कभी मोबाइल करते थे रिपेयर, अब है करोंड़ों की कंपनी के मालिक
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सफल लोगों की ज़िन्दगी को जरा गौर से जानिएगा। आपको उनकी ज़िन्दगी में एक बात बिलकुल एक जैसी मिलेगी कि वो किस भी मुसीबत को देखकर अपना रास्ता नहीं बदलते बल्कि उस मुसीबत का डटकर सामना करते है और आगे चलकर यही लोग सफल होत है। यहां सफलता की कोई परिभाषा नहीं हैं सफलता अपने आप में एक ही परिपूर्ण है।
सफलता की कोई परिभाषा नहीं लेकिन सफलता की कई कहानियां हमारे आसपास मौजूद है। इन्हीं कहानी में से एक कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं। ये कहानी है एक मोबाइल रिपेयर करने वाले युवा की। इस युवा ने शुरूआत में मोबाइल रिपेयर करना शुरू किए थे और बाद में जाकर खुद की कंपनी खड़ी की। आज इनकी कंपनी का टर्नओवर 150 करोड़ रूपए है।
अपने बिजनेस को एक छोटे से लेवल से स्टार्ट करने वाले शख्स युवराज अमन सिंह है, जिन्होंने दिल्ली में एक मामूली मोबाइल रिपेयरिंग की शॉप से 150 करोड़ रूपए के टर्नओवर वाली एक कंपनी खड़ी कर दी। ये कंपनी आज कस्टमर को सेटिस्फेक्शन तो दे ही रही है साथ ही कई लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रही है।
युवराज ने अपने इस बिजनेस की शुरूआत सोनी एरिक्सन के बाहर एक मोबाइल रिपेयरिंग का स्टॉल लगाकर की थी। इस स्टॉल में एक उनके पास एक टेबल और कुर्सी थी। यहां वे सैकेंड हैंड और अनबॉक्स मोबाइल फोन ठीक करने और उसे बेचने का काम करते थे। धीरे-धीरे दुकान की लोकप्रियता बड़ी और लोग इनकी दुकान पर आने लगे।
युवराज अमन सिंह की कंपनी का ऑफिस दक्षिण दिल्ली में स्थित है। इन्होंने एक साल के अंदर ही अपने सहायक टेक्निक्स कंपनी के करीब 50,000 सुधारे फोन बेच दिए। यह फ़ोन के साथ-साथ सुधारे हुए टेबलेट्स, पॉवरबैंक्स और मोबाइल के एक्सेसरीज के साथ भी डील करते हैं। यह कंपनी एप्पल, सैमसंग, सोनी एरिक्सन, नोकिया, एचटीसी, सोनी, जीओमी और ब्लैकबेरी कंपनियों से वापस लौटाए फ़ोन, नए अनबॉक्सड फ़ोन,और सेकेंडहैंड फ़ोन खरीदते हैं और उन्हें अपने दिल्ली स्थित फैक्ट्री और बेंगलुरु स्थित फैक्ट्री में सुधार कर ग्राहकों को बेचा जाता है।
ऑनलाइन शॉप्स में बेचते है फोन
युवराज की कपंनी उन फोन को रिपेयर करती है जो निर्माता से वारंटी के साथ आते है या इनके द्वारा नवीनीकरण के बाद आते है। इन्हें रिपेयर करने के बाद इन्हें ऑनलाइन बेचा जाता है। इनकी कीमत में भी करीब 40 प्रतिशत तक का फर्क आता है। नॉएडा में भी उनकी एक फैक्ट्री है जिसमे इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स को सुधार कर के एक्सपोर्ट किया जाता है।
छोड़ दी थी टाटा का फ्रेंचाइजी
युवराज अमन सिंह ने बिज़नेस इनफार्मेशन सिस्टम्स और मैनेजमेंट की डिग्री अमेरिका के मिड्डलसेस यूनिवर्सिटी से किया है। शुरुआत में यह अपने पत्नी के भाई के साथ इंग्लैंड में काम करते थे। साल 2003 में भारत लौटने के बाद इन्होंने टाटा टेलीसर्विसेस की फ्रैंचाइज़ी ले ली। इस काम को भी इन्होंने बहुत अच्छे से किया पर लाभ कम होने की वजह से इसे छोड़ दिया। साल 2005 में पुराने टाटा कंपनी के कर्मचारी जिनकी जान-पहचान सोनी एरिक्सन से थी, के कहने पर उन्होंने उनके फ़ोन्स के सुधारने का काम शुरू किया। यह काम चल निकला और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।
पहले साल 20 करोड़ का टर्नओवर
2008 में इन्होंने सैमसंग के साथ डील कर उनके पुराने फोन्स ख़रीदे और उसका नवीनीकरण कर उन्हें रॉकिंग डील कंपनी के द्वारा फ्लिपकार्ट के माध्यम से बेचा। पहले ही साल उनकी कंपनी का टर्न-ओवर 20 करोड़ का हो गया। उनके मोबाइल अभी शॉपक्लयूस, अमेज़ॉन, ईबे, स्नैपडील, क्विकर, जंगली और जोपर पर भी उपलब्ध है इन्होंने अभी एक शाखा अमेरिका में खोला है और दूसरे देशों में भी खोलने का इरादा रखते हैं।
वारंटी के साथ बेचते है प्रोडक्ट
उनके प्रोडक्ट रॉकिंग डील कंपनी के द्वारा प्रमाणित है और तीन महीने से लेकर एक साल तक की वारंटी के साथ मिलते हैं। सुधार कार्य के तहत लगभग दो दर्जन परिक्षण से गुजरते हैं और इसमें डिस्प्ले, साउंड, कीटच, पोर्ट्स और क्लिप्स, कैमरा और हार्डवेयर का परिक्षण किया जाता है।
पूरे देश में होगी सर्विस
युवराज ने उत्पाद को तीन श्रेणियों में बांटा है। पहला फ़ोन जिसमें खरोंच न हो, दूसरा जिसके कांच में खरोंच हो, तीसरा जिसमें फ़ोन थोड़ा क्षतिग्रस्त हो। रॉकिंग डील ने अपने सुधारे हुए फ़ोन के लिए अमेरिकन कंपनी फ्यूचर डायल और टेरससिफोर के साथ मिलकर डाटा की सफाई और प्रमाणीकरण के लिए काम किया है। उनके 200 कर्मचारी डीटीडीसी कूरियर के साथ मिलकर फ़ोन को खरीदकर उन्हें पिक-अप करना और उसे बेचने की सेवा और सुधारने का काम पूरे देश में फैला रहें हैं।
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