तीसरे विश्व युद्ध की आशंका, पुतिन ने उठाया ये कदम
रूसी राष्ट्रपति पुतिन का लग रहा है कि दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रही है। रूस ने अपने सभी अधिकारियों को आदेश जारी कर कहा है कि वे विदेशों में रह रहे अपने करीबियों को तुरंत देश वापस ले आएं। रुस की स्थानीय मीडिया के मुताबिक बड़े नेताओं और शीर्ष अधिकारियों ने बताया है कि ये चेतावनी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कार्यालय की तरफ से जारी की गई है।
क्या है आदेश
रिपोर्ट के मुताबिक, एडमिनिस्ट्रेशन स्टाफ, रीजनल एडमिनिस्ट्रेटर्स, लॉ मेकर्स और पब्लिक कॉर्पोरेशंस के कर्मचारियों को आदेश जारी किया गया है कि वे विदेशी स्कूलों में पढ़ रहे अपने बच्चों और वहां रह रहे अपने करीबी लोगों को तुरंत देश वापस ले आएं। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें प्रमोशन नहीं मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा आदेश जारी होने के पीछे की असली वजह अभी तक साफ नहीं है। इसकी एक वजह अपने बच्चों को पश्चिम के प्रभाव से बचाना भी हो सकता है। हालांकि रशियन पॉलिटिकल एनालिस्ट स्तानिसलव बेलकोवस्की का कहना है कि यह ऑर्डर बड़े युद्ध के लिए देश के एलीट क्लास को तैयार करने के उपायों का हिस्सा है।
सीरिया बन रहा है युद्ध की वजह
एक रशियन साइट की रिपोर्ट में कहा गया है कि पुतिन ने यह कदम फ्रांस दौरा अचानक रद्द करने के बाद उठाया है। सीरिया संकट लेकर रूस की आलोचना होने पर पुतिन ने यह दौरा निरस्त कर दिया है। वह अगले हफ्ते पेरिस जाने वाले थे। फ्रांस के प्रेसिडेंट फ्रांस्वा ओलांद ने कहा था कि रूस सीरिया में युद्ध अपराधों में लिप्त है।बताया जा रहा है कि ओलांद के बयान के बाद पुतिन ने फ्रांस दौरा रद्द करने का फैसला किया। इस तरह की भी खबरें आ रहीं हैं कि रूस ने पोलैंड के साथ लगे बॉर्डर के पास न्यूक्लियर मिसाइल्स तैनात कर दी हैं। अक्टूबर की शुरुआत में पुतिन के मिनिस्टर्स ने ऐलान किया था कि उन्होंने मास्को के 12 लाख लोगों को सुरक्षित करने के लिए न्यूक्लियर बंकर बना लिए हैं। पूर्व सोवियत लीडर मिखाइल गोर्बाच्येव ने भी कहा है कि रूस और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ने से दुनिया एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है।
सीरिया ऐसे बना अमेरिका और रूस का युद्ध क्षेत्र
2011 में हुई एक घटना ने सीरिया में गृह युद्व का रूप ले लिया था। कुछ बच्चों की गिरफ्तारी से शुरू हुआ ये संघर्ष दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया के लिए सबसे बड़ा मानवीय संकट बन चुका है। सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों में 3 लाख लोग जान गंवा चुके हैं। करीब 1 करोड़ लोग बेघर हुए हैं। अगस्त 2012 में अमेरिका ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। यूएस सीरिया में विद्रोहियों का समर्थन कर रहा है। मई 2013 के बाद रूस शामिल हुआ। मास्को यहां असद सरकार को मदद कर रहा है और उसे हथियार दे रहा है।