JNU से लापता स्टूडेंट के ISIS में शामिल होने का शक
परीक्षित गंगराड़े. करीब साढ़े चार महीने पहले JNU से लापता स्टूडेंट नजीब अहमद को लेकर कई बार विवाद हुए हंगामे हुए, लेकिन दिल्ली पुलिस के नए खुलासे ने छात्र नजीब अहमद के ISIS में शामिल होने का शक पैदा किया है। दिल्ली पुलिस ने स्टूडेंट दिल्ली पुलिस ने इससे संबंधित एक रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी है, जिसमें बताया गया है कि पुलिस द्वारा नजीब की इन्टरनेट सर्फिंग के हिस्ट्री ब्रोसर को खंगाला तो बेहद चौकाने वाला खुलासा हुआ, रिपोर्ट में है कि नजीब अहमद गूगल और यूट्यूब पर दुनिया के सबसे भयावह समझे जाने वाले आतंकी संगठन ISIS के बारे में जानकारियां सर्च करता था। नजीब अहमद ISIS की विचारधारा, कार्यशैली और नेटवर्क के बारे में जानना चाहता था।
लैपटॉप की हिस्ट्री से पता
एक इंग्लिश डेली के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने नजीब अहमद के कमरे से लैपटॉप बरामद किया था। उस लैपटॉप की गूगल और ब्रोसर्स की हिस्ट्री से पता चला कि नजीब ISIS से संबंधित जानकारियां सर्च करता था। छात्र ने ISIS से संबंधित कई वीडियो यूट्यूब पर देखें। वह यह जानना चाहता था कि ISIS कैसे ज्वाइन किया जा सकता है?
पुलिस का दावा नजीब ऑटो से गया और लौटा नहीं
छात्र नजीब को लेकर दिल्ली पुलिस ने एक और दावा किया है, दिल्ली पुलिस के मुताबिक 14 अक्टूबर को छात्र नजीब हॉस्टल के अपने कमरे में ISIS के किसी बड़े गुर्गे का भाषण सुन रहा था, उसी वक्त ABVP के कार्यकर्ताओं ने उसका दरवाजा पर नॉक किया था। फिर नजीब की कार्यकर्ताओं से झड़प हो गयी थी इसके बाद एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने उसके कमरे में घुसकर पिटाई की। अगले ही दिन वह जेएनयू से लापता हो गया। कैंपस में लगे CCTV फुटेज में नजीब एक ऑटो रिक्शा से कैंपस से कहीं बाहर जाते दिखाई दिया था।
नेपाल के रास्ते से प्रलोभन आने की आशंका
केस की पड़ताल में लगी पुलिस अब इंटेलिजेंस के साथ मिलकर उसके रैडिकल गुट से जुड़ने की जांच कर रही है। उसके नेपाल के रास्ते से प्रलोभन आने की आशंका है। यूपी से सटे नेपाल के कई इलाकों में नजीब के फोटो के साथ पोस्टर्स लगे हुए हैं।
10 लाख का ईनाम
नजीब के लैपटॉप को फॉरेन्सिक जांच के लिए भेज दिया गया और नजीब का पता देने पर 10 लाख का ईनाम भी घोषित किया। नजीब की मां फातिमा नफीस ने पुलिस की जांच से निराशा जताई। वहीं दिल्ली हाई कोर्ट भी इस मामले में अब तक नाकाम रही दिल्ली पुलिस की खिंचाई कर चुका है।
लाई डिटेक्टर टेस्ट कराना जरुरी – दिल्ली पुलिस
लाई डिटेक्टर टेस्ट कराये जाने पर कोर्ट ने अपना फैसला 27 मार्च तक के लिए सुरक्षित रख लिया। मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट सुमित दास को सोमवार को फैसला देना था, लेकिन उन्होंने यह कहते हुए आदेश नहीं दिया कि आदेश तैयार नहीं है। सुनवाई 15 मार्च को पूरी हुई थी। वहीं दिल्ली पुलिस ने 23 जनवरी को इस बात पर जोर दिया था कि नजीब के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए केस से जुड़े स्टूडेंट्स का लाई डिटेक्टर टेस्ट कराना जरुरी है।
घटना में आए कई मोड, लेकिन ढूंढा नहीं जा सका
गौरतलब है कि करीब साढ़े चार महीने पहले नजीब की जेएनयू में एबीवीपी कार्यकर्ताओं से झड़प हो गयी थी इसके बाद एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने उसके हॉस्टल के कमरे में घुसकर पिटाई की। और उसके अगले दिन से ही वो हॉस्टल से लापता है। इन साढ़े चार महीनों के दौरान नजीब की घटना में कई मोड आए लेकिन अभी तक उसको नहीं ढूंढा जा सका है।
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