आज नोटबंदी को पूरा एक साल हो गया। पिछले साल इस दिन देशभर में हड़कंप मच गया था। लोग नोट बदलने के लिए घंटों लाइन में लगे रहे। देश का सबसे बड़ा बदलाव साबित हुआ था। सालभर से क्या जनता क्या नेता और क्या समीतियां सभी हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गर्वनर उर्जित पटेल से एक ही सवाल कर रही हैं, कि आखिर देश में नोटबंदी करने का मतलब क्या था। लेकिन अब पब्लिक अकाउंट समीति ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर उर्जित पटेल और वित्त मंत्री अरूण जेटली से नोटबंदी को लेकर अहम सवाल पूछे हैं। अब समीति जानना चाहती है कि किसने और कब लिया था। तो अब रिजर्व बैंक ने समीति को एक नोट लिखकर भेजा है जिसमें उसने नोटबंदी को लेकर खुलासे किए हैं।
दिए ये तर्क-
इस नोट में जवाब दिया गया कि नोटबंदी का फैसला केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक का था। दोनों ने मिलकर फैसला लिया था कि देश में 500 और 1000 के नोटों को बंद कर दिया जाएगा। हालांकि ये फैसला किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं था, बल्कि देश में बढ़ रही नकली करेंसी को कम करने के लिए था। हालंकि हम चाहते थे कि इसकी जगह 5000 और 10 हजार के नए नोट लाए जाएं। ये सुघव रिजर्व बैंक ने केंद्र सरकार को अक्टूबर 2014
में दिया था।
जून 2016 में ही दे दिया था 2000 के नोट छापने का आदेश-
रिजर्व बैंक ने बताया कि महंगाई को देखते हुए 2000 रूपए की नई करेंसी लाने पर विचार किया गया था। इसके लिए प्रिटिंग प्रेस को जून 2016 में ही निर्देश दे दिए गए थे। तब हमें नहीं पता था कि नोटबंदी को लेकर सरकार कुछ सोच रही है। लेकिन फिर जब नोटबंदी को लेकर कुछ हिंट मिलीं तो हमें पता था कि 2000 का नया नोट आम व्यक्ति को जरूर आकर्षित करेगा इसलिए नोटबंदी होते ही हमने 2000 के नए नोटों की करेंसी प्रिंट करवा ली थीं। 7 नवंबर 2016 का दिन ऐसा था जब कोई नहीं जानता था कि देश का इतिहास बदलने वाला है। 7 नवंबर को केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक को खत लिखा, जिसके बाद रिजर्व बैंक के सेंट्रल बोर्ड ने मीटिंग कर उसी दिन नोटबंदी के लिए गैजेट नोटिफिकेशन जारी कर दिया और उसी दिन से देश में सबसे बड़े नोट माने जाने वाले 500 और 1000 रूपए के नोटों को बंद कर दिया था।
बता दें कि उस समय उन लोगों को इस परेशानी का सामना ज्यादा करना पड़ा तो घूमने के लिए शहर से बाहर थे, ऐसे में कई लोग एक ही जगह काफी दिन तक बने रहे, वहीं जिनके घर में शादी थी, उनके लिए भी इस मुश्किल घड़ी का सामना करना बहुत कठिन था।
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