जवान रिजुल की कहानी, वाकई आम नही है जवान की ज़िन्दगानी
आम लोगो की तरह सैनिक की ज़िंदगी आसान नही होती जवान के हर कदम पर एक तरफ़ खाई तो दुसरी तरफ़ कुआ नज़र आता है। हमेशा जवान को अपनी मौत से खेलने होता है। वही चाहें देश में शांति का माहौल हो चाहें अशांति का। जवान को हर व़क्त तैनात के साथ साथ चौकन्ना भी रहना पड़ता है। आप सोच रहे होंगे हम आज आपको ये सब क्यो बता रहे हैं, दरअसल हाल ही एक अंग्रेजी अख़बार में छपी एक ख़बर के मुताबिक रिजुल शर्मा जो भारतीय वायु सेना में स्क्वॉड़ रन लीडर है उनका एक आर्टिकल जारी किया।
विमान उड़ाते वक़्त हुआ जानलेवा हादसा
मिग-29 के विमान की परफॅार्मेंस चेक करने के लिए रिजुल इसे उड़ा रहे थे। ज़मीन से करीब 110 किलोमीटर की ऊंचाई पर सुपर सोनिक स्पीड से उड़ रहे थे तभी अचानक विमान की कॉकपीट के उपर की ट्रान्प्रेट कैनोपी टूट गई, जिस कारण रिजुल को बेहद ठंड़े तापमान का सामना करना पड़ा था। कैनोपी के टूकड़ो का कुछ हिस्सा उनके कंधे पर जा धंसा, जिससे रिजुल ज़ख़्मी हो गये। रिजुल बेहोशी की हालत में थे।
बेसुध हालत में दिखाई समझदारी
एक वह स्थिति थी जब रिजुल का कंधा बुरी तरह जख़्मी हो चुका था। वह बेसुधगी की हालत में थे। वही दुसरी तरफ़ रिजुल को ज़मी पर से आबादी के जख़्मी होने वाले ख़तरे की फ़िक्र थी। वही रिजुल चाहते तो बडी आसानी से कूद कर ख़ुद को बचा सकते थे मगर उसके बाद होने वाले ख़तरा को भी वो जानते थे। इस स्थिती में भी रिजुल की समझदारी के साथ काम लिया और आबादी से दूर के इलाकें में एक सुरक्षित लैड़िग से न सिर्फ उन्हांंने ख़ुद को बचाया बल्कि आबादी पर भी कोई आंच नहीं आने दी। इतना हीं नही उन्होने बेहद कीमती और महंगे एयरक्राफ़्ट कि भी रक्षा की।
मेडल से नवाज़े गये
सैनिकों के ऐसे कई साहसो की कहानियां है जिनका जिक्र कान्ट्रोवर्सी में भले ही न रहे हो मगर उनका बलिदान कभी ज़ाया नहीं गया। हाल ही, गणतत्रं दिवस पर स्कावॉड लीडर रिजुल शर्मा वायुसेना मेडल से नवाज़े गये।
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