शमशान के भाव जैसा हो गया देश प्रेम का भाव
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तेज गति से विकास की ओर जैसे-जैसे हम बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे हमारी सभी कार्य पद्धति में बदलाव आ गया है। कम समय में बहुत बहुत कुछ पाने के लिए हम हर कार्य को फटाफट निपटाओ और आगे बढ़ो की तर्ज पर करने लगे हैं। इससे हमारे कोई भी कार्य अछूते नहीं रहे फिर चाहे वह शमशान हो या देश प्रेम।
जी हां! आपको आश्चर्य हो रहा है कि शमशान और देशप्रेम का ये कैसा संयोग जबकि शमशान तो एक मुक्ति का मार्ग है और देश-प्रेम जीने का मार्ग है। उलट होने के बाद भी समानता है तो भाव की, दोनों के भाव एक समान है। जहां शमशान में हम पहुंचते हैं तो हमें विरक्ति के भाव उत्पन्न हो जाते हैं, क्या रखा है इस दुनिया में, एक दिन तो सबको यही आना हैं, अच्छे कर्म करो, जीवन को एक दार्शनिक अंदाज़ में जियो इत्यादि-इत्यादि किन्तु ये जबरदस्त भाव जो हमको भाव-विभोर कर मुक्ति का सही मार्ग दिखलाते हैं, महज एक दिन का होकर रह जाता है। जैसे ही हम शमशान से बाहर निकलते हैं, सब कुछ नदारद हो जाता है। थोड़ा बहुत याद रहता है तो बस एक दिन, बाकि फिर वही मारा-मारी, भागा-दौड़ी। वही तेरा-मेरा, फिर बन जाते है मानव से दानव।
वही एक दिन के भाव हमें आते है 26 जनवरी, 15 अगस्त के दिन। इस दिन हमारे अंदर देश के प्रति प्रेम जागता है; प्रेम जागता है एक अच्छे भारतीय नागरिक बनने का; प्रेम जागता है देश के लिए कुछ कर गुजरने का; प्रेम जागता है उन लोगों के लिए जिन्होंने देश के लिए बहुत कुछ किया। गर्व होता है हमारे भारतीय होने पर; गर्व होता है हमारे बीते सालों में किए उन अच्छे कार्यों का किन्तु यह सब एक दिन का होकर रह जाता है, 26 जनवरी या 15 अगस्त। इस बहाने हम यह सब याद करते हैं और अगले दिन भूल जाते हैं एक साल के लिए।
एक दिन भाव आते हैं कहानी उलटी ही रहती है। हर कार्य हम उलट ही कर रहे होते हैं। फादर्स डे, मदर्स डे, एक दिन पूछ-परख शेष दिन वृद्वाश्रम होती है उनकी जगह। फ्रेंडशिप डे एक दिन का, बाद में वहीं टांग खिंचाखिंची। वेलेनटाइन डे एक दिन का बाद में वहीं नफरत का खंजर। शमशान में एक दिन विरक्ति का भाव बाद में वही लालच का भाव। ऐसे ही देशप्रेम एक दिन का फिर वही मतलब परस्ती का आलम।
ये कहानी अब अनवरत चल रही है। ये देश ही नहीं वरन संपूर्ण विश्व ‘एक दिन’ की कहानी में उलझ कर रह गया है। हर वाकया, हर रिश्ता एक दिन का होकर रह गया है। फिर चाहे वह देश प्रेम हो, या फादर्स डे, मदर्स डे, वेलेनटाइन डे, हग डे, चाकलेट डे, ये डे, वो डे बस डे ही डे। इस डे की कहानी बनकर रह गई है हमारी ज़िन्दगानी। एक दिन के भाव बस।
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