इस्माईल लहरी ने बताये कार्टून के तीन गुरू
इंदौर। प्रीतमलाल दुआ सभाग्रह में चल रही कारीगरी वर्कशॉप में रविवार को इंदौर के विख्यात कार्टूनिस्ट इस्माईल लहरी ने अपनी कला से सभी को रूबरू कराया। इस वर्कशॉप में कार्टून कला से जुड़ी बारीकियां बच्चों को सिखाई गईं। इस निशुल्क वर्कशॉप में बड़ी संख्या में बच्चे अपने माता-पिता के साथ शामिल हुए। प्रीतमलाल दुआ सभाग्रह में कारीगरी नाम से शुरू हुई ये वर्कशॉप 15 मई से 15 जून तक चलेगी जिसमें कई बड़े कलाकार अपनी कला से संबंधित गुर बच्चों को सिखाएंगे। स्माइल लहरी की इस वर्कशॉप के दौरान यूथेन्स न्यूज ने भी उनसे बातचीत की। यहां हम पेश कर रहे हैं उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश…
गंभीर मुद्दों की अभिव्यक्ति है कार्टून
कार्टून के महत्व के बारे में बताते हुए लहरी ने कहा कि कार्टून को हमेशा व्यंग्य की तरह लिया जाता है लेकिन कार्टून केवल किसी मुद्दे पर व्यंग्य करने के लिए ही नहीं बनाया जाता बल्कि इसका एक दूसरा मकसद भी है। ये गंभीर मुद्दों को आसानी से सभी को समझाने का एक सफल व सशक्त माध्यम है।
ये तीन गुरु बनाते हैं काटूनिस्ट
कला के बारे में बात करते हुए लहरी ने कहा कि हर कला को सीखने के लिए गुरू का होना जरुरी होता है लेकिन ऐसा नहीं है कि वो गुरू आपके पास हर वक्त मौजूद हो। लेकिन तीन गुरु ऐसे भी हैं जो अक्सर हमारे पास रहते हैं। जिनमें पहला गुरू है आइना। आइने के सामने खड़े होकर आप उस एक्सप्रेशन में अपने आप को देखें जिसका आपको कार्टून बनाना है। उसके बाद कार्टून बनाने की शुरूआत करें। दूसरा गुरू होता है हमारे आस-पास का वातावरण। यानी हमारे आसपास के लोग जो हमारे पास हर वक्त मौजूद होते हैंए उन्हें देखकरए उनके हाव-भाव देखकर कार्टून बनाएं। तीसरा गुरू होता है गूगल। गूगल के जरिए हर विषय से संबंधित जानकारी हमें आसानी से मिल जाती है। ये तीन गुरु ऐसे हैं जिनका हम जब चाहे और जैसे चाहे इस्तेमाल कर सकते हैं।
कार्टूनों का उद्देश्य मजाक उड़ाना नहीं
काटूनिस्ट के कार्टूनों पर होने वाले विरोध के बारे में उन्होंने कहा कि कुछ लोग कार्टून को उनके प्रति विद्रोह समझते हैं। ऐसा कई बार होता है कि कार्टून में किसी राजनैतिक पार्टी के नेता की नाक लंबी तो किसी के कान बड़े होते हैं या अन्य ऐसी बातें होती हैं जो सिर्फ व्यंग्य के लिए की जाती हैं इस कारण कार्टूनों का विरोध भी किया जाता है। कार्टूनिस्ट सिर्फ व्यंग्य के लिए ऐसे कार्टून बनाता है न कि किसी का मजाक उड़ाने के उद्देश्य से। कला तो ईश्वर की सत्ता में किया गया विनम्र विद्रोह है और काटूनिस्ट उस कला को अपने व्यंग्य में उकेरने वाला कलाकार। ये बात विरोधियों को समझनी चाहिए।
लड़कियों के लिए बढ़िया करियर ऑप्शन
कार्टून को करियर ऑप्शन के रूप में चुने जाने के सवाल पर लहरी ने कहा कि यह क्रिएटिविटी वाली फील्ड है। मेरे अनुसार लड़कियां लड़कों की अपेक्षा ज्यादा क्रिएटिव होती हैं और यदि लड़कियां इस फील्ड में आना चाहती हैं तो ये उनके लिए एक बेहतर करियर ऑप्शन है बशर्ते उनमें क्रिएटिविटी हो। एक कार्टूनिस्ट होना लड़कियों के लिए बेहतर करियर है क्योंकि ये काम घर बैठे और परिवार के साथ रहकर भी आसानी से किया जा सकता है।
|