ट्रांसजेंडर्स को अक्सर कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन अब बदलते वक्त के साथ उन्हें भी समाज में महत्व दिया जाने लगा है। ट्रांसजेंडर्स को जब हर जगह बराबर का सम्मान मिल रहा है तो ऐसे में अब उनके लिए पहला क्यू कैफे भी खोला गया है। दिल्ली के मेहरौली में शुरू हुए इस रेस्टोरेंट को खासतौर से ट्रांसजेंडर्स के लिए खोला गया है। इस रेस्टोरेंट को शुरू करने वाले संभव शर्मा केा कहना है कि दिल्ली में ऐसी बहुत सी जगह हैं, जहां ये लोग सुकून के पल बिता सकें। क्यू कैफे एक ऐसी ही जगह है । साथ ही वे बुक रीडिंग सेशन और कार्यक्रम के जरिए यहां पर अपनी क्रिएटिविटी को नया आयाम भी दे सकते हैं।
बता दें कि ये कैफे समलैंगिक और ट्रांसजेंडर्स कम्यूनिटी लोगों के लिए पहली तरह का रेस्टोरेंट है। संभव का मानना है कि पुरूष महिला की लैंगिक पहचान से निकलकर और अपने दर्जे को स्वीकार करने वाले स्थानों के लिए संघर्ष कर रहे लोगों के लिए ये रेस्टोरेंट सेफ है। यहां पर वे पूरी तरह से अपनी मर्जी से उठ-बैठ सकते हैं और स्वतंत्र होकर एन्जॉय कर सकते हैं।
इस कैफे में खुले आसमां के नीचे एक छोटा सा डांस फ्लोर है और करीब 30 लोगों के बैठने की जगह है। आमतौर पर यह शाम को खुलता है। यहां के फ्रांसीसी, यूनानी और इतालवी व्यंजन शहर के अन्य किसी रेस्टोरेंट से मुकाबला कर सकते हैं। यहां आपको सलाद, ऑमलेट, पास्ता मिलेगा तो मिलेगा ही साथ ही परंपरागत टॉपिंग और डिप के साथ थिन क्रस्ट पिज्जा भी मिलेगा।
गे एक्टीविस्ट शर्मा इस कैफे में किताबें पढऩे के सेशन और ट्रांस नाइट्स जैसे आयोजन करके अपने ग्राहकों को समलैंगिक अधिकारों के प्रति संवेदनशील करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘जाहिर है कि कैफे कोई एनजीओ नहीं है लेकिन यह ऐसी भी जगह नहीं है कि केवल लोग लुत्फ उठाने यहां आएं।
मैं इस जगह का इस्तेमाल भारत में चल रहे अपने संघर्ष को क्रांतिकारी रूप देने के लिए करना चाहता हूं। हमारे ट्रांसजेंडर, समलैंगिक और किन्नर समुदायों को ऐसे अधिक स्थानों की जरूरत होती है।’ शर्मा कहते हैं कि हर व्यक्ति, समूह और वर्ग को अपनी जिंदगी, खानपान को लेकर आजादी मिलनी चाहिए। कई लोग यहां पर आते हैं जिनमें गजब की रचनात्मकता होती है, कोई कविता पढ़ता है, कोई चित्रकारी करता है तो कोई कमाल का स्टोरी टेलर। वाकई में इस रेस्टोरेंट में आए ट्रंासजेंडर्स को देखकर आप खुद महसूस करेंगे कि ये भी आम लोगों की तरह ही होते हैं।