Tuesday, August 29th, 2017
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30 दिनों में 52 नवजात बच्चों की मौत का एक और मामला सामने आया




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यूपी के गोरखपुर के BRD अस्पताल में ऑक्सीजन की सप्लाई के कारण हुई 30 से अधिक बच्चों की मौत का मामला मन-मस्तिष्क को झकझोर देता है, और अब झारखंड में भी ऐसे ही हालात बन गए हैं। लापरवाही के कारण झारखंड के एक सरकारी अस्पताल में कई नवजात दम तोड़ चुके हैं। यह मामला जमशेदपुर के महात्मा गांधी मेमोरियल सरकारी अस्पताल (MGMGH) का है। यहां पर 30 दिनों में 52 नवजात बच्चों की मृत्यु हो चुकी है। ANI के मुताबिक ये सभी नवजात बच्चे हैं। कुछ दिनों पहले आई एक रिपोर्ट के अनुसार रांची के अस्पतालों में 117 दिनों में करीब 164 बच्चों की मृत्यु हो चुकी है। सूत्रों का कहना है कि इन मौतों का कारण एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। अस्पताल के सुप्रींटेंडेंट का कहना है कि इन मौतों का कारण कुपोषण है।

गोरखपुर : मासूम मौतों का मंजर कभी भुलाया नहीं जा सकेगा

आप अभी पिछली 10-11 अगस्त की रात को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में संदिग्ध हालात में कम से कम 30 बच्चों की मौत को भूले नहीं होंगे। सीएम योगी आदित्यनाथ ने 12 अगस्त को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। समिति ने गत 20 अगस्त को सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन डीन डॉ राजीव मिश्रा, ऑक्सीजन प्रभारी, एनेस्थिसिया बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ सतीश तथा एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम बोर्ड के तत्कालीन नोडल अधिकारी डॉ कफील खान तथा मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की आपूर्तिकर्ता कंपनी पुष्पा सेल्स के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की सिफारिश की थी। इसके अलावा समिति ने डॉक्टर राजीव मिश्रा और उनकी पत्नी डॉक्टर पूर्णिमा शुक्ला, मेडिकल कॉलेज के लेखा विभाग के कर्मचारियों तथा चीफ फार्मासिस्ट गजानन जायसवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार उन्मूलन अधिनियम के तहत कार्रवाई की संस्तुति की है। समिति ने गैर-जिम्मेदाराना आचरण, कर्तव्यहीनता और कर्मचारी आचरण नियमावली के प्रतिकूल रवैया अपनाने के लिए डॉ. राजीव मिश्रा, डॉ. सतीश, डॉ. कफील खान, गजानन जायसवाल एवं सहायक लेखाकार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश भी की है। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज में औषधि तथा रसायनों की आपूर्ति की पिछले तीन वर्षों की कैग से विशेष आॅडिट कराने, डॉ. कफील खान द्वारा गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के समक्ष तथ्यों को छुपा कर शपथ पत्र दाखिल करने और इंडियन मेडिकल काउंसिल के नियमों के विपरीत काम करने के लिए आपराधिक कार्रवाई किए जाने की सिफारिश भी की गई है।

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