ट्रांसजेडर के लिए SC का बड़ा फैसला, नौकरी में मिलेगा ओबीसी के बराबर आरक्षण
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर की परिभाषा में परिवर्तन किए है। जिनके अुनसार ट्रांसजेंडर की परिभाषा स्पष्ट की है। कोर्ट ने फैसला किया है कि समलैंगिक समुदाय के लोगों को ट्रांसजेंडर में शामिल नहीं किया जाएगा। सिर्फ थर्ड जेंडर ही ट्रांसजेंडर है। इसमें गे, लेस्बियन अथवा बायसेक्सुअल लोगों को शामिलन नहीं किया जा सकता। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से ट्रांसजेंडर समुदाय को रिजर्वेशन देने के निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट जल्द ही इस दिशा में कदम उठाए।
ओबीसी के बराबर होंगे
केंद्र सरकार ने परिभाषा में परिवर्तन करते हुए याचिका दाखि ल की है। वही सरकार की तरफ से दायर याचिका में यह भी पूछा गया है कि एलजीबीटी समुदाय के लोगों को ओबीबसी के अंर्तगत माना जाए और अन्य पिछड़ा वर्ग को मिलने वाली सुविधाएं भी इस समुदाय को भी जाएं। केंद्र सरकार ने कोर्ट से इस सबंध में भी स्पष्ट दिशा-निर्देश की मांग की थी।
कोर्ट के फैसले ने दी औपचपारिक पहचान
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2014 में एक अहम फैसला सुनाते हुए किन्नरों या ट्रांसजेंडर्स को तीसरे लिंग के रूप में पहचान दे दी. इससे पहले उन्हें मजबूरी में अपना जेंडर ’पुरुष’ या ’महिला’ बताना पड़ता था. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही ट्रांसजेंडर्स को सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर तबके के रूप में पहचान करने के लिए कहा।
अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में दाखिला लेते वक्त या नौकरी देते वक्त ट्रांसजेंडर्स की पहचान तीसरे लिंग के रूप में की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किन्नरों या तीसरे लिंग की पहचान के लिए कोई कानून न होने की वजह से उनके साथ शिक्षा या जॉब के क्षेत्र में भेदभाव नहीं किया जा सकता। इस फैसले के साथ देश में पहली बार तीसरे लिंग को औपचारिक रूप से पहचान मिली।