Saturday, September 23rd, 2017 12:59:29
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आम आदमी की कमर तोड़ देगा मोदी का दम्भ




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एक सुनामी नोटों की 9/11 को आई भारत में। भ्रष्टाचार, कालेधन, आतंकवाद और नकली नोटों से निपटने के लिए उठा ये मोदी का ऐतिहासिक कहा गया कदम कितना सार्थक होगा कहना मुश्किल है किंतु यह तय है कि यह आम आदमी की कमर तोड़ देगा। प्रधानमंत्री का देश के नाम किया उद्बोधन शब्दशः उल्टा दिखता प्रतीत हो रहा है। जो भी कारण गिनाए गए हैं वे सभी पच नहीं रहे हैं। बात लच्छेदार भाषण के साथ कही गई इसलिए प्रथम दृष्टि में अच्छी लगती है किंतु यदि उस बात के मायने देखे जाएं तो कहानी कुछ और ही कहती है। 500 और 1000 के नोट बंद करने का तरीका तो गलत है ही उससे बड़ी बात उसको जिस प्रकार से बंद किया गया है वो तो और ही ज्यादा गलत है। सो कॉल्ड ’ऐतिहासिक निर्णय’ की वजहों को हम सिलसिलेवार देख लें तो हमें ज्यादा अच्छे से समझ आएगा।

1. यह ऐतिहासिक कदम गरीबों, नियो मिडल क्लास, और मध्यम वर्ग के लिए नए अवसर पैदा करेगा – 500/1000 के नोट बंद होने, नए 500 और 2000 के नोट मार्केट में आने से कैसे गरीबों और मध्यम वर्ग के लिए अवसर पैदा होंगे? व्यवसाय में नए अवसर तभी पैदा होते हैं जब व्यापार-व्यवसाय नई ऊंचाईयों को छूते हैं, कमाई होती है, व्यापार के अवसर बढ़ते हैं। यहां सभी को पता है कि मार्केट में व्यापार में कालेधन का चलन काफ़ी बड़े स्तर पर होता है। यदि वह चलन से बाहर हो गया तो जो चल रहा है वह भी बंद हो जाएगा। नई पूंजी नहीं होगी और जो पुरानी पूंजी थी वह भी गई। व्यापार कैसे बढ़ेगा जबकि उसे तो वर्तमान स्थिति में चलाने में ही दिक्कत आ रही हैं। यहां अवसर पैदा नहीं होंगे बल्कि अवसर जो थे वे भी बंद होंगे, बेरोजगारी बढ़ेगी। ये दीर्घकालीन असर करेगी।

2. रियल एस्टेट की कीमतें, उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं आम लोगों की पहुंच में आएंगी – दो नम्बर की पूंजी (कालेधन) के खत्म होने से रियल एस्टेट की कीमतें कम नहीं होंगी अपितु बढेंगी। कारण, एक तो बड़ी पूंजी का बाजार से निकल जाना जो चल रहे प्रोजेक्टों को रोकेगा। दूसरा तैयार प्रोजेक्टों में उपलब्धता में कमी की वजह से उसके भाव में इजाफा ही होगा। ऐसे में भाव कम होने की वजह से बढ़ेंगे ही साथ ही खरीददार भी बड़ी कीमत पर खरीदने में हिचकिचाएगा। दोनों ही बातें एक दूसरे के विपरीत हैं। इसलिए जो भी डील होगी वह आवश्यक स्तर पर ही होगी अन्यथा रुक जाएगी समय के इंतजार में किंतु यह तो तय है कि कीमतें कम नहीं होंगी। इसी प्रकार उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं कालेधन व नकली नोट के चलन में बाहर होने से कैसे सस्ती हो जाएंगी, समझ के परे है।

3. हथियारों की तस्करी, जासूसी और आतंकवादियों को मिलने वाली आर्थिक मदद बंद होगी और बड़ी मात्रा में नकली नोटों का चलन बंद होगा – निश्चित तौर पर कालेधन व नकली नोटों के बंद होने से उपरोक्त आर्थिक मदद बंद होगी किंतु यह कुछ समय तक ही असरकारक है, हमेशा के लिए नहीं। क्योंकि जो देश इसको पोषित कर रहे हैं वो इंडियन करेंसी पर डिपेंड नहीं हैं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा भरपूर है। ये नए नोटों के जाली नोट कुछ ही समय में पैदा कर सकते हैं। इसलिए इतना बड़ा फैसला जो संपूर्ण देश पर असर कर रहा है यहां बेअसर ही रहेगा।

सरकार द्वारा गिनाए गए सभी कारण सिर्फ शब्दों में ही असरकारक हैं व्यवहार में फेल हैं। जबकि इससे उल्टा ये कैसे आम आदमी की कमर ही तोड़ देंगे इसे भी समझ लेते हैं। –

