बौखलाए पाक ने अब NSG के नए नियम को किया खारिज
- - Advertisement - -
पाकिस्तान ने एनएसजी सदस्यता (परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह) के नए नियम को भेदभावपूर्ण बताते हुए खारिज कर दिया है। पाकिस्तान अखबार डॉन के मुताबिक, विदेश कार्यालय के प्रवक्ता नफीस जकरिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए कहा है कि, ”यह स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण होगा और एनएसजी के परमाणु अप्रसार उद्देश्य को आगे बढ़ाने में कोई योगदान नहीं करेगा।”
बता दें कि हाल ही में पाकिस्तान को एनएसजी से बाहर किए जाने की बात सामने आई है। वहीं दूसरी ओर भारत को एनएसजी में प्रवेश देने के लिए विशेष रूप से एक मसौदा तैयार किया जा रहा है। इसी बात से पाकिस्तान ख़फा है।
क्या है NSG?
-एनएसजी की स्थापना वर्ष 1974 में की गई थी। इस समूह में 48 देशों को सदस्यता मिली हुई हैं। इनमें अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन जैसे देश भी शामिल हैं।
-एनएसजी का मकसद परमाणु हथियार के प्रसार को रोकना है। इसके साथ ही इस समूह के ज़रिए शांतिपूर्ण काम के लिए परमाणु सामग्री और तकनीक की सप्लाई की जाती है।
कैसे मिलती है NSG में सदस्यता?
-एनएसजी के दरवाजे सभी देशों के लिए खुले हैं लेकिन इसके बाद भी नए सदस्यों को कुछ नियम मानने होते हैं। सिर्फ़ उन्हीं देशों को मान्यता मिलती है जो एनपीटी या सीटीबीटी जैसी संधियों को साइन कर चुके होते हैं।
-एनएसजी की सदस्यता किसी भी देश को न्यूक्लियर टेक्नोलॉली और कच्चा माल ट्रांसफर करने में मदद करती है। हालांकि भारत ने अभी तक एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए है।
-बता दें कि एनपीटी परमाणु हथियारों का विस्तार रोकने और परमाणु तकनीक के शांतिपूर्ण ढंग से इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए एनपीटी की घोषणा 1970 में हुई थी। अब तक तकरीबन 187 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए हैं।
-इस पर हस्ताक्षर करने वाले देश भविष्य में परमाणु हथियार विकसित नहीं कर सकते। हालांकि, वे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन इसकी निगरानी अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के पर्यवेक्षक करेंगे।
NSG में शामिल होने से भारत को ये हो सकते हैं फायदे
-पिछले कुछ दिनों से एनएसजी में भारत की एंट्री को लेकर खासा हंगामा मचा हुआ है। एनएसजी में भारत की एंट्री को अमेरिका जैसे देश ने भी समर्थन दिया है। हालांकि चीन और पाकिस्तान जैसे देश इसके विरोध में हैं।
चलिए आपको बताते हैं कि यदि एनएसजी भारत को सदस्यता दे देता है तो यह भारत के लिए कितना फायदेमंद होगा।
-एनएसजी में सदस्यता मिलने से भारत को परमाणु तकनीक मिलने लगेगी। देश में ऊर्जा की मांग पूरी करने के लिए भारत का न्यूक्लिटर स्पलायर ग्रुप में प्रवेश जरूरी है।
-एनएसजी की सदस्यता हासिल करने से भारत परमाणु तकनीक और यूरेनियम बिना किसी विशेष समझौते के हासिल कर सकेगा। वैसे भारत ने अमेरिका और फ्रांस के साथ परमाणु करार किया है। ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ परमाणु करार की बातचीत चल रही है। फ्रांसीसी परमाणु कंपनी अरेवा जैतापुर, महाराष्ट्र में परमाणु बिजली संयंत्र लगा रही है। वहीं अमेरिकी कंपनियां गुजरात के मिठी वर्डी और आंध्र प्रदेश के कोवाडा में संयंत्र लगाने की तैयारी में है।
- - Advertisement - -