आज का जमाना सेल्फी का जमाना है यह कहना बिल्कुल भी गलत नही होगा .आज के सयम में हर कोई अपनी सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर डालना पसंद करता है . जब इस आज के इस दौर में हर किसी को अपनी सेल्फी का लेने का क्रेज है तो ऐसे में फिर जानवर कहा पीछे रहने वाले है . अब आप यह सोच रहे होगें कि भला जानवर अपनी सेल्फी ले सकते है क्या.
तो जनाब अब यह सोचना आपका बिलकुल गलत है क्योंकि इंडोनेशिया के नैशनल पार्क में एक बंदर ने सेल्फी ली थी और खास बात तो यह है कि इस सेल्फी पर केस भी चल रहा था जिसका आज फैसला सुनाया गया है . दरअसल साल 2011 में जब वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर डेविड स्लेटर इंडोनेशिया के एक नैशनल पार्क में दुर्लभ जानवरों की तस्वीर लेने की कोशिश में थे उसी बीच बंदर ने कैमरे का बटन दबाना शुरू कर दिया और कई तस्वीरें खुद क्लिक हो गईं.
तस्वीरों ने लोगों का ध्यान तब खींचा जब स्लेटर ने विकिपीडिया पर बिना उनकी मंजूरी के फोटो का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया लेकिन विकिपीडिया ने यह दावा खारिज किया और कहा कि तस्वीर पर मालिकाना हक बंदर का है न कि फोटोग्राफर का.
पीपल फॉर द एथनिकल ट्रीटमेंट ऑफ ऐनिमल्स (PETA) ने इसके बाद स्लेटर पर कोर्ट केस किया था. साथ ही संस्था की मांग थी कि यह तस्वीर बंदर ने खुद ली है और इसलिए इससे होने वाली कमाई भी बंदर को मिलनी चाहिए, उसपर खर्च होने चाहिए.
जिस पर आज फैसला आ गया है फ्रांसिस्को स्थित नाइन्थ यूएस सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स के एक वकील ने इस ‘मंकी सेल्फी’ के कॉपीराइट को लेकर कोर्ट में सेटलमेंट होने की जानकारी दी है. पशु अधिकारों की संस्था के वकील ने बताया कि इस डील के तहत फोटोग्राफर ने भविष्य में फोटो से होने वाली कमाई का 25 प्रतिशत इंडोनेशिया में पाए जाने वाले इस दुर्लभ प्रजाति के बंदर की सुरक्षा के लिए दान देने का वादा किया.