Tuesday, September 5th, 2017 04:33:44
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इंजीनियर जो आते ही चटकाता था विकेट, खेले थे चार वर्ल्डकप




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Jawagal shrinath

89 का समय था। दो क्लबों का क्रिकेट मैच चल रहा था। इस मैच में एक खिलाड़ी ऐसा था जो अच्छे-अच्छे बैट्समेन के छक्के छुड़ा रहा था। मैच में इस खिलाड़ी ने बल्लेबाजों को ऐसे आउट किया कि इंडियन टेस्ट टीम के खिलाड़ी गुंडप्पा विश्वनाथ को ये भा गए। उस समय गुंडप्पा विश्वनाथ स्टेट टीम के सिलेक्टर के रूप में वहां मौजूद थे। उन्होंने बैट्समैन की नाक में दम करने वाले इस बॉलर को सिलेक्ट कर लिया। इस बॉलर का नाम था जवागल श्रीनाथ। इंडियन टीम के सबसे फेमस बॉलर रह चुके श्रीनाथ के जन्मदिन के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं उनकी लाइफ और उनके खेल से जुड़ी कुछ ख़ास बातें…

इंजीनियर बन उतरे मैदान में

जवागल श्रीनाथ का जन्म 31 अगस्त 1969 को मैसूर में हुआ था। उन्हें बचपन से ही क्रिकेट खेलने में रुचि थी। बचपन में ही इन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने मैसूर के श्री जयचमराजेंद्र कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इंस्ट्रूमेंटेंशन टेक्नोलॉजी में इंजीनियरिंग की डिग्री ली। श्रीनाथ ने इंजीनियरिंग तो की लेकिन उसमें अपना करियर नहीं बनाया और इंडियन क्रिकेट टीम के सबसे फेमस बॉलर के रूप में पहचान बनाई।

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इनके इंडिया टीम में सिलेक्ट होने की शुरूआत उसी क्लब के मैच से हुई जहां ये इंडियन टेस्ट मैच बैट्समैन गुंडप्पा विश्वनाथ द्वारा सिलेक्ट हुए थे। इस समय वो स्टेट टीम के लिए सेलेक्ट हुए थे। सिलेक्ट होने के बाद उन्होंने अपना पहला मैच कनार्टक की ओर से हैदाराबाद के खिलाफ खेला था। जिसमें उन्होंने पहली इनिंग में हैट्रिक लगा दी थी। श्रीनाथ ने इसी सीरीज़ के छह मैचों में 25 विकेट लिए थे।

वनडे की शुरूआत में ही बनाई पहचान

श्रीनाथ ने अपने इंटरनेशनल वनडे मैच की शुरूआत 1991 में विल्स ट्रॉफी के साथ की थी। वे उस समय इंडिया के सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले बॉलर बने। उन्होंने इंडिया की विकेट रैंकिंग में भी सुधार किया। उस समय टीम इंडिया में बॉलिंग में अनिल कुंबले को ज़्यादा  जाना जाता था। लेकिन श्रीनाथ ने अपनी अलग पहचान बनाई ।उन्होंने इंटरनेशनल वनडे के 34 मैचों में 44 विकेट लिए थे।

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ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका को चटाई धूल

1992 में श्रीनाथ को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में शामिल किया गया। इस मैच में उन्होंने 59 रन देकर 3 विकेट लिए थे। इस पूरी सीरीज़ में उन्होंने दस विकेट लिए। इस सीरीज़ के बाद साउथ अफ्रीका के साथ खेले गए मैच के लिए सिलेक्ट हो गए। इस सीरीज़ में उन्होंने कुल 12 विकेट लिए थे।

टेस्ट मैच के लिए किया इंतज़ार

श्रीनाथ को टेस्ट मैच में बॉलिंग करने के लिए तीन साल इंतज़ार करना पड़ा। सन 1994 में उन्होंने टेस्ट मैच में एंट्री ली। उस समय कपिल देव ने क्रिकेट से रिटायरमेंट लिया था। जिनकी जगह पर श्रीनाथ आए। श्रीनाथ का पहला टेस्ट मैच वेस्ट इंडीज के खिलाफ था। उन्होंने इस टेस्ट मैच में पांच विकेट लिए और अपने पहले टेस्ट मैच में वे ‘मैन ऑफ दी मैच’ बन गए।

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फास्ट बॉलर में भी शामिल

1997/98 सीरिज में श्रीनाथ ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच खेल रहे थे उस समय उनकी बॉलिंग स्पीड 149.6 किमी प्रति घंटा हुआ करती थी। तभी जिम्बॉब्वे के साथ खेली गई सीरीज़ में जिम्बॉब्वे के कप्तान ने ये खुलासा किया कि श्रीनाथ की बॉलिंग स्पीड 157 है। उस समय श्रीनाथ की बॉलिंग स्पीड को काफी तेज माना जाता था।

