बच्चे देश का भविष्य है और आने वाले कल के ये एक सच्चे और महेनती नागरिक भी होंगे। इस देश का भविष्य भी इन्हीं बच्चों के हाथ में है। भारत एक प्रगतिशील देश है और वो विकासशील देश से विकसित देश की तरफ बढ़ रहा है। यहां शिक्षा के मायने काफी बदल गए हैं और सरकार हर साल अच्छी शिक्षा के लिए करोड़ों खर्च कर रही है, ताकि आने वाला कल इन बच्चों के लिए सुनहरा कल हो। हाल ही में एक रिपोर्ट आई है, जिसने शिक्षा के स्तर को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस रिपोर्ट में सामने आया है कि देश के छह राज्यों में पढ़ाई को लेकर सबसे ज्यादा पैसा खर्च किया गया है, लेकिन हालत ये है कि यहां के कक्षा तीन के बच्चों को शब्दों का भी ज्ञान नहीं है। यानि की शब्दों को सही ढंग से पढऩे का रेशो बहुत कम है। ये आंकड़े वाकई चौकाने वाले हैं।
रिपोर्ट के अनुसार कक्षा तीन में पढऩे वाले बच्चों की बात करें तो बिहार, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश में , 18 फीसदी से कम, असम में 30 फीसदी से कम, छत्तीसगढ़ और झारखंड में 25 फीसदी से कम और ओडिशा में 25 फीसदी से कम बच्चे ही शब्दों को सही से पढ़ सकते हैं। जबकि शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए इन राज्यों में 2011-12 की तुलना में 2014-15के शिक्षा के क्षेत्र में ज्यादा पैसा खर्च किया गया है, फिर भी नतीजों में कोई विशेष सुधार देखने को नहीं मिला।
भारत आबादी के नंबर पर चीन से सिर्फ एक पायदान नीचे यानि कि दुनिया में दूसरे नंबर पर है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2030 में भारत में 1.03 बिलियन लोग काम करेंगे यानि कि दुनिया में सबसे बड़ी संख्या में काम करने वाला देश भारत बन जाएगा। वहीं आकड़ों के अनुसार 55.8 फीसदी बच्चे करीब 6 से 13 साल की बीच में हैं जो ज्यादातर इन 6 राज्यों से ताल्लुक रखते हैं।