इस आदिवासी जिले ने दिए IIT JEE में 55 सिलेक्शन
जेईई मेन परीक्षा जिसके लिए छात्र साल भर कोचिंग इंस्टीट्यूट जाकर पढ़ाई करते हैं, कुछ छात्र तो 2 साल लगा देते हैं इस परीक्षा की तैयारी में, ऐसे में झाबुआ जिले के 55 स्टूडेंस का इस परीक्षा में चयन होना बड़े ही आश्चर्य की बात है। जिसे भी इस बात का पता चल रहा है, वो अचरच में हैं। झाबुआ जिले की साक्षरता दर महज 43.3 प्रतिशत हैं, ऐसे में 55 छात्रों ने असंभव को संभव कर दिखाया हैं।
मध्यप्रदेश के आदिवासी जिले झाबुआ के एक दो नहीं बल्कि 55 स्टूडेंट्स ने आईआईटी जेईई मेन 2017 की परीक्षा में सफलता हासिल की हैं। शिक्षा के अभाव वाले इस क्षेत्र में इस तरह की तरक्की हासिल करना छात्रों के लिए बहुत सम्मान की बात है। इन 55 स्टूडेंस में से ज्यादातर ऐसे पिछड़े गांव से आते हैं, जिन्हें सरकारी स्कूल में जाकर पढ़ने के लिए भी हर दिन कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। न ही किसी प्रोफेशनल कोचिंग इंस्टीट्यूट में जाकर पढ़ाई करने का इन्हें अवसर मिला।
विशेष मिशन चलाया गया
55 छात्रों के सपनों को पूरा किया है आईएएस अधिकारी अनुराग चौधरी ने। जिन्होंने एक विशेष मिशन के जरिए छात्रों कि मदद की। झाबुआ जिला पंचायत के सीईओ अनुराग चौधरी ने बताया कि- अब नामुमकिन जैसे शब्द इन बच्चों की डिक्शनरी में नहीं हैं। सबसे बड़ा चैलेंज यह था कि झाबुआ में निरक्षरता का दर बहुत ज्यादा है, जिसकी वजह से बच्चें मैथ्य जैसे सब्जेक्ट लेने से बचते थे। फिर भी हमने कोशिश की जो कामयाब रही।
12 किलोमीटर पैदल चलते थे छात्र
जेईई मेन की तैयारी के लिए अनुराग चौधरी ने फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स के लिए जिले के बेस्ट सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को इकट्ठा किया। शिक्षकों ने छात्रों को स्कूल के बाद और छुट्टी के दिन पढ़ाना शुरु किया। छात्र स्कूल जाने के लिए हर दिन पैदल ही 12 किलोमीटर का सफर तय करते थे। छात्रों को ऐसा करने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई क्योंकि उन्हें अपने सपने पूरे करने थे।
अब सरकार करेगी मदद
जेईई मेन कि तैयारी का मिशन पूरा करने के लिए अलग-अलग सरकारी स्किम के नाम पर आने वाले फंड्स का सहारा लिया गया। जिन स्टूडेंट्स ने जेईई मेन्स में सफलता हासिल कि हैं, उन्हें इंदौर भेजा जाएगा। जहां वे आईआईटी जेईई अडवांस की तैयारी करेंगे। इसके लिए अब सरकार शिक्षा का पूरा खर्च उठाएगी।
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