नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने भारत की सीमाओं को लेकर चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए हैं। संसद में शुक्रवार को पेश कैग की रिपोर्ट में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश भर के 6 स्थानों पर मिसाइल रक्षा प्रणाली लगाने में लेट-लतीफी की बात सामने आई है। इसमें भारत-चीन सीमा भी शामिल है। वर्ष 2013-15 के बीच वायुसेना के लिए मिसाइलें तैनात की जाना थी, लेकिन 4 साल बाद भी यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है।
4 साल बाद भी इस योजना पर कोई तरक्की नहीं हुई
कैग की इस रिपोर्ट के अनुसार संभावित खतरों को देखते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2010 में वायुसेना के लिए ‘S’ सेक्टर में मिसाइल प्रणाली तैनात करने का फैसला लिया था, जिसे जून-2013 से दिसंबर-2015 के बीच तैनात करने की योजना थी। लेकिन, 4 साल बीत जाने पर भी इस योजना पर कोई तरक्की नहीं हुई तथा इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
4,000 करोड़ रुपए खर्च
रिपोर्ट में कहा गया कि इस दिशा में अब तक तकरीबन 4,000 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। रिपोर्ट में तैनाती स्थल का उल्लेख कोड में किया गया है। सूत्रों की मानें तो ‘S’ सेक्टर वायुसेना का पूर्वी कमान है। इस क्षेत्र में चीन के साथ भारत की विस्तृत सीमा लगती है। तैनात किए जाने वाले मिसाइल का नाम भी नहीं बताया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि 6 स्थानों पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित आकाश मिसाइल को तैनात किया जाना है।
टेस्ट में फेल हुए 30% आकाश मिसाइल
कैग की रिपोर्ट में सतह से हवा में मार करने में सक्षम आकाश मिसाइल में गंभीर खामी की बात सामने आई है। परीक्षण के दौरान इसके विफल होने की दर 30% तक बताई गई है। अप्रैल से नवंबर-2014 के बीच 20 मिसाइलों का परीक्षण किया गया, जिनमें 6 विफल रही थी।
जवानों की कमी से जूझ रही सेना
रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने शुक्रवार को लोकसभा में इसकी जानकारी दी कि सिक्किम में चीन, जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच सशस्त्र बलों को जवानों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। जूनियर कमीशन के रैंकों में 52,000 से अधिक कार्मिक अधिकारियों, नाविकों और वायुसैनिकों की कमी है। सबसे ज्यादा सेना में 25,472 जवानों की कमी है। वायुसेना में 13,785 और नौसेना में 13,373 जवानों की कमी है।
गोला बारूद का स्टॉक चिंताजनक रूप से कम
बता दें कि इससे पहले संसद में रखी गई नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में बताया गया कि कोई युद्ध छिड़ने की स्थिति में सेना के पास महज 10 दिन के लिए ही पर्याप्त गोला-बारूद है। कैग की रिपोर्ट में कहा गया कुल 152 तरह के गोला-बारूद में से महज 20% यानी 31 का ही स्टॉक संतोषजनक पाया गया, जबकि 61 प्रकार के गोला बारूद का स्टॉक चिंताजनक रूप से कम पाया गया।