तलाक, निकाह के कन्फ्यूजन को मिटाने के लिए मुस्लिम बोर्ड ने अपनाया ये तरीका
तीन तलाक पर पूरे देश में तीखी बहस छिड़ी हुई है। हाल ही में एक और सोशल मीडिया के माध्यम से तलाक देने का मामला सामने आया था, जिसमें पति ने वॉट्सएप पर तलाक दे दिया। इस मुद्दे को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी कई सवालों से घिरा हुआ है और अब इसी के समाधान के लिए बोर्ड ने एक नया रास्ता निकाला है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने शरई कानूनों के बारे में लगातार उलझते भ्रम को दूर करने के लिए सोशल मीडिया को अब अपना हथियार बनाने का फैसला किया है। बोर्ड अब सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज करेगा और आज के नौजवानों को शरई कानून के बारे में सही जानकारी स्पष्ट करेगा।
बोर्ड ने एक विशेष सोशल मीडिया समिति बनाने का फैसला किया है, जो इन मीडिया माध्यमों के जरिये तलाक, शादी, हलाला, वारिसाना हक, महिला अधिकार समेत तमाम मसलों से सम्बन्धित मुस्लिम पर्सनल लॉ के बारे में स्पष्ट जानकारी उपलब्ध कराएगा। बोर्ड के वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य मौलाना यासीन उस्मानी ने आज टेलीफोन पर ‘भाषा’ को बताया कि संस्था के शीर्ष पदाधिकारियों समेत एक बड़ा वर्ग यह महसूस करता है कि जिन माध्यमों से शरई कानूनों की आलोचना हो रही है, उन्हीं माध्यमों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर एक सही तस्वीर सामने रखी जाए।
उन्होंने बताया कि गत 15..16 अप्रैल को लखनउ में हुई बोर्ड की कार्यकारिणी की बैठक में इस मुद्दे को सामने रखते हुए एक सोशल मीडिया समिति बनाने का फैसला किया गया है। इसके गठन के लिये बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी और महासचिव मौलाना वली रहमानी को अधिकृत किया गया है।
उस्मानी ने बताया कि इस समिति के बहुत जल्द गठित हो जाने की उम्मीद है। बहुत मुमकिन है कि इसमें बोर्ड के ही ऐसे लोगों को शामिल किया जाएगा जो सोशल मीडिया पर व्यक्तिगत रूप से सक्रिय हैं और शरई कानूनों की हर बारीकी पर तुरन्त प्रतिक्रिया दे सकते हैं।
बोर्ड के सदस्य ने कहा कि उन्होंने बैठक के दौरान यह विचार रखा था कि बोर्ड अपना कोई टीवी चैनल और अखबार भी शुरू करे। इस पर बोर्ड के तमाम पदाधिकारी आम तौर पर सहमत तो दिखे, लेकिन इसके लिये जरूरी संसाधनों की फिलहाल कोई उपलब्धता नहीं देखते हुए इस बारे में कोई फैसला नहीं हो सका।
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