पेटीएम वॉलेट में बने 200 मिलियन यूजर्स, ई-कॉमर्स के लिए पेटीएम ने लॉन्च किया एप
- - Advertisement - -
भारत में नोटबंदी के बाद से पेटीएम एक बड़ी कंपनी बनकर उभरी है। कैशलेस अर्थव्यवस्था में पेटीएम ने लोगों को काफी सपोर्ट भी किया। नोटबंदी में वह आम जनता का सहारा बना। पेटीएम इस समय देश की सबसे बड़ी वॉलेट सर्विस में से एक है। हाल ही में पेटीएम को लेकर एक बड़ी घोषणा हुई है जिसमें कहा गया है कि पेटीएम ने 200 करोड़ से ज़्यादा यूजर्स बना लिए है।
पेटीएम के सीईओ विजय शेखरन ने ट्वीट कर बताया कि उनकी कंपनी ने 200 मिलियन वॉलेट बना लिए हैं मतलब 200 मिलियन यूजर्स अब पेटीएम यूज कर रहे हैं। ट्वीट में विजयशेखर शर्मा ने कहा है कि उनका टारगेट 2020 तक 500 मिलियन यूजर बनाने तक का हैं। उनका कहना है कि पेटीएम को अब वे गांव-गांव तक पहुंचाएंगे।
पेटीएम ने एक ओर जहां 200 मिलियन यूजर्स पार करने का दावा किया है वहीं दूसरी ओर ई-कॉमर्स के क्षेत्र में कदम रखते हुए ‘पेटीएम मॉल’ भी लॉन्च किया है। भारत में ई-कॉमर्स का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। जहां कई स्वदेसी कंपनियों के बीच कड़ा मुकाबला है वहीं मुनाफा कमाने की कोशिश में विदेशी कंपनियां भी पूरा जोर लगाए हुए हैं। इसी कोशिश में ई-कॉमर्स बाजार में चीन की तकनीकी दिग्गज कंपनी अलीबाबा ने भारत में पहला कदम रखते हुए नया ऐप पेटीएम मॉल लॉन्च किया है।
यह ऐप अब एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर मौजूद है। अलीबाब ने पेटीएम के जरिए भारत में पैर जमाने की कोशिश शुरु की है। कंपनी ने पेटीएम ई कॉमर्स प्राइवेट लिमिटेड में लगभग 20 करोड़ डॉलर का निवेश किया है। वहीं निवेश किए जाने की औपचारिक घोषणा कुछ ही दिनों में हो जाने की उम्मीद है। कंपनी के मुताबिक, ‘पेटीएम मॉल भारतीय उपभोक्ताओं के लिए मॉल और बाजार की अवधारणा का अनोखा मिश्रण होगा। कड़े गुणवत्ता मानकों के साथ सिर्फ जांचे परखे डिस्ट्रीब्यूटर्स को ही मॉल में कारोबार की इजाजत होगी।
कंपनी के देशभर में 17 आपूर्ति केंद्र हैं। कंपनी ने कहा कि उपभोक्ता अब 1.4 लाख डिस्ट्रीब्यूटर्स से हजारों की संख्या में प्रॉडक्ट्स खरीद सकेंगे, जिनमें फैशन, इलेक्ट्रॉनिक्स, उपभोक्ता वस्तुएं और अन्य उपभोग की चीजें शामिल होंगी। सूत्रों के मुताबिक एमेजॉन की तर्ज पर पेटीएम ने अपने शॉपिंग कार्ट से पूरी दुनिया के एक अरब उत्पादों को जोडऩे की योजना बनाई है। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए पूरे दक्षिण पूर्व एशिया को इसके दायरे में लाया जाएगा।
गौरतलब है चीनी दिग्गज ने यह फैसला तब लिया है जब भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियां विदेशी कंपनियों से कड़ी चुनौती का सामना कर रही हैं। भारत की फ्लिपकार्ट अमेरिका की ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी एमेजॉन से कड़ी चुनौती पा रही है। वहीं 2016 में भारतीय ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए पहली बार खतरे के संकेत तब सामने आए जब फ्लिपकार्ट, स्नैपडील को घाटे के चलते नौकरियों और खर्चों में कटौती करनी पड़ी थी। वहीं एमेजॉन से मुकाबले के चलते भारतीय कंपनियों के लिए फंड बढ़ा पाना काफी चुनौतीभरा काम साबित हो रहा है। इसी के चलते इंडस्ट्री की ग्रोथ 2016 में 12 फीसद पर $14.5 बिलियन की हो गई है। 2013 में ई-कॉमर्स सेक्टर की ग्रोथ 180 फीसद की दर से $13 बिलियन की थी। यह आंकड़ें रीडसीर कंसल्टेंसी के हैं।
- - Advertisement - -