राष्ट्रपति ने दी जी बिल को मंजूरी, जल्द होगा लागू
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक को मंजूरी दे दी। राष्ट्रपति कार्यालय ने आईएएनएस को बताया कि राष्ट्रपति ने जीएसटी विधेयक के लिए अपनी स्वीकृति दे दी है। केंद्र सरकार ने 16 राज्यों से मंजूरी मिलने के बाद जीएसटी विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा था। इससे अब देश में 70 साल पुराने सबसे बड़े टैक्स सुधार का रास्ता एक दम साफ हो गया है। बता दें कि सरकार का इरादा है कि जीएसटी को 1 अप्रैल 2017 से पहले लागू कर दिया जाए।
सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रपति मुखर्जी ने विधेयक को मंजूरी दे दी है। विधेयक के पारित होने से जीएसटी परिषद के गठन का रास्ता साफ होगा। यह परिषद जीएसटी की दर, उपकर और अधिभारों आदि पर निर्णय करेगी। जीएसटी के लागू होने के बाद ज्यादातर केंद्रीय और राज्य स्तरीय अप्रत्यक्ष टैक्स जैसे उत्पाद शुल्क, सर्विस टैक्स, सेल्स टैक्स या वैट, केंद्रीय सेल्स टैक्स, अतिरिक्त सीमा शुल्क और सीमा शुल्क पर विशेष अतिरिक्त शुल्क इसमें समाहित हो जाएंगे।
संसद ने इस विधेयक को 8 अगस्त को पारित किया था, जिसके बाद इसे राज्य सरकारों के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया था। किसी संविधान संशोधन विधेयक को कम से कम 50 फीसदी राज्यों की विधानसभाओं द्वारा अनुमोदित करने की जरूरत होती है। 17 राज्यों द्वारा इस विधेयक को अनुमोदित किए जाने के बाद इसे राष्ट्रपति सचिवालय को भेजा गया था। भाजपा शासित असम ने सबसे पहले इस विधेयक को अनुमोदित किया था।
जिन अन्य राज्यों ने इस विधेयक को पारित किया है उनमें बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, नगालैंड, महाराष्ट्र, हरियाणा, सिक्किम, मिजोरम, तेलंगाना, गोवा, ओड़िशा और राजस्थान शामिल हैं। राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने हाल में कहा था कि सरकार जीएसटी के क्रियान्वयन के मामले में आगे चल रही है। उन्होंने ट्वीट किया था कि राज्यों द्वारा इसे अनुमोदन के लिए 30 दिन रखे गए थे, लेकिन इसे 23 दिन में ही पूरा कर लिया गया।
जेटली बोले ज्यादा पार्टियों का सर्पोट
जेटली ने अपनी स्पीच में कहा कि जीएसटी को ज्यादातर पार्टियां सपोर्ट कर रहीं है। सरकार सभी पार्टियों के सुझावों को शामिल करने की कोशिश की हैं। जेटली ने ये भी कहा, ’अगर कोई किसी चीज पर एक बार टैक्स दे देता है तो उसे दोबारा टैक्स नहीं देना पड़ेगा।’
राज्यों से भी कराना होगा पास
लोकसभा में पास होने के बाद बिल को आधे राज्यों (15) के अप्रूवल की भी जरूरत होगी। इसके बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। चूंकि लोकसभा में सरकार के पास मेजॉरिटी है, इसके चलते अमेंडमेंट्स के साथ बिल को पास कराने में किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। ये भी माना जा रहा है कि अपोजिशन लोकसभा में एक बार फिर बिल पर चर्चा की मांग कर सकता है। एक सीनियर मिनिस्टर के मुताबिक, “करीब-करीब सभी राजनीतिक दलों ने बिल को सपोर्ट कर दिया है। लोकसभा में पास होने में कोई परेशानी नहीं आएगी।“
16 सालों का इंतजार
आपको बता दे कि जीएसटी को पास होने में लगभग 16 साल लग गए हैं। बिल के सपोर्ट में राज्यसभा में 197 मेंबर्स ने वोट किया था। वोटिंग से पहले सिर्फ ।प्।क्डज्ञ ने वॉकआउट किया। बिल पर करीब साढ़े सात घंटे चर्चा हुई थी। इसमें 33 सांसदों ने हिस्सा लिया। अरुण जेटली ने बिल पेश करते हुए इसे अब तक का सबसे बड़ा टैक्स रिफॉर्म बताया था।
वाजपेयी सरकार ने रखी थी नींव
बता दें कि 16 साल पहले वाजपेयी सरकार ने जिस गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स विधेयक की नींव रखी थी, उसके संसद से पास होने का इंतजार नौ साल से हो रहा था। 20 तरह के इनडायरेक्ट टैक्स खत्म कर ’एक देश, एक टैक्स’ की थीम पर बने जीएसटी बिल में सरकार ने 9 बदलाव किए।
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