हमारे देश में आज सैकड़ों मस्जिद है और बहुत सी फैमस मस्जिद शायद आप ने देख भी ली होगी. मगर कुछ मस्जिद ऐसी है भी जो स्थापत्यकला को लेकर आज भी फैमस है और शायद ही आप ने इस तरह की मस्जिदों का कभी भ्रमण किया हो.
-दरअसल आज हम आपको एक ऐसी मस्जिद के बारें में बातने जहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे इस मस्जिद का आज भ्रमण करेंगे.
-अब आप अनुमान लगा सकते है कि देश के PM जब इस मस्जिद का भ्रमण कर रहे है तो कितनी खास होगी. तो आप भी इस मस्जिद का भ्रमण कर सकते है या हम कह सकते है कि आप भी यहां घुमने जा सकते है.
-यह मस्जिद सिदी सईद मस्जिद है जो अहमदाबाद में मुगल काल के दौरान 1573 में थी. बताया जाता है कि यह मुगल काल के दौरान बनी आखिरी मस्जिद है.
-जिस कारीगर ने इस मस्जिद का निर्माण किया था उसी के नाम पर इस मस्जिद का नाम रखा गया था. उस कारीगर का नाम था “सिदी सईद” आपको बता दे कि सईद यमन से आए थे और उन्होंने सुल्तान नसीरुद्दीन महमूद और सुल्तान मुज़फ़्फ़र शाह के दरबार में काम किया.
-इस मस्जिद की सबसे खास बात यह कि इसकी पश्चिमी दीवार की खिड़कियों पर उकेरी गई जालियां पूरी दुनिया में मशहूर है. एक-दूसरे से लिपटी शाखाओं वाले पेड़ को दिखाती ये नक्काशी पत्थर से तैयार की गई है. जो इंडो इस्लामिक आर्किटेक्चर का हिस्सा है. इस मस्जिद में आठ खिड़कियां है जिसमें पत्थर पर जाली का काम हुआ है. बता दे कि इसे सिदी सईद की जाली भी कहते हैं.
कौन हैं सिदी मुसलमान?
जो लोग अफ़्रीका से भारत आए थे उन्हें सिदी कहा जाता है. बताया जाता है कि ये गुलाम बनकर भारत आए थे. बता दे कि मस्जिद का काम चल ही रहा था कि 1583 में सिदी का इंतक़ाल हो गया और इसका निर्माण अधूरा रह गया और मस्जिद आज भी उसी हाल में है. बताया जाता है कि सिदी को इसी मस्जिद दफ़्नया गया था.
वही मस्जिद में ना मीनारे हैं और ना ही ये स्थापत्य कला बस मस्जिद की ख़ूबी इसकी जाली है, जो दूर से देखने में एक लगती है मगर वाकई यह अलग-अलग है. इसी वजह से आईआईएम अहमदाबाद के प्रतीक में भी ये जाली नज़र आती है.