आमतौर पर हमारें देश में में लोग बुलेट शब्द का इस्तेमाल करते है. इतना ही नही जब कोई व्यक्ति बातचीत के दौरन बुलेट शब्द का जिक्र करता है तो सुनते ही हमारें दिमाग में केवल एक चीज नहीं बल्कि दों-दों चीजें सामने आती हैं. जिसमें से पहली तो है बुलेट बाइक और दूसरी है बंदूक की गोली यानि की बुलेट . मगर अब ऐसा नही रहेगा अब आपके दिमाग में एक और नई चीज जुड़ जाएगी. दरअसल वह है बुलेट ट्रेन है जो भारत में 2022 तक पुरे देश में दोड़ने लगेगी. तो चलिए आज हम आपको बातातें है बुलेट ट्रेन के बारें कुछ खास बातें जिससें आप आसानी से समझ जायेगे की इस ट्रेन का नाम बुलेट ट्रेन क्यों रखा गया है.
आजकल टाइम को सबसे ज्यादा वैल्यू दी जा रही है हर इंसान चाहता है की ज्यादा से सफर कम समय में तय किया जा सके. इसी बात को ध्यान में रखते हुए जापानी इंजीनियरों ने इसका निर्माण किया था.
53 साल पहले जापान में चली पहली बुलेट
जापानी इंजीनियरों ने 1 अक्टूबर 1964 को दुनिया की पहली सबसे तेज रेलगाडी़ का ट्रायल किया. यह ट्रेन जापान की राजधानी टोक्यो और ओसाका सिटी के बीच चलार्इ गयी थी. जिसके बाद यह इतनी फेमस हुर्इ कि विश्वभर में बुलेट… बुलेट .. कहलाने लगी.
हांलाकि जापान में इसे ‘शिनकासेन’ कहा जाता है . टोक्यो स्टेशन पर हरी झंडी मिलते ही इस ट्रेन ने केवल जल्द ही न सिर्फ देश के सारे बड़े शहरों को जोड़ा बल्कि जापान को एक ऐसी आधुनिक आर्थिक महाशक्ति बना दिया, खास बात तो यह है कि जापानियों को शुरूआत में यह नहीं पता था कि यह सबसे तेज ट्रेन सबित होगी.
आपको बता दे कि ‘शिनकासेन’ जापान के दो बड़े शहरों राजधानी टोक्यो और ओसाका के बीच की 515 किलोमीटर की दूरी को 210 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दो घंटे 33 मिनट में पूरा करती है. इस रास्ते में 66 सुरंगें और 96 पुल हैं. आज बुलेट ट़ेन की रफ्तार 500 किमी प्रतिघंटा है.
इस ट्रेन की खास बात तो यह है कि अब तक पटरी से उतरने या टकराने की एक भी घटना नहीं हुई है. जी हां आप ने सुना .53 साल के इतिहास में शिनकासेन न कभी पटरी से उतरी और न किसी चीज से टकराई. इतना ही नही बुलेट ट्रेन कभी एक मिनट से ज्यादा लेट नहीं हुई.
यही कारण है कि अब भारत में भी इसे लाया जा रहा है. बताते चले कि रोज करीब सवा दो करोड़ यात्री भारतीय रेल से सफर कर रहे है. मगर इसके अधिकांश उपकरण पुराने हो चुके हैं, जिसका नतीजा अक्सर होने वाली दुर्घटनाओं के रूप में उभाकर सामने आ रहे है. इतना ही नही पिछले दिनों हुए के रेल हादसे के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने रेल मंत्री ही बदल दिया था.
खास बात तो यह है कि आज बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का शिलान्यास जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के साबरमती स्थित रेलवे के एथलेक्टिस स्टेडियम में आयोजित एक भव्य समारोह में कर भी दिया है.
बताया जा रहा है कि यह प्रोजेक्ट करीब 1 लाख करोड़ रुपए का है, जो 2022 में पूरा करे जाने की बात है. बता दे कि यह ट्रेन देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से गुजरात के साबरमती तक चलेगी .उम्मीद जताई जा रही है कि इससे 500 किलोमीटर की यात्रा करने में अभी लगने वाला 8 घंटे का समय घटकर तीन घंटे का रह जाएगा. पूरे रास्ते में 12 स्टेशन पड़ेंगे. ज़्यादातर रास्ता ज़मीन से ऊपर यानी एलिवेटेड होगा. यात्रा में 7 किलोमीटर हिस्सा समंदर के नीचे बनी सुरंग से होकर जाएगा. 10 डिब्बे की बनी इस ट्रेन में 750 यात्रियों के बैठने की सुविधा होगी. इसकी अधिकतम गति 350 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, जो अभी भारत की सबसे तेज़ चलने वाली ट्रेनों की स्पीड से दोगुनी से भी ज्यादा होगी.
ट्रेन हादसे पर लगेगी रोक.
-इस ट्रेन की खास बात तो यह है कि अब तक पटरी से उतरने या टकराने की एक भी घटना नहीं हुई है. इस ट्रेन से भारत में हो रहे ट्रेन हादसों से निपटा जा सकेगा क्योंकि ट्रेन का ज़्यादातर रास्ता ज़मीन से या ऊपर यानी एलिवेटेड से होगा.
-इस ट्रेन का सबसे बड़ा फायदा यात्रियों समय की बचत के रूप में मिलेगा.
-कई लोगों का मानना है कि इस ट्रेन से यात्रा करना सुविधाजनक होगा, बड़े शहरों से भीड़ कम होगी, बिज़नेस बढ़ेगा और इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा.
क्या कुछ बदला
भारत की पटरियों पर दौड़ने वाली पहली रेल 16 अप्रैल 1853 को चली थी. 14 बोगी की इस ट्रेन को 3 इंजनों की मदद से चलाया गया था. आज 163 सालों बाद देश में बुलेट ट्रेनों को चलाने की तैयारी जोर-शोर से जारी है. वही बताया जा रहा है कि बुलेट ट्रेन की मदद से 16,000 कर्मचारियों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा. इस प्रोजेक्ट के लिए 4,000 लोगों को नियुक्त किया जाएगा. वही 20,000 कर्मचारियों की मदद से निर्माण कार्य पूरा किया जाएगा.