि उनमें से कोई भी पुलिस या आर्मी में भर्ती हुआ तो उसका भी यही अंजाम होगा। ऐसे कई वीडियो के जरिए लोगों को धमकाया गया लेकिन इस धमकी का कश्मीरवासियों पर कोई असर नहीं हुआ।
हाल ही में श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में जम्मू कश्मीर पुलिस में सब इंस्पेक्टर के लिए फिजिकल टेस्ट रखा गया था जिसमें उम्मीद से भी ज़्यादा कश्मीरी युवाओं ने भाग लिया। विभिन्न आतंकी संगठन कश्मीरी युवाओं को सुरक्षा बलों में भर्ती ना होने की चेतावनी देते रहते हैं और कई धमकी भरे विडियो भी जारी करते रहते हैं।
इन सबके बावजूद घाटी के युवा ना केवल इन धमकियों की परवाह किए बिना जम्मू-कश्मीर की पुलिस भर्ती के लिए लाइन में खड़े दिखे बल्कि उनकी संख्या जम्मू से आने वाले युवाओं की संख्या में काफी ज्यादा थी। सब-इंस्पेक्टर के 698 पदों के लिए 67,218 उम्मीदवारों ने आवेदन किया है। इनमें से 35,722 कश्मीर से थे जबकि जम्मू से आने वाले उम्मीदवारों की संख्या 31, 496 थी।
जम्मू-कश्मीर डीजीपी एसपी वैद्य ने बताया, दर्जनों कश्मीरी लड़कियों ने समाज की तमाम रूढ़ियां तोड़ते हुए पुलिस भर्ती के फिजिकल टेस्ट में हिस्सा लिया। 6000 से ज्यादा कश्मीरी लड़कियां सब-इंस्पेक्टर्स की भर्ती के लिए हुए फिजिकल टेस्ट में शामिल हुईं। श्रीनगर से आने वाली एक उम्मीदवार नुशरत ने बताया, ’वह स्थानीय महिलाओं की मदद रना चाहती हूं कश्मीर में आंतकवाद की वजह से हमने कईं औरतों को बहुत मुसीबतें झेलते देखा है। उनकी मुश्किलों की तरफ ध्यान दिया जाना चाहिए।’
इस ख़बर से दिल में कही एक सकारात्मकता दिखती है लेकिन दिल के घाव इतनी जल्दी नहीं भरते। कश्मीर के ये युवा पुलिस में भर्ती होना चाहते हैं क्योंकि ये उनका देशप्रेम है, वहीं दूसरी ओर कश्मीर के ही युवा भारत की फौज पर पत्थर बरसाते हैं, उस फौज पर जो दिन-रात अपनी जान ताक पर रखकर उनकी सेवा कर रही हैं उन्हें मौत के मुंह में जाने से बचा रही है।
माना कि कश्मीर के युवाओं की बहुत सारे युवा रहते हैं जिनमें से पत्थर बरसाने वाले कौन है ये पहचानना मुश्किल हैं लेकिन इतनी जल्दी इतना बड़ा परिवर्तन होना कहीं न कहीं खटकता है। भले ही हर इंसान एक सा न हो लेकिन हालात अभी कुछ दिनों पहले कई बार हमारे सामने से गुजरे हैं जब हमने खुद कश्मीर के युवाओं के हाथ में पत्थर देखें हैं। इन पत्थरों से किसी और का नहीं बल्कि भारत की फौज को ही चोटें पहुंचाई गई है।
कश्मीर पुलिस की इस भर्ती प्रक्रिया में आतंकियों की धमकी के बावजूद 67,218 आवेदन आना वाकई में आश्चर्य की बात है। सरकार को बड़ी ही सावधानी से सोच-समझकर इस पर निर्णय लेना चाहिए कि जनता का रखवाला यानि जम्मू पुलिस की बागडोर किनके हाथों में दे।
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