जापानियों को इस जन्म में हराना बहुत मुश्किल: साक्षी
मौजूदा एशियाई रेसलिंग चैंपियनशिप में कोई महिला खिलाड़ी जीत का परचम नहीं लहरा पाई है और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक का मानना है कि जापान की खिलाडिय़ों को इस जन्म में तो हरा देना असंभव है। साक्षी , विनेश फोगाट और दिव्या काकरन एशियाई चैंपियनशिप में अपने -अपने भार वर्गों के फाइनल में जापानी पहलवानों से हार गईं थीं और उन्हें रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा था।
रियो ओलपिंक में 63 किग्रा में स्वर्ण पदक जीतने वालीं रिसाको कवाई ने साक्षी को 60 किग्रा के फाइनल में साक्षी को आसानी से हराया। रियो ओलपिंक की एक और खिलाड़ी दिव्या काकरन को 69 किग्रा भार में हराया। दोनों ही छह मिनट तक नहीं टिक सकीं। हालांकि विनेश फोगाट ने अपने प्रतिद्वंदी सेन नानोजो से अच्छी लड़ाई लड़ी , लेकिन अंत में वे भी उनसे हार गए। साक्षी ने कहा है कि इस जन्म में तो जापानी लड़कियों को हराना बहुत मुश्किल है। उन्हें इस जीवनकाल में या अगले मैच में हराना काफी कठिन है। हमें उनसे जीतने के लिए पुर्नजन्म लेना होगा।
विनेश ने कहा कि उनकी स्पीड जो जापनी सेट करते हैं, वो बहुत शानदार है। वे बहुत चुस्त हैं औट पर तेजी से चलते हैं। हमें उनसे जीतने के लिए अपनी गति में तेजी लानी होगी। इस मौके पर दिव्या ने भी कहा कि जापानी गति, कौशल, टेकनीक के साथ हर मामले में हमसे बेहतर हैं। पारंपरिक ट्रेनिंग मैथड के अलावा उन्हें बहुत सारे क्रॉस ट्रेनिंग मैथड के साथ ट्रेंड किया जाता है। पहलवानों और जूडोको को एक साथ ट्रेन किया जाता है, जिससे उनके स्किल्स में सुधार आता है।
इंडियन वुमन टीम के रेसिलिंग कोच कुलदीप मलिक ने बताया कि जापानी लड़कियों का आधार बहुत मजबूत है। उनके फिजिकल फिटनेस पर काफी जोर दिया जाता है। जापानी लड़कियों को करीब 20 साल पहले ही कुश्ती से अवगत करा दिया गया था। जबकि हमने केवल 5-6 साल पहले ही कुश्ती के दुनिया में कदम रखा है। इसलिए हमें उनके साथ बराबर का मुकाबला करने में समय लगेगा। इस संबंध में रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का कहना है कि भारतीय प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए जापानी कोच लाने के सभी प्रयास अब तक विफल हुए हैं। हमने उनसे बात की है, लेकिन उनका अब तक कोई जवाब नहीं मिला है।
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