ये हैं देश के असली हीरो हाई पैकेज जॉब छोड़ कर प्रकृति को बचाने में जुटे
अपनी भागदौड़ की जिंदगी में इंसान इतना व्यस्त हो गया है कि उसे प्रकृति के सीमित संसाधनों पर थोड़ा भी विचार करने का समय नहीं है, पर हम सभी में से कुछ लोग ऐसे हैं जो प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझ रहे हैं। हालंकि वह समय दूर नहीं है जब इंसान इन्हीं संसाधनों के लुप्त होने के बाद पछताएगा। हम आपको कुछ ऐसे लोगों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने अपना जीवन सिर्फ पेड़-पौधों को नहीं बल्कि जंगलो तक को समर्पित कर दिया है।
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1.IIM- A से ग्रेजुएशन किया
सीता अनंनथसीवान ने आईआईएम अहमदाबाद से ग्रेजुएशन किया है। सीता ने पहले ही निश्चित कर लिया था कि उन्हें मैनेजमेंट नहीं करना है बल्कि उन्होंने प्रकृति के बारे में लोगों को जागरूक करने और उन्हें पढ़ाने के बारे में विचार कर लिया था। इसी के साथ उन्हें बैंगलोर में भूमि कॉलेज की स्थापना करने का मौका मिला जहां पर उन्होंने परिसर में 100 से ज्यादा प्रजातियों के पेड़-पौधे लगाए हैं। साथ ही लोगों को एक समुदाय में रहने और काम करने के लिए भी प्रोत्साहित करती हैं।
2. लॉयर ने किया 5 मिलियन किलो कचरा साफ
अफरोज शाह, पेशे से मुंबई में वकील हैं और महासागर प्रेमी (ओशियन लवर) भी हैं। अपने पेशे से ब्रेक लेकर उन्होंनें लंबे समय तक समुद्र तट पर फैले कचरे को साफ करने की जिम्मेदारी खुद पर ली। 2015 में उन्होंने एक स्वच्छता अभियान शुरू किया जो दुनिया में सबसे बड़े समुद्र तट को साफ करने का निर्णय था। इस अभियान से प्रेरित होकर स्थानीय निवासियों के साथ ही संयुक्त राष्ट्र ने भी स्वयंसेवकों को मदद करने के लिए भेजा था। 85 हफ्तों से अधिक समय लगने के बाद 5 मिलियन किलो कचरे को साफ कर वरसोवा बीच की सूरत बदल दी।
3. 26 साल प्रकृति को
अनिल मल्होत्रा और उनकी पत्नी पामेला गेल मल्होत्रा की अपनी ही वाइल्ड लाईफ सेंचुरी है। पामेला कहती हैं जब हम यहां पर पहली बार आए थे उस समय बहुत सारी जमीन थी जो हमें दे दी गई थी। उस बीच बहुत से पेड़ काट दिए गए थे पर आज उन्हें उगाने में उतनी ही मेहनत, ऊर्जा और समय लग रहा है। समय के साथ आज यह जगह कोई पहचान नहीं पाता है। यह स्थान कोडागु जिले में 300 एकड़ में स्थित हैं। आज यहां पर 200 से भी ज्यादा प्रजाति के पेड़-पौधे और जानवर हैं। ऐसे ही कुछ और हीरोज़ के बारे में जानकारी नेक्स्ट पेज पर-
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