Thursday, September 7th, 2017 19:11:50
Flash

अपनी माँ से, शब्दों की दुनिया का परिचय मिला था किरण देसाई को




अपनी माँ से, शब्दों की दुनिया का परिचय मिला था किरण देसाई कोArt & Culture

Sponsored




भारतीय मूल की अंग्रेजी उपन्यासकार किरण देसाई, एक ऐसा नाम जिन्होंने अपनी लेखन कला से लोगों के दिलों में जगह बनाई और अपने दूसरे उपन्यास  ‘The Inheritance of Loss के लिए बुकर पुरुस्कार जीत कर हर भारतीय को गौरवान्वित किया। किरण देसाई, मशहूर उपन्यासकारा अनीता देसाई की बेटी हैं। अनीता देसाई अपने लेखन के लिए तीन बार बुकर पुरुस्कार के लिए नामांकित की गई थी इसके साथ ही उन्होंने कितने ही अवार्ड प्राप्त किये हैं।

किरण देसाई का जन्म  3 सितंबर 1971 को चंडीगढ़ में हुआ था। उनका बचपन भारत मे बीता, 14 वर्ष की आयु मे इंग्लैड चली गईं, और फिर 1 साल बाद अमेरिका गईं। उनके प्रथम उपन्यास को क्रिटिक्स के द्वारा बहुत सराहना और महत्व दिया गया और प्रशंसा की गई। किरण देसाई एक अंतर्राष्ट्रीय रूप से विख्यात लेखिका हैं। अपनी क्रिएटिव राइटिंग से सक्सेस और फ़ेम तक पहुँचने टाक की इनकी यात्रा बहुत इन्स्पाईरिंग है, अपनी माँ से विरासत में मिली लेखन कला को किरण ने बचपन से ही तराशना शुरू कर दिया था और जब वो अमेरिका गईं तो वहां उन्होंने क्रिएटिव राइटिंग में महारथ हासिल किया।

किरण देसाई के इंटरनेशनल लेवल तक अपने टैलेंट से सक्सेसफुल होने की यात्रा में सीखने के लिए बहुत कुछ है।

अपनी माँ से शब्दों की दुनिया का परिचय तो किरण ने कर लिया था, और अल्पायु से ही साहित्य के प्रति वो प्रेम भी रखती थीं। राइटिंग के लिए अपने-आप को तैयार करने के लिए, उन्होंने क्रिएटिव राइटिंग क्लासेज तथा कुछ बेस्ट युनिवर्सिटी के सेमिनार्स में पार्टिसिपेट किया। अपनी प्रतिभा या अपनी साहित्यिक पृष्ठभूमि को महत्व ना दे कर, अपना पहला उपन्यास लिखने से पहले, उन्होंने कई वर्षों तक लेखन-शिल्प का अध्ययन किया था। जब वह अपने दूसरे उपन्यास की योजना बना रही थीं, तब उन्होंने विश्वविद्यालय में अपना अध्ययन जारी रखा था।

किरण देसाई ने अपने पाठ्यक्रमों तथा कार्यशालाओं से महत्वपूर्ण लेखन उपकरणों की शिक्षा जरुर ली थी। लेकिन कभी भी यह सब उन्होंने अपनी स्टाइल पर हाबी नहीं होने दिया और हमेशा स्वयं अपनी शैली और अपने स्वर का प्रयोग करने का प्रयास किया।

अपने प्रथम उपन्यास, ‘Hullabaloo in the Guava Orchard’ पर बेट्टी ट्रैस्क पुरस्कार पाने के साथ ही किरण देसाई जान गई थीं की वह सही पथ पर हैं। इसके संबंध में आत्मसंतुष्ट हुए बिना, उन्होंने इस सफलता से और ज्यादा प्रेरित हुई, अपने काम में परफेक्ट होने के लिए, और इस परफेक्सन का यूज उन्होंने अपने  दूसरे उपन्यास में किया जिसके लिए उन्हें बुकर पुरस्कार मिला। किरण देसाई ने ‘The Inheritance of Loss’ को पूरा करने में आठ साल लिए थे, और कुछ एसा लिखा कि बुकर मिलना ही था।

किरण देसाई के  अवार्ड-

देसाई का पहला उपन्यास, गलावा ऑर्चर्ड (1 99 8) में हल्लाबालू, सलमान रुश्दी सहित उल्लेखनीय आंकड़ों से प्रशंसा प्राप्त हुई, और बेट्टी ट्रास्क अवॉर्ड प्राप्त करने के लिए चले गए। उनका दूसरा उपन्यास, द इनहेरिटन्स ऑफ लॉस (2006) ने 2006 के मैन बुकर पुरस्कार और नेशनल बुक क्रिटिक्स सर्कल फिक्शन पुरस्कार जीता।

Sponsored



Follow Us

Yop Polls

तीन तलाक से सबसे ज़्यादा फायदा किसको?

Young Blogger

Dont miss

Loading…

Subscribe

यूथ से जुड़ी इंट्रेस्टिंग ख़बरें पाने के लिए सब्सक्राइब करें

Subscribe

Categories