जानिए 3.57 रूपए में छपे नोट के कैसे मिलते है 2000 रूपए
भारत की जनता नोटबंदी के बाद से ही नोट को लेकर असमंजस में पड़ी हुई है। कभी उसे असली नकली का फर्क समझ में नहीं आता तो कभी वो अफवाहों के दौर से गुजरती है। नोटबंदी के दौर में अफवाहों ने खूब तूल पकड़ा था। लेकिन जो भी हो अब वो दौर जा चुका है और सब कुछ सामान्य हो गया है।
नोटबंदी के बाद 500 और 2000 रूपए के नए नोट प्रचलन में लाए गए। हाल ही में इन्हें बनाने में लगे खर्च के बारे में खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि ये नोट तीन से चार रूपए के बीच में बन जाते हैं। इस बात की पुष्टि खुद केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने की और नोट की बनने की असली कीमत का खुलासा किया।
केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राज्यसभा में अपने लिखित जवाब में कहा कि 500 रुपये के हर नये नोट की छपाई पर 2.87 रुपये से 3.09 रुपये के बीच और 2,000 रुपये के हर नये नोट की छपाई पर 3.54 रुपये से 3.77 रुपये के बीच लागत आयी। मेघवाल ने साथ ही यह भी कहा कि चूंकि अभी 5,00 और 2,000 रुपये के नए नोटों की छपाई पूरी नहीं हो सकी है इसलिए नये नोटों की छपाई पर आयी कुल लागत अभी बताना संभव नहीं है. मंत्री ने बताया कि 24 फरवरी तक देश में कुल प्रचलन मुद्रा 11.641 लाख करोड़ रुपये थी. 10 दिसंबर, 2016 तक भारतीय रिजर्व बैंक में कुल 12.44 लाख करोड़ रुपये राशि के पुराने नोट जमा हुए थे।
एक अन्य वित्त राज्यमंत्री संतोष कुमार गंगवार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया कि आयकर विभाग ने 1,100 से अधिक तलाशी और जांच अभियान चलाए तथा ऊंची नकद जमा के संदर्भ में संदिग्ध लेनदेन की पुष्टि के लिए 5,100 से अधिक नोटिस जारी किये हैं. इन अभियानों के तहत 10 जनवरी, 2017 तक 610 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का कीमती सामान बरामद किया गया, जिसमें 513 करोड़ रुपये की नगदी और 5,400 करोड़ रुपये से अधिक की अघोषित आय का खुलासा हुआ।
केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री ने ये खुलासा तो कर दिया कि 2000 रूपए का नोट 3.54 रूपए से लेकर 3.77 रूपए तक छप जाता है लेकिन आप ही बताइए कि किसी चीज़ की लागत इतनी है तो उसके बदले में 2000 रूपए या उसके बराबर का सामान हमें कैसे मिल जाता है। सोचने वाली बात है लेकिन इसका जवाब आपको जरूर मिलेगा।
भारत में नोट बनाने का काम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया करती है जिसकी स्थापना भारत में 1 अप्रैल 1935 को हुई थी। हालांकि इससे पहले भी नोट छापे जाते थे जिन्हें प्रेसीडेंसी बैंकों द्वारा जारी किया जाता था। इस समय नोट छापने और जारी करने का काम आरबीआई के हाथ में है। भारत में नासिक, देवास और हैदराबाद में नोट प्रेस है जहां इन नोटों की छपाई होती है।
नोट के सेफ्टी फीचर्स के बारे में तो आप जानते ही होंगे अगर उनमें से एक भी सेफ्टी फीचर गायब होता है तो नोट को नकली माना जाता है और बैंक ऐसे नोट को लेने से इनकार करता है। इन्हीं नोटों के सेफ्टी फीचर में शामिल है आरबीआई के गर्वनर के सिगनेचर जो नोट पर होते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि हम गर्वनर के सिग्नेचर की बात क्यों कर रहे हैं।
दरअसल आपके पास मौजूद नोट की वैल्यू की असली वजह यही सिग्नेचर है। आपके पास जो नोट 2000 रूपए का है असल में उसे बनाने में चार रूपए से भी कम की लागत लगी है लेकिन इस नोट के बराबर की वैल्यू का सामान आपको इसी सिग्नेचर की बदौलत मिलता है। अगर नोट पर ये सिग्नेचर न हो तो आपके पास पड़े उस नोट का कोई मूल्य नहीं होगा।
नोट पर आपने देखा होगा कि एक वचन लिखा होता है जिसमें लिखा होता है कि ‘‘मैं धारक को ……….. रूपए अदा करने का वचन देता हूं।’’ और उसके नीचे गर्वनर के साइन होते है। दरअसल इसी वचन में गर्वनर यानि आरबीआई प्रमुख आपको ये वचन देते हैं कि आप उस रकम के बराबर राशि अदा करेंगे।
अगर आपके पास नोट है तो इस सिग्नेचर से ये सिद्ध होता है कि आपके पास उतनी वैल्यू है जितनी नोट में लिखी है। दरअसल उस राशि को अदा करने की गारंटी आरबीआई के जरिए खुद सरकार लेती है। आपको बता दें कि एक रूपए दो रूपए और पांच रूपए के सिक्कों में आरबीआई के गर्वनर सिग्नेचर नहीं करते हैं क्योंकि इनकी लागत इनकी वैल्यू के बराबर होती है।
ये भी पढ़ें- सभी नोटों से अलग होता है एक रूपया का नोट, जानिए कुछ ख़ास बातें
- - Advertisement - -
- - Advertisement - -