1. सबसे पहले तो जितने भी कारण गिनाए गए हैं और जिनके भी खिलाफ उठाए गए कदम बता रहे हैं उन्हें कोई विशेष फर्क नहीं पड़ने वाला है। यदि सरकारी अफसरों की बात करें तो एक समय की कालेधन की जमा पूंजी पर तो असर डालती है किंतु उन्हें आगे फिर नए सिरे से रिश्वत लेने से नहीं रोक सकती है। वो फिर जमा हो जाएगी। सिस्टम यह बन चुका है कि बगैर लिए-दिए काम कहां हो रहा है। यदि आपको करवाना है तो देना तो होगा। अब तो और ज्यादा लगेंगे क्योंकि रिस्क बढ़ रही है। न नेता लेने में रुकेंगे और न ही अफसर लेने में रुकेंगे। अतः उस पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा। अतः न कालाधन रुकेगा और न ही भ्रष्टाचार रुकेगा। जो आम आदमी की कमर ही तोड़ेगा।

2. व्यापार-व्यवसाय में से कालाधन निकलने, पूंजी की कमी से पहले से ही जो व्यापार मंदी में चल रहे हैं उसकी तो कमर ही टूट जाएगी। धन किसी भी व्यापार की जान होता है। उसकी प्रगति की जान होता है। वह ही नहीं रहेगा तो न व्यापार चलेंगे और न ही नौकरी के अवसर पैदा होंगे। बड़े व्यापारी तो समय और मंदी की मार को कुछ हद तक झेल लेंगे लेकिन आम आदमी की मौत निश्चित है। ऐसे में नुकसान या धन की कमी आत्मघाती भी हो सकती है।

3. व्यापार में धन की कमी मंदी ही नहीं मंहगाई भी बढ़ाती है। जो सीधे तौर पर आम आदमी पर असर डालती है। जैसे छुरी खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरी पर कटना तो खरबूजे को ही पड़ता है उसी प्रकार वार कहीं भी हो उसका असर असरदार आदमी पर नहीं बल्कि आम आदमी पर ही पड़ता है।

4. अफसरों, व्यापारियों के अलावा कालाधन घर की महिलाओं के पास भी होता है जो कि छुपा हुआ ही रहता है। तो माननीय मोदी जी को यह पता होना चाहिए कि घर की महिलांए ये धन छुपा कर क्यों रखती हैं। घर को आपातकालीन स्थिति में संभालने, मुसीबतों से बचाने व अपने परिवार की दाल-रोटी की व्यवस्था जैसी स्थिति से निपटने के लिए बचा कर रखती हैं। उसे बाहर लाकर या उजागर करवाकर आप उनकी स्थिति को खराब व समस्याग्रस्त कर रहे हो। इससे उनकी पारिवारिक जिंदगी भी खराब होगी। जोकि व्यवहारिक नहीं है।

5. नोट बंद किए ये तो एक कारण है ही इसके अलावा जिस तरीके से इसको बंद किया ये तो बिल्कुल अव्यवहारिक है। एक प्रधानमंत्री का देश के नाम संदेश में जो कहा गया कि, ’’500 और 1000 रुपए के नोट आज रात्रि 12 बजे से बंद हो जाएंगे। इसके बाद यह महज एक कागज का टुकड़ा रह जाएगा।’’ जैसे शब्द व तरीकों ने पैसे वालों की नींद उड़ाई वो तो ठीक है, उन्हें तो उससे निकलने में विशेषज्ञ मदद कर देंगे लेकिन आम आदमी में तो एकदम से अफरा-तफरी मच गई। एक अराजकता का माहौल पैदा हो गया। एक अविश्वास पैदा हो गया। यह जब संभलेगा तब संभलेगा तब तक आम आदमी की तो कमर टूट ही जाएगी।

कुल मिलाकर बात यह है कि कालाधन-सफेद धन तो सरकार का किया धरा है। सरकार जो लाइन तय कर देती है उसके एक पार कालाधन तो एक पार सफेद धन हो जाता है। जबकि आम आदमी को सिर्फ धन से मतलब होता है। उसे यह मालूम है कि धन है तो वह प्रोग्रेस करेगा, खुशियां आएंगी। इसलिए वह तो धन कमाने में लगा रहता है। काले-सफेद से उसको कोई लेना-देना नहीं होता। यह तो सरकार को देखना है कि वह ऐसी कौन-सी पॉलिसी बनाए, टैक्सेस किस प्रकार डिजाइन करे जिससे कालाधन पैदा ही न हो, लोग स्वतः ही आसानी से उसे जमा कर सरकार को टैक्स भी दें और धन भी कमाएं। समझ में आना चाहिए कि धन है तो खुशियां हैं। आम आदमी सिर्फ धन कमाना चाहता है उसे खुशी से कमाने भी दिया जाए न कि उसकी कमर तोड़ी जाए।

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