श्रीनाथ अपनी अच्छी बॉलिंग के कारण कई सालों तक सिर्फ बॉलर के रूप में ही खेलते रहे। बॉलिंग के कारण 1997 में उनके दाएं कंधे को चोट का सामना करना पड़ा। इसके कारण उनके कंधे का ऑपरेशन भी हुआ और उन्हें एक लंबे समय तक क्रिकेट से दूर रहना पड़ा। उनके कंधे का ये ऑपरेशन उनके बॉलिंग के जुनून को लेकर ही हुआ। ऑपरेशन होने तक उन्होंने 27 टेस्ट मैचों में 92 विकेट लिए थे।

NEW ZEALAND - JANUARY 04: India's Javagal Srinath snares the wicket of New Zealand Black Caps Nathan Astle for 15 in the fourth one day international cricket match at the Queenstown Event Centre, New Zealand,Saturday the 4th January, 2003. (Photo by Ross Setford/Getty Images)

ऑपरेशन के बाद की धमाकेदार वापसी

1997 में ऑपरेशन के बाद श्रीनाथ ने कई मैच छोड़े लेकिन 1998 में उन्होंने ऑपरेशन के बाद रिकवर किया और फिर से धमाकेदार वापसी की। भारत ने 1988 में 5 टेस्ट मैच खेले थे जिनमें से चार में श्रीनाथ मौजूद रहे। उन्होंने 17 विकेट टेस्ट मैच में लिए और 37 विकेट 19 वन डे मैचों में लिए।

दूसरे वर्ल्ड कप में किया धमाका

1999 में उन्हें दूसरे वर्ल्ड मे खेलने का मौका मिला। इस वर्ल्ड कप में 11 डॉट बॉल फेंकने का रिकार्ड उनके नाम रहा। उन्होंने इस वर्ल्ड कप में 11 विकेट लिए थे। इस समय श्रीनाथ दुनिया के बेहतरीन बॉलर्स में गिने जाने लगे। उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 132 रन देकर 13 विकेट लिए। 1999 में उन्होंने टेस्ट मैचों में 44 विकेट और वनडे मैचों में 34 विकेट लिए थे। इस साल उन्हें दो बार ‘मैनऑफ दी मैच’ चुना गया।

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कुछ समय रहे मैदान से बाहर

साल 2000 में इंडिया टीम के कैप्टन बदलने के साथ ही उनके और अनिल कुंबले के बीच तुलना होने लगी। वर्ष 2000 में उन्होंने कई वनडे और फॉरेन टेस्ट मैच खेले लेकिन साल 2001 में उन्हें कुछ दिन मैदान से बाहर रहना पड़ा। इस समय टीम में ज़हीर ख़ान और अजीत आगरकर जैसे बॉलर टीम में अपनी जगह बना रहे थे। मैदान से दूर रहकर भी उन्होंने इस साल 8 टेस्ट और 15 वनडे खेले थे।

सौरभ गांगुली ने की वर्ल्डकप खेलने की रिक्वेस्ट

साल 2003 में श्रीनाथ रिटायरमेंट चाहते थे। उस समय टीम के कैप्टन ‘दादा’ यानी सौरभ गांगुली हुआ करते थे। श्रीनाथ ने अपने रिटायरमेंट की बात जब कैप्टन से कही तो सौरभ गांगुली ने उन्हें वर्ल्डकप में खेलने की रिक्वेस्ट की। वर्ल्डकप में उनकी बॉलिंग ने टीम को फाइनल में पहुंचने पर काफी मदद की। उन्होंने अकेले ने 7 मैचों में 18 विकेट लिए थे। ये श्रीनाथ का अखिरी वर्ल्डकप मैच था। उन्होंने वर्ल्डकप में शुरू से लेकर आखिरी तक बहुत अच्छा परफॉर्म किया था।

जब श्रीनाथ रिटायर हुए तब वो आईसीसी प्लेयर रैंकिंग में 8वें नंबर पर थे। उनका इंडियन क्रिकेट में योगदान भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने अपने पूरे क्रिकेट करियर में 500 से ज्यादा विकेट लिए थे। इसके साथ ही उन्होंने अपने वनडे करियर में 300 से ज्यादा विकेट लिए थे। अपने रिटायरमेंट तक वो भारत के बेस्ट बॉलर बने रहे।

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रिटायरमेंट के बाद भी नहीं छोड़ा मैदान

क्रिकेट से उनका लगाव बचपन से ही था जो अभी तक नहीं छूटा है। रिटायरमेंट के बाद भी श्रीनाथ क्रिकेट से जुड़े हुए है। 2003 में रिटायरमेंट के बाद वे कई बार कमेंटेटर की भूमिका में नज़र आए। इसके बाद 2006 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने उन्हें मैच रेफ़री के रूप में चुना।रेफ़री के तौर पर उन्होंने 24 टेस्ट मैच, 122 वनडे और 25 टी20 मैच में अपना योगदान दिया।

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