संजय गांधी : इंदिरा के बाद मानते थे कांग्रेस का चेहरा, 12 मिनट में बदली थी तस्वीर
आजादी के बाद से ही गांधी परिवार देश में सबसे ज़्यादा विख्यात रहा है। बात चाहे देश पर शासन करने की हो या विवादों की गांधी परिवार का सबसे गहरा नाता रहा है। गांधी परिवार के सदस्यों के बारे में पूरा देश जानता है। इन्हीं सदस्यों में से सबसे ज़्यादा फेमस और रहस्मय जीवन है संजय गांधी का।
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संजय गांधी का जन्म 14 दिसंबर 1946 को नई दिल्ली में हुआ था। वो इंदिरा गांधी के छोटे पुत्र थे और भारत के फेमस राजनेता रह चुके है। इंदिरा गांधी के बाद उन्हें ही कांग्रेस के नए चेहरे के रूप में देखा जाता था। उनका भारतीय राजनीति में काफी सक्रिय योगदान था। इमरजेंसी में उन्होंने अपनी माँ की काफी सहायता की थी।
संजय गांधी का जीवन हर किसी के लिए रहस्मय है। उनकी ज़िन्दगी कई सारे विवादों से भी घिरी है जिनकी कोई पुष्टि नहीं है। संजय गांधी ने 1974 के आसपास अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। माना जाता था कि राजीव गांधी को राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं थी इसलिए लोग संजय गांधी को इंदिरा गांधी के बाद पार्टी का चेहरा मानते थे।
संजय गांधी जितना पॉलिटिक्स में सक्रिय थे। उससे ज़्यादा उन्हें रफ्तार का शौक था। ये रफ्तार सड़क पर हो या आसमान में संजय दोनों जगह ही बाजी मार जाते थे। संजय को हवा की स्पीड में सड़कों पर गाड़ी चलाने का शौक था। वहीं दूसरी ओर उन्हें तेज स्पीड में प्लेन उड़ाने और कलाबाज़ियां दिखाने का भी शौक था।
संजय गांधी ने उस समय की मॉडल रही मेनका गांधी से शादी की थी। उनकी शादी 23 सितंबर 1974 को हुई थी। मेनका गांधी उनसे दस साल छोटी थी। संजय ने मेनका को पहली बार एक मैग्जीन के विज्ञापन में देखा था और उन्हें देखते ही पसंद कर लिया था। कहा जाता है कि संजय गांधी और मेनका के कजिन वीनू कपूर दोस्त थे। वीनू की शादी की पार्टी में ही दोनों की पहली मुलाक़ात हुई थी।
मेनका की माँ को ये रिश्ता कभी पसन्द नहीं था लेकिन बाद में उन्होंने इस रिश्ते के लिए हामी भर दी। दोनों ने करीब एक साल बाद शादी कर ली। कहा जाता है कि संजय और मेनका उस समय के पॉवर कपल थे। संजय और कांग्रेस पार्टी को मजबूती देने के लिए मेनका ने एक मासिक पत्रिका सूर्या का भी प्रकाशन किया था।
संजय गांधी की ज़िन्दगी वैसे तो काफी खुशहाल थी लेकिन राजनीति में होने की वजह से उनके कई दुश्मन भी बन गए थे। वैसे उनके पास आधिकारिक कोई पद नहीं था लेकिन माँ इंदिरा गांधी को वे पूरा सहयोग करते थे। इसी वजह से पार्टी के लोग उन्हें पार्टी का चेहरा मानते थे। उन पर एक रैली के दौरान जानलेवा हमला भी हुआ था।
इस हमले में संजय गांधी बच गए थे लेकिन 23 जून 1980 को एक ऐसा हादसा हुआ जिसमें संजय गांधी की मौत हो गई। संजय गांधी की मौत एक हवाई हादसे में हुई थी। वे दिल्ली के सफदरगंज एयरपोर्ट के नजदीक एक प्लेन हादसे में मारे गए थे। जानकारी संजय को प्लेन उड़ाने का शौक था और यहीं शौक उनकी जान ले बैठा।
23 जून 1980 को दिल्ली के सफदरगंज एयरपोर्ट से उन्होंने ‘पिट्स एस 2ए’ से अपने सहायक के साथ उड़ान भरी। वे लगातार बारह मिनट तक हवा में कलाबाज़िया दिखा रहे थे। उन्होंने इस प्लेन से रिहायशी इलाके के ऊपर तीन लूप लगाए थे लेकिन जब वे चौथा लूप लगा रहे थे तभी विमान के इंजन ने काम करना बंद कर दिया और प्लेन नाक के बल जमीन पर जा गिरा।
इस हादसे में सहायक और संजय गांधी दोनों की मौत हो गई। उनके रफ्तार के जुनून ने उनकी जान ले ली। उनकी मौत के कई घंटों के बाद ये ख़बर मेनका गांधी को दी गई। उनके मौत के समय उनके बेटे वरूण गांधी मात्र तीन महीने के थे। संजय की मौत के बाद इंदिरा और मेनका में विवाद हुआ और 1981 में मेनका हमेशा के लिए वो घर और संपत्ति छोड़कर चली गई। मेनका गांधी और वरूण गांधी इन दिनों राजनीति में सक्रिय है और अपने परिवार के नक्शे कदम पर चल रहे है।
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