RBI के 23वें गर्वनर बनने से पहले ही दुनिया हिला चुके थे रघुराम राजन
इंटरनेट पर आपने वैसे तो कई लोगों की कहानियां पड़ी होंगी पर ये कहानी भारत के 23 वें गर्वनर रघुराम राजन की है। जिन्हें इंडियन और इंटरनेशनल मीडिया रॉकस्टार भी कहता है। साइकोलॉजी की बात की जाए तो किसी इकोनॉमिस्ट के बारे में पढ़ना ज़्यादा लोग पसंद नहीं करते हैं मानते है कि उनकी लाइफ बड़ी बोरिंग होती है कोई बात नहीं लेकिन रघुराम राजन की लाइफ काफी इंट्रेस्टिंग है फिर भी बोर लगे तो हम आपको शॉर्ट में रघुराम राजन की लाइफ के बारे में कुछ ख़ास बातें बताने जा रहे हैं…
रघुराम राजन का पूरा नाम रघुराम गोपाल राजन है। जन्म भोपाल में 3 फरवरी 1963 को हुआ था। पिता गोपाल राजन आईएएस अफसर और मां मैथिली हाउसवाइफ। रघुराम बचपन से ही पढ़ने में तेज थे। इंडिया में लगी इमरजेंसी को देखकर रघुराम में इकोनॉमिस्ट बनने की इच्छा जागी और चल पड़े उसी डगर पर।
साल 1985 में रघुराम ने आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बैचलर की डिग्री हासिल की और साल 1987 में आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए किया। इंडिया के आधे से ज़्यादा यूथ और वरिष्ठजनों का मानना है कि इन संस्थानों में वही बच्चें आते है जो सबसे ज़्यादा पढ़ाकू होते है। रघुराम की माताजी मैथेली का भी यहीं कहना था कि रघुराम उनकी फैमेली में सबसे पढ़ाकू है।
साल 1991 में रघुराम ने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अर्थशास्त्र में पीएचडी कर ली और फिर शुरू हुआ एक इकोनॉमिस्ट का सफर। ग्रेजुएशन लेवल की पढ़ाई करने के बाद से ही रघुराम शिकागो विश्वविधालय के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस में शामिल हो गए थे। सितंबर 2003 से 2007 तक वह आईएमएफ यानि इंटरनेशनल मॉनीटरी फंड में आर्थिक सलाहकार और अनुसंधान निदेशक रहे।
आईएमएफ के बारे में जब आप ज़्यादा जानेंगे तो पाएंगे कि ये वर्ल्ड बैंक से भी बड़ा वाला बैंक है जिसमें रघुराम मुख्य अर्थशास्त्री रहे। इतना ही नहीं चालीस साल से भी कम उम्र में आईएमएफ में अर्थशास्त्री बनने वाले पहले व्यक्ति रघुराम राजन ही है। उन्हें अमेरिकन फाइनेंस एसोसिएशन द्वारा फिशर ब्लैक पुरस्कार भी दिया गया था जो पहली बार दिया गया था।
रघुराम राजन के बारे में डिटेलिंग तो बहुत बता दी आप बात करते है उनके नेचर को लेकर। रघुराम राजन एक ऐसी प्रवृति के इंसान है जो बेधड़क, बिंदास तरीके से अपनी बात को कह देते है। उन्हें अपनी बात पर पूरा कॉन्फीडेंस होता है, दुनिया भी पहले उनकी बात को मानती नहीं उन्हें सही तरीके से बोलने की सलाह देती लेकिन बाद में उन्हें ही नतमस्तक करती।
अमेरिकी में आने वाली मंदी की सूचना रघुराम राजन ने बहुत पहले ही दे दी थी लेकिन उस समय उन्हें अमेरिका से करारा जवाब मिला था काफी निंदा भी की गई उनके बिंदास बयान को लेकर लेकिन बाद में उनका कहा सच हो गया। रघुराम राजन को आप यू भी समझ सकते है कि वे अर्थशास्त्र के मामले में कलयुग के इंसान है जो भी कहेंगे सच हो सकता है!
खैर अमेरिका अभी हमसे दूर है। हम इंडिया की बात करते है। जहां तक जानकारी मिली है रघुराम राजन हैं तो इंडिया के लेकिन उनका ठिकाना विदेश में है। वो अमेरिका में ही रहते है। साल 2006 में रघुराम राजन ने इंडियन इकोनॉमी के बारे में लिखना शुरू किया। 2008 की मंदी के रघुराम का मनमोहन से मिलना हुआ और राजन को ऑनरेरी इकोनॉमिक एडवाइजर बना दिया गया।
भारत की फाइनेंस मिनिस्ट्री में शामिल होने के बाद उन्होंने कई ऐसे काम किए जिनसे बड़े लोगों को तो धक्का लगा लेकिन इंडिया की इकोनॉमी को ग्रोथ मिली। साल 2011 के बाद से इंडिया की इकोनॉमी में गिरावट आना शुरू हुई। रूपए की वैल्यू डॉलर के मुकाबले कम होने लगी। ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी से उबारने के लिए आरबीआई के गर्वनर के रूप में रघुराम राजन को चुना गया।
सितंबर 2013 में रघुराम राजन को आरबीआई का 23वां गर्वनर नियुक्त किया गया। कार्यकाल दिया तीन साल का जो पिछले साल ही खत्म हो गया। रघुराम के आते ही भारतीय अर्थव्यवस्था में ऐसे बदलाव देखने को मिले कि दुनिया रघुराम का रॉकस्टार कह उठी। रघुराम के आते ही सेंसेक्स उछल पड़ा और महंगाई की दर कम होने लगी। रघुराम राजन ने बैंकिंग सेक्टर में भी कई बदलाव करवाए। लोगों के लिए इनकम टैक्स और जरूरी कामों की प्रक्रिया को आसान बनाया ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इन्हें आसानी से कर सके। नहीं तो पहले के जमाने में तो लोग कागज़ो में ही उलझकर रह जाते थे।
रघुराम राजन के बेबाक और बिंदास अंदाज़ से तो आप भलिभांति परिचित है नोटबंदी के बाद सभी को उम्मीद थी कि रघुराम राजन कुछ बोले, कुछ बोले लेकिन रघुराम राजन चुप रहे। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक राजन अखिरी वक्त तक नोटबंदी के इस फैसले के पक्ष में नही थे। खैर अब जो हुआ हो गया। रघुराम राजन अब अमेरिका में है और अपना पद छोड़ चुके हैं अब उनकी जगह आरबीआई के पूर्व डिप्टी गर्वनर उर्जित पटेल ने ली है।